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दिवाली 2024 : दुल्हन की तरह सजी अयोध्या, जगमग हो उठा पूरा शहर

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नई दिल्ली। भगवान श्रीराम के वनवास से लौटने पर उनके स्वागत में पूरी अयोध्या नगरी को सजाया गया था. रात भर जागकर लोगों ने पूरे नगर को रोशनी से जगमग कर दिया था. तब से यह परंपरा चली आ रही है. पूरे देश ही नहीं, दुनिया के जिन-जिन देशों में भारतीय रहते हैं या भारतीय मूल के लोगों की अधिवक्ता है, वहां पूरे रीति-रिवाज के साथ यह पर्व मनाया जाता है. पर रामलला की अयोध्या की दिवाली की छटा अनुपम है. दिवाली पर अयोध्या की हर दर-ओ-दीवार रोशनी से जगमग हो उठता है. आइए जान लेते हैं कि किस तरह से अयोध्या में दिवाली मनाई जाती है?

रामनगरी की दिवाली

दीपावली पर रामनगरी का हर घर-आंगन दीपों की रोशनी और फूलों की सजावट से अद्भुत छटा बिखेरता है. रंगोली और मिठाई इसका अहम हिस्सा होते हैं. आसमान को रंग-बिरंगी करती आतिशबाजी लोगों का मन मोह लेती है. हालांकि, समय के साथ दीपोत्सव के स्वरूप में बदलाया आया है और अब इसे बेहद भव्य तरीके से आयोजित किया जाता है. यूपी सरकार की ओर से खास आयोजन किए जाते हैं. अब सबसे बड़ा आकर्षण है सरयू तट पर होने वाला दीपोत्सव. अयोध्या में पिछले कई सालों से दीपोत्सव के जरिए कई रिकॉर्ड बन चुके हैं. इसमें देश-दुनिया के लोग शामिल होते रहे हैं. इस बार सरयू के 55 घाटों पर एक साथ दीपोत्सव का आयोजन किया जाएगा. इसका जिम्मा डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय को दिया गया है.

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दिवाली में क्यों पकड़े जा रहे है उल्लू, घर की आर्थिक स्थिति सुधरने से है कनेक्शन

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नई दिल्ली। हिन्दू धर्म में उल्लू को माता लक्ष्मी का वाहन माना जाता है. इसलिए धार्मिक मान्यता है कि य​दि आपको दिवाली के दिन उल्लू दिखाई देता है तो यह अत्यंत शुभ है. य​ह आपके घर में शुभता के आगमन के संकेत देता है. ऐसा भी कहा जाता है कि, दिवाली पर उल्लू का दिखाई देना आपके घर की आर्थिक स्थिति में सुधार होने का संकेत होता है. यह दर्शाता है कि दिवाली पर आपके घर मां लक्ष्मी का आगमन होने वाला है और साथ ही घर में सकारात्मकता आने वाली है.

संरक्षित श्रेणी में आने वाले उल्लू की जान दिवाली के दौरान सांसत में रहती है। तंत्र पूजा के कारण दिवाली के दौरान उल्लू के शिकारियों के सक्रिय होने की आशंका है। इसे रोकने के लिए वन विभाग को पहरेदारी बढ़ा देनी चाहिए ।

उल्लू की खासियत

उल्लू को एक छोटा और शांत पक्षी माना जाता है. दुनिया में पाए जाने वाले उल्लुओं की प्रजातियों में सबसे छोटा उल्लू लगभग 5 से 6 इंच का होता है. इसके साथ ही सबसे बड़े उल्लू की लंबाई लगभग 32 इंच होती है. आम तौर पर उल्लू के पंजे बहुत जहरीले और शक्तिशाली होते हैं. यह एक मांसाहारी प्राणी है जो अपने पंजों का इस्तेमाल करके शिकार करता है. इसकी आंखें बहुत बड़ी होती हैं. उल्लू एक ऐसा प्राणी है जो अपना सिर 270 डिग्री तक घुमा सकता है. खास बात है कि उल्लू 23-30 साल जीवित रहता है.

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