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आध्यात्म

आज से शुरू होगी प्राण-प्रतिष्ठा की पूजा, 150 विद्वान लेंगे भाग; 22 जनवरी को विराजेंगे प्रभु श्रीराम

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Ramlalla Pran Pratishtha

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अयोध्या। अयोध्या में 22 जनवरी को भव्य राम मंदिर में श्रीरामलला की प्राण-प्रतिष्ठा का कार्यक्रम और पूजन विधि आज 16 जनवरी से शुरू हो जाएगी। दोपहर डेढ़ बजे यजमान डॉ. अनिल मिश्र के दशविधि स्नान से अनुष्ठान आरंभ होगा। प्रतिमा निर्माण स्थल पर कर्मकुटी का पूजन होगा। शाम को प्रतिमा निर्माण स्थल विवेक सृष्टि में हवन होगा।

वैदिक पुजारी सुनील लक्ष्मीकांत दीक्षित का कहना है कि लगभग 150 विद्वान प्राण प्रतिष्ठा समारोह में भाग लेंगे। यह प्रार्थना आज से शुरू होगी और 22 जनवरी की शाम तक जारी रहेगी। यजमान की शुद्धि और पूजा का अधिकार प्राप्त करने के लिए आज प्रायश्चित प्रार्थना की जाएगी। विष्णु पूजा, गोदान किया जाएगा। इसके बाद मूर्ति की शुद्धि कर पूजा की जाएगी। गर्भ-गृह में प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के पूरा होने के बाद सभी साक्षी महानुभावों को दर्शन कराया जाएगा।

लगा दिए गए 11 स्वर्ण मंडित कपाट

राम मंदिर के भूतल पर 14 में से 11 स्वर्ण मंडित कपाट लगा दिए गए। इसमें मुख्यद्वार भी शामिल है। मंदिर के गर्भगृह में कपाट लग गये। इसके अतिरिक्त सिंहद्वार पर चार पल्ले का कपाट लगाया गया। सभी पर सोना जड़ा है। कार्यदायी संस्था के अधिकारी ने बताया कि मंगलवार तक सभी कपाट लग जाएंगे।

सुरक्षा एवं यातायात व्यवस्था को सुदृढ़

प्राण प्रतिष्ठा समारोह के दृष्टिगत अयोध्‍या के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक राजकरन नैय्यर ने पुलिस अधीक्षक नगर, जनपद अयोध्या एवं अन्य पुलिस बल के साथ राम मंदि‍र परिसर, नयाघाट एवं अन्य महत्वपूर्ण स्थानों पर पैदल गश्त किया गया, ताकि सुरक्षा एवं यातायात व्यवस्था को सुदृढ़ किया जा सके। भ्रमण के दौरान उन्होंने ड्यूटी प्वाइंट पर तैनात कर्मचारियों की जांच की और सभी संबंधित मीडिया सेल, पुलिस को आवश्यक निर्देश दिए।

भगवान श्री रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा योग का शुभ मुहूर्त, पौष शुक्ल कूर्म द्वादशी, विक्रम संवत 2080, सोमवार, 22 जनवरी, 2024 को पड़ रहा है। 22 जनवरी को एक बजे प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान की पूर्णाहुति के साथ स्थापना की प्रक्रिया पूर्ण होगी। इसके बाद ही नए गर्भगृह में रामलला का दर्शन-पूजन शुरू हो सकेगा।

18 को ही स्थापित कर दी जाएगी प्रतिमा

18 जनवरी को गर्भगृह में रामलला की प्रतिमा अपने स्थान पर स्थापित कर दी जाएगी, लेकिन स्थापना की प्रक्रिया प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान के रूप में चलती रहेगी।

आज से शुरू हो रहा है अनुष्ठान

अयोध्‍या। श्री राम जन्‍मभूमि क्षेत्र ट्रस्ट महासचिव चंपत राय ने स्पष्ट किया कि रामलला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान तो मंगलवार से ही शुरू हो रहा है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में प्राण प्रतिष्ठा का मुख्य पूजन 22 जनवरी को मध्याह्न 12:20 से एक बजे तक चलेगा।

आध्यात्म

महाकुम्भ 2025: बड़े हनुमान मंदिर में षोडशोपचार पूजा का है विशेष महत्व, पूरी होती है हर कामना

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महाकुम्भनगर| प्रयागराज में संगम तट पर स्थित बड़े हनुमान मंदिर का कॉरिडोर बनकर तैयार हो गया है। यहां आने वाले करोड़ों श्रद्धालु यहां विभिन्न पूजा विधियों के माध्यम से हनुमान जी की अराधना करते हैं। इसी क्रम में यहां षोडशोपचार पूजा का भी विशेष महत्व है। षोडशोपचार पूजा करने वालों की हर कामना पूरी होती है, जबकि उनके सभी संकट भी टल जाते हैं। मंदिर के महंत और श्रीमठ बाघंबरी पीठाधीश्वर बलवीर गिरी जी महाराज ने इस पूजा विधि के विषय में संक्षेप में जानकारी दी और यह भी खुलासा किया कि हाल ही में प्रयागराज दौरे पर आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी मंदिर में षोडशोपचार विधि से पूजा कराई गई। उन्हें हनुमान जी के गले में पड़ा विशिष्ट गौरीशंकर रुद्राक्ष भी भेंट किया गया। उन्होंने भव्य और दिव्य महाकुम्भ के आयोजन के लिए पीएम मोदी और सीएम योगी का आभार भी जताया।

16 पदार्थों से ईष्ट की कराई गई पूजा

लेटे हनुमान मंदिर के महंत एवं श्रीमठ बाघंबरी पीठाधीश्वर बलवीर गिरी जी महाराज ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक यजमान की तरह महाकुम्भ से पहले विशेष पूजन किया। प्रधानमंत्री का समय बहुत महत्वपूर्ण था, लेकिन कम समय में भी उनको षोडशोपचार की पूजा कराई गई। पीएम ने हनुमान जी को कुमकुम, रोली, चावल, अक्षत और सिंदूर अर्पित किया। यह बेहद विशिष्ट पूजा होती है, जिसमें 16 पदार्थों से ईष्ट की आराधना की। इस पूजा का विशेष महत्व है। इससे संकल्प सिद्धि होती है, पुण्य वृद्धि होती है, मंगलकामनाओं की पूर्ति होती और सुख, संपदा, वैभव मिलता है। हनुमान जी संकट मोचक कहे जाते हैं तो इस विधि से हनुमान जी का पूजन करना समस्त संकटों का हरण होता है। उन्होंने बताया कि पीएम को पूजा संपन्न होने के बाद बड़े हनुमान के गले का विशिष्ट रुद्राक्ष गौरीशंकर भी पहनाया गया। यह विशिष्ट रुद्राक्ष शिव और पार्वती का स्वरूप है, जो हनुमान जी के गले में सुशोभित होता है।

सभी को प्रेरित करने वाला है पीएम का आचरण

उन्होंने बताया कि पूजा के दौरान प्रधानमंत्री के चेहरे पर संतों का ओज नजर आ रहा था। सबसे महत्वपूर्ण बात ये कि उनमें संतों के लिए विनय का भाव था। आमतौर पर लोग पूजा करने के बाद साधु संतों को धन्यवाद नहीं बोलते, लेकिन पीएम ने पूजा संपन्न होने के बाद पूरे विनय के साथ धन्यवाद कहा जो सभी को प्रेरित करने वाला है। उन्होंने बताया कि पीएम ने नवनिर्मित कॉरिडोर में श्रद्धालुओं की सुविधा को लेकर भी अपनी रुचि दिखाई और मंदिर प्रशासन से श्रद्धालुओं के आने और जाने के विषय में जानकारी ली। वह एक अभिभावक के रूप में नजर आए, जिन्हें संपूर्ण राष्ट्र की चिंता है।

जो सीएम योगी ने प्रयागराज के लिए किया, वो किसी ने नहीं किया

बलवीर गिरी महाराज ने सीएम योगी की भी तारीफ की। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने प्रयागराज और संगम के विषय में जितना सोचा, आज से पहले किसी ने नहीं सोचा। संत जीवन में बहुत से लोगों को बड़े-बड़े पदों पर पहुंचते देखा, लेकिन मुख्यमंत्री जी जैसा व्यक्तित्व कभी नहीं देखने को मिला। वो जब भी प्रयागराज आते हैं, मंदिर अवश्य आते हैं और यहां भी वह हमेशा यजमान की भूमिका में रहते हैं। हमारे लिए वह बड़े भ्राता की तरह है। हालांकि, उनकी भाव भंगिमाएं सिर्फ मंदिर या मठ के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश के लिए हैं। वो हमेशा यही पूछते हैं कि प्रयागराज कैसा चल रहा है। किसी मुख्यमंत्री में इस तरह के विचार होना किसी भी प्रांत के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

स्वच्छता का भी दिया संदेश

उन्होंने महाकुम्भ में आने वाले करोड़ों श्रद्धालुओं को संदेश भी दिया। उन्होंने कहा कि महाकुम्भ को स्वच्छ महाकुम्भ बनाने का जिम्मा सिर्फ सरकार और प्रशासन का नहीं है, बल्कि श्रद्धालुओं का भी है। मेरी सभी तीर्थयात्रियों से एक ही अपील है कि महाकुम्भ के दौरान स्नान के बाद अपने कपड़े, पुष्प और पन्नियां नदियों में और न ही तीर्थस्थल में अर्पण न करें। प्रयाग और गंगा का नाम लेने से ही पाप कट जाते हैं। माघ मास में यहां एक कदम चलने से अश्वमेध यज्ञ का फल मिलता है। यहां करोड़ों तीर्थ समाहित हैं। इसकी पवित्रता के लिए अधिक से अधिक प्रयास करें। तीर्थ का सम्मान करेंगे तो तीर्थ भी आपको सम्मान प्रदान करेंगे। स्नान के समय प्रयाग की धरा करोड़ों लोगों को मुक्ति प्रदान करती है। यहां ज्ञानी को भी और अज्ञानी को भी एक बराबर फल मिलता है।

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