अन्तर्राष्ट्रीय
इस्राइल के खिलाफ सीरिया से खुल सकता है नया मोर्चा, रूस से बिगड़ते रिश्तों ने बढ़ाई चिंता
तेल अवीव। इस्राइल हमास के बीच छिड़ी लड़ाई को करीब एक महीना हो चुका है और अब इस लड़ाई के बढ़ने का खतरा पैदा हो गया है। दरअसल, इस्राइल की तरफ से सीरिया में मौजूद ईरान समर्थित कट्टरपंथी संगठन हिजबुल्ला के खिलाफ हवाई हमले किए जा रहे हैं। हिजबुल्ला के लड़ाके सीरियाई सीमा से इस्राइल पर हमले की कोशिशें कर रहे हैं, जिसके खिलाफ इस्राइली सेना कार्रवाई कर रही है।
इस मामले में अहम बात अब ये हुई है कि इस्राइल द्वारा रूस को इन हमलों के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई। जबकि अभी तक आमतौर पर ऐसा होता था कि जब इस्राइली सेना द्वारा सीरिया की सीमा में कार्रवाई की जाती थी तो रूस के साथ हमले की जानकारी साझा की जाती थी। रूस के उप-रक्षामंत्री मिखाइल बोगदानोव ने शुक्रवार को कहा कि ‘जैसा कि होता है, अब इस्राइल, सीरिया पर हमले से पहले जानकारी नहीं दे रहा है। हमें हमला होने के बाद इसका पता चलता है।’
सीरिया से खुल सकता है लड़ाई का नया मोर्चा
इसीलिए अब ऐसी आशंका जताई जा रही है कि सीरिया की तरफ से इस्राइल के खिलाफ नया मोर्चा खुल सकता है। लेबनान सीमा से इस्राइल और हिजबुल्ला के बीच पहले से ही लगातार गोलीबारी हो रही है। ऐसे में जब अमेरिका द्वारा कोशिश की जा रही है कि इस्राइल हमास संघर्ष को सीमित रखा जाए तो सीरिया से भी लड़ाई का मोर्चा खुलने हालात चिंताजनक हो सकते हैं।
संयुक्त राष्ट्र के विशेष प्रतिनिधि गेर पेडरसन का कहना है कि सीरिया से नया मोर्चा खुलने का सिर्फ खतरा नहीं है बल्कि यहां लड़ाई शुरू भी हो चुकी है। हाल ही में इस्राइली सेना ने सीरिया की सीमा में जहां हमला किया है, उसके पास ही रूसी सेना का बेस था। इस्राइली सेना द्वारा सीरिया के दो हवाई अड्डों दमिश्क और अलेप्पो पर भी बमबारी की गई है।
लंबे समय से युद्ध से जूझ रहा सीरिया
बता दें कि सीरिया पहले से ही लड़ाइयों के केंद्र में है। अमेरिका के 1000 सैनिक यहां इस्लामी कट्टरपंथियों से लड़ रहे हैं। वहीं तुर्किये की सेना उत्तरी सीमा पर कुर्द लड़ाकों से लड़ रही है। ईरान और रूस सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल असद का समर्थन कर रहे हैं।
वहां अब तक लड़ाई में हजारों लोग मारे जा चुके हैं और लाखों लोग पलायन कर गए हैं। बता दें कि हिजबुल्ला के खिलाफ इस्राइली सेना सीरिया सीमा पर सालों से कार्रवाई कर रही है। साल 2015 में रूस ने इसमें हस्तक्षेप किया और उसके बाद से इस्राइल, सीरिया पर हमले से पहले रूस को सूचना देता रहा है ताकि दोनों सेनाएं गलती से आपस में ना भिड़ जाएं।
अब दोनों देशों में इस समन्वय की कमी दिख रही है। इस्राइल सरकार ने इस मुद्दे पर कुछ नहीं कहा है कि लेकिन ये साफ कर दिया है कि ‘वह सीरिया में ईरान की सेना या हिजबुल्ला को अपनी उपस्थिति नहीं बनाने देंगे।’
अन्तर्राष्ट्रीय
दक्षिण अफ्रीका की सोने की खदान में फंसे 500 मजदूर, 100 की मौत
दक्षिण अफ्रीका। दक्षिण अफ्रीका की अवैध खदान में 100 मजदूरों की मौत के मामले ने सभी को झकझोर दिया है. खदान में फंसे ये मजदूर कई महीनों से भूख और प्यास से जूझ रहे थे. दक्षिण अफ्रीका के स्टिलफोंटेन शहर के निकट बफेल्सफोंटेन में स्थित सोने की खदानों में लगभग 100 मजदूर फंसे हुए थे. इन्हें बाहर निकालने के दौरान पता चला कि भूख और प्यास के कारण उनकी मौत हो चुकी है. इस घटना से जुड़ी जानकारी मजदूरों की ओर से मोबाइल फोन के जरिए भेजे गए वीडियो से मिली, जिसमें प्लास्टिक में लिपटे शव दिखाए गए हैं.
माइनिंग अफेक्टेड कम्युनिटीज यूनाइटेड इन एक्शन ग्रुप के मुताबिक राहत कार्य में अब तक 26 मजदूरों को जीवित बाहर निकाला जा चुका है और 18 शवों को भी बाहर लाया गया है. हालांकि, यह खदान इतनी गहरी है कि वहां अभी भी लगभग 500 मजदूर फंसे हो सकते हैं. खदान की गहराई 2.5 किमी बताई जा रही है.
पुलिस और मजदूरों के बीच गतिरोध
पुलिस की ओर से खदान को सील करने के प्रयास के बाद मजदूरों और पुलिस के बीच संघर्ष शुरू हो गया. पुलिस का कहना है कि मजदूर गिरफ्तारी के डर से बाहर नहीं आ रहे थे, जबकि मजदूरों का आरोप है कि पुलिस ने उनकी रस्सियां हटा दीं, जिससे वे बाहर नहीं निकल सके.
भूख और प्यास से मौत
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में पहली मौत का कारण भूख बताया गया है. खदान में भोजन और पानी की सप्लाई बंद होने से सभी मजदूरों की मौत हुई है. मजदूरों की मौत ने खदान की सुरक्षा और प्रबंधन पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं.
अवैध खनन का चलन
दक्षिण अफ्रीका में अवैध खनन एक आम समस्या है. बड़ी कंपनियां जब खदानों को बेकार समझ कर छोड़ देती हैं तो स्थानीय खनिक वहां बचा हुआ सोना निकालने की कोशिश करते हैं. यह खतरनाक स्थिति उनके जीवन के लिए खतरा बन जाती है.
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