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आध्यात्म

जगद्गुरू कृपालु परिषत् ने 6 हजार विद्यार्थियों को बांटी दैनिक उपयोग की वस्तुएं

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जगद्गुरू कृपालु परिषत् के तत्वाधान में आयोजित एक कार्यक्रम में शुक्रवार को रंगीली महल, बरसाना में 6000 विद्यार्थियों को दैनिक उपयोगी वस्तुतओं का वितरण किया गया। वितरण समारोह जगद्गुरू कृपालु परिषत की अध्यक्षाओं के नेतृत्व में संपन्न हुआ।

                 शुक्रवार को रंगीली महल, बरसाना में 6000 विद्यार्थियों को दैनिक उपयोगी वस्तुतओं का वितरण किया गया

इस वितरण कार्यक्रम में जगद्गुरू कृपालु परिषत् की अध्यक्षाओं डॉ. विशाखा त्रिपाठी ,  श्यामा त्रिपाठी  एवं डॉ. कृष्णा त्रिपाठी  ने अपने कर-कमलों से 43 विद्यालयों से आए इन छात्र-छात्राओं को भोजन रखने वाला स्टील का डिब्बा (हॉटकेस), कटोरी, तौलिया एवं मिठाई व बिस्कुट इत्यादि प्रदान किए गए। विद्यार्थियों के साथ वितरण कार्यक्रम में आए शिक्षकों को भी भोजन रखने वाला स्टील का डिब्बा (हॉटकेस), कटोरी, तौलिया एवं छाता प्रदान किए गए।
समाज के निर्धन व अभावग्रस्त वर्ग की दैनिक आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए और उनके जीवन को व्यवस्थित रूप प्रदान करने के लिए जगद्गुरू कृपालु परिषत् की अध्यक्षाओं द्वारा अथक प्रयास किए जाते रहे हैं। वर्ष में कई बार अनेकानेक प्रकार से विभिन्न वितरण कार्यक्रमों के माध्यम से वे उनकी दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति करने में सहयोग प्रदान कर रही हैं।
कुछ ही दिन पहले 8 अप्रैल 2018 को भक्ति-धाम-मनगढ़ में भी इसी प्रकार के वितरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें 8000 छात्र-छात्राएं लाभान्वित हुए।

 

व्रत एवं त्यौहार

CHHATH POOJA 2024 : जानें कब से शुरू होगी छठी मैया की पूजा, जानिए इसे क्यों मनाते हैं

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मुंबई। त्रेतायुग में माता सीता और द्वापर युग में द्रौपदी ने भी रखा था छठ का व्रत रामायण की कहानी के अनुसार जब रावण का वध करके राम जी देवी सीता और लक्ष्मण जी के साथ अयोध्या वापस लौटे थे, तो माता सीता ने कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को व्रत रखकर कुल की सुख-शांति के लिए षष्ठी देवी और सूर्यदेव की आराधना की थी।

छठ पूजा क्यों मनाते है ?

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सूर्यदेव और छठी मैया की पूजा अर्चना और अर्घ्य देने से सुख-शांति, समृद्धि, संतान सुख और आरोग्य की प्राप्ति होती है। छठ पूजा को डाला छठ के नाम से भी जाना जाता है। यह चार दिनों तक चलने वाला त्योहार है, जो मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है। छठ पर्व के दौरान प्रकृति के विभिन्न तत्वों जैसे जल, सूर्य, चंद्रमा आदि की पूजा की जाती है. यह प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने का एक तरीका है और हमें प्रकृति के संरक्षण का महत्व सिखाता है. छठ का व्रत बहुत कठिन होता है. व्रतधारी 36 घंटे तक बिना पानी पिए रहते हैं. साथ ही छठ पर्व सभी वर्गों और समुदायों के लोगों को एक साथ लाता है. इस पर्व के दौरान लोग मिलकर पूजा करते हैं, भोजन करते हैं और एक-दूसरे के साथ समय बिताते हैं. इससे सामाजिक एकता और भाईचारा बढ़ता है.

छठ पर्व के 4 दिन

छठ पूजा का पहला दिन, 5 नवंबर 2024- नहाय खाय.
छठ पूजा का दूसरा दिन, 6 नवंबर 2024- खरना.
छठ पूजा का तीसरा दिन, 7 नवंबर 2024-डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य.
छठ पूजा का चौथा दिन, 8 नवंबर 2024- उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का पारण

 

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