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CJI चंद्रचूड़ ने पूछा- क्या विवाह के लिए महिला और पुरुष ही होना जरूरी है

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supreme court of india

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नई दिल्ली। समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने की मांग संबंधी याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने आज गुरुवार को पूछा कि क्या विवाह के लिए महिला और पुरुष का ही होना जरूरी है।

उन्होंने कहा कि हम इन (समलैंगिक) संबंधों को न केवल शारीरिक संबंधों के रूप में देखते हैं बल्कि एक स्थिर और भावनात्मक संबंध के रूप में इससे ज्यादा देखते हैं। जस्टिस चंद्रचूड़ ने पांच जजों की बेंच द्वारा सुनवाई के तीसरे दिन यह बात कही।

सुप्रीम कोर्ट में चल रही इस सुनवाई को कोर्ट की वेबसाइट और यूट्यूब पर लाइव-स्ट्रीम किया जा रहा है। इस पीठ में न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति एसआर भट, न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा भी शामिल हैं।

सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने के लिए हमें विवाह की विकसित धारणा को फिर से परिभाषित करने की आवश्यकता है क्योंकि वर्तमान में पति-पत्नी के रूप केवल महिला और पुरुष का ही अस्तित्व है।

उन्होंने पूछा कि क्या विवाह के लिए महिला और पुरुष का ही होना आवश्यक है? उन्होंने कहा कि 1954 में विशेष विवाह अधिनियम के अधिनियमन के बाद से पिछले 69 वर्षों में कानून महत्वपूर्ण रूप से विकसित हुआ है, जो उन लोगों के लिए नागरिक विवाह का एक रूप प्रदान करता है जो अपने व्यक्तिगत कानूनों का पालन नहीं करना चाहते हैं।

उन्होंने समलैंगिक विवाह के संदर्भ में 2018 के एक निर्णायक आदेश का जिक्र करते हुए कहा, उस समय अदालत ने समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर करके न केवल सहमति देने वाले समलैंगिक वयस्कों के बीच संबंधों को मान्यता दी है, बल्कि अदालत ने यह भी माना है कि जो लोग समलैंगिक हैं वे संबंधों में भी स्थिर होंगे।

सीजीआई की यह टिप्पणी विवाह में सुधार के लिए सरकार के विरोध के बीच आई है। सरकार की ओर से कहा गया कि याचिकाकर्ताओं की अपील “शहरी संभ्रांतवादी विचार” का परिणाम है। साथ ही कहा कि इस मामले पर बहस करने के लिए संसद सही मंच है।

मोदी सरकार ने याचिका को दी है चुनौती

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने याचिकाकर्ताओं की अपील को चुनौती दी है। याचिकाकर्ताओं में कुछ समलैंगिक जोड़े भी शामिल हैं। सरकार ने इस आधार पर चुनौती दी है कि समलैंगिक विवाह “पति, पत्नी और बच्चों के साथ भारतीय परिवार की अवधारणा के साथ तुलना योग्य नहीं हैं।”

सरकार ने रविवार को सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामे में कहा था कि ये याचिकाएं केवल शहरी अभिजात्य विचारों को दर्शाती हैं, जिसकी तुलना उपयुक्त विधायिका से नहीं की जा सकती है, जो व्यापक पहुंच के विचारों और आवाजों को दर्शाती है और पूरे देश में फैली हुई है।

हाल के महीनों में इस मामले में अदालत में कम से कम 15 अपील दायर की गई हैं। इनमें कहा गया है कि कानूनी मान्यता के बिना कई समलैंगिक जोड़े अपने अधिकारों का उपयोग नहीं कर सकते हैं, जैसे कि चिकित्सा सहमति, पेंशन, गोद लेने या यहां तक कि क्लब सदस्यता से जुड़े अधिकार।

गुजरात

सूरत के ज्वैलर्स का कमाल, 4.7 कैरेट के हीरे पर उकेरा डोनाल्ड ट्रंप का चेहरा

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गुजरात । इस समय चारों तरफ सिर्फ अमेरिका के नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह की बातें हो रही हैं। बीते दिन डोनाल्ड ट्रंप ने वॉशिंगटन डीसी में दूसरी बार राष्ट्रपति के तौर पर शपथ ली। इस दौरान दुनिया भर के मेहमान इस शपथ ग्रहण समारोह में पहुंचे। इसी बीच डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह का गुजरात कनेक्शन भी सामने आया है। दरअसल, सूरत के लैबग्रोन डायमंड ने डोनाल्ड ट्रंप के लिए खास गिफ्ट तैयार किया है, जो इस समय चर्चा का विषय बना हुआ है।

2 महीने में तैयार हुआ अनोखा हीरा

गुजरात के हीरा व्यापारी मुकेश पटेल और स्मित पटेल की कंपनी लैबग्रोन डायमंड के 5 अनुभवी ज्वैलर्स ने डोनाल्ड ट्रंप के चेहरे को 4.7 कैरेट के हीरे पर उकेरा है। इस डोनाल्ड ट्रंप वाले हीरे को इन 5 ज्वैलर्स ने 2 महीने में तैयार किया है। यह हीरा भारत की तरफ से डोनाल्ड ट्रंप को एक खास गिफ्ट के तौर पर दिया जाएगा। हीरे को तराशकर इस तरह की आकृति देना बहुत ही मुश्किल काम है। इसमें बहुत फोकस और सावधानी की जरूरत होती है। इसलिए 5 अनुभवी तराशकरों को भी इसे बनाने में 60 दिन का समय लगा।

इंटरनेशनल मार्केट में हीरे की कीमत

जानकारी के अनुसार, इस हीरे की कीमत इंटरनेशनल मार्केट में 10 हजार अमेरिकी डॉलर (8,64,255 भारतीय रुपये) बताई जा रही है। ये अनोखा हीरा न सिर्फ सूरत के हुनर को दिखाता है, बल्कि भारतीय कला और तकनीक की भी खास मिसाल पेश करता है। इस हीरे की फोटोज और वीडियो भी सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है। बता दें कि, इससे पहले भी सूरत की इसी कंपनी ने अमेरिका की प्रथम महिला को एक लैबग्रोन डायमंड गिफ्ट में दिया था, जिसे भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें सौंपा था।

 

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