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बिजनेस

ब्रिटेन को पछाड़कर भारत बना दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यव्स्था

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IMF

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नई दिल्ली। अपने नए प्रधानमंत्री को चुनने की जद्दोजहद में लगे ब्रिटेन को ये खबर शायद रास नहीं आएगी। इंटरनेशनल मोनेटरी फंड (IMF) की नई लिस्ट में ब्रिटेन को पछाड़कर भारत विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। आइएमएफ द्वारा जारी आंकड़ों और मार्च तिमाही के अंत में डालर के विनिमय दर के आधार पर भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार 854.7 अरब डालर के साथ भारत विश्व की पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था हो गया है। इसी अवधि में ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था का आकार 816 अरब डालर था।

ध्यान रहे कि आने वाले सोमवार को ब्रिटेन बोरिस जॉनसन का नया उत्तराधिकारी चुनने जा रहा है। ऐसे में जो नया नेता जॉनसन की जगह लेगा उसके लिए ये खबर अच्छी नहीं है। हालांकि इससे पहले जो कयास लगाए गए थे उसके अनुसार 2027 तक भारत ब्रिटेन को पछाड़ देगा।

आइएमएफ के आंकड़ों के मुताबिक अमेरिकी डालर में की गई गणना के बाद भारत ने कैलेंडर वर्ष 2021 की आखिरी तिमाही में ब्रिटेन को पछाड़ा है। आइएमएफ के आंकड़ों और मार्च तिमाही के अंत में डालर की विनिमय दर के आधार पर भारतीय अर्थव्यवस्था 854.7 अरब डालर तक पहुंच गई जबकि इस दौरान ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था 816 अरब डालर पर ठहर गई।

नई उपलब्धि हासिल करने के बाद अनुमान लगाया जा रहा है कि भारत सालाना आधार पर भी जल्द दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है। बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की बात करें तो भारत से अब सिर्फ अमेरिका, चीन, जापान और जर्मनी ही आगे हैं। एक दशक पहले भारत 11वें स्थान पर था जबकि ब्रिटेन पांचवें स्थान पर था।

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक चालू वित्त वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही अप्रैल से जून के दौरान भारत की जीडीपी में 13.5 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है। यह पिछले एक साल में सबसे अधिक है। इस तिमाही में यह वृद्धि दर हासिल करने वाला भारत दुनिया का इकलौता देश है।

दूसरी तरफ ब्रिटेन की जीडीपी दूसरी तिमाही में सिर्फ एक फीसदी की रफ्तार से बढ़ी है। महंगाई के आंकड़े इसमें मिला ले तो इसमें 0.1 फीसदी की सिकुड़न दिखती है। अर्थव्यवस्था में गिरावट ब्रिटेन की नई सरकार के लिए सिरदर्द होगा। नई सरकार के सामने महंगाई और सुस्त अर्थव्यवस्था सबसे बड़ी चुनौती होगी।

ब्रिटिश पीएम की कुर्सी पर जो भी बैठेगा उसके सामने सबसे बड़ी चुनौती महंगाई से निपटने की होगी। पिछले चारदशकों में ये सबसे ज्यादा देखी जा रही है। दूसरी तरफ बैंक ऑफ इंग्लैंड ने 2024 तक रिसेशन (मंदी) की आशंका भी जताई है। ऐसे में नए ब्रिटिश पीएम के लिए अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाना बड़ी चुनौती होगी।

नेशनल

ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप को मनमानी करने पर 103 के बदले देने पड़ेंगे 35,453 रु, जानें क्या है पूरा मामला

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हैदराबाद। ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप स्विगी को ग्राहक के साथ मनमानी करना भारी पड़ गया। कंपनी की इस मनमानी पर एक कोर्ट ने स्विगी पर तगड़ा जुर्माना ठोक दिया। हैदराबाद के निवासी एम्माडी सुरेश बाबू की शिकायत पर उपभोक्ता आयोग ने बड़ा फैसला सुनाया है। बाबू ने आरोप लगाया था कि स्विगी ने उनके स्विगी वन मेंबरशिप के लाभों का उल्लंघन किया और डिलीवरी Food Delivery की दूरी को जानबूझकर बढ़ाकर उनसे अतिरिक्त शुल्क वसूला

क्या है पूरा मामला ?

सुरेश बाबू ने 1 नवंबर, 2023 को स्विगी से खाना ऑर्डर किया था। सुरेश के लोकेशन और रेस्टॉरेंट की दूरी 9.7 किमी थी, जिसे स्विगी ने बढ़ाकर 14 किमी कर दिया था। दूरी में बढ़ोतरी की वजह से सुरेश को स्विगी का मेंबरशिप होने के बावजूद 103 रुपये का डिलीवरी चार्ज देना पड़ा। सुरेश ने आयोग में शिकायत दर्ज कराते हुए कहा कि स्विगी वन मेंबरशिप के तहत कंपनी 10 किमी तक की रेंज में फ्री डिलीवरी करने का वादा किया था।कोर्ट ने बाबू द्वारा दिए गए गूगल मैप के स्क्रीनशॉट्स और बाकी सबूतों की समीक्षा की और पाया कि दूरी में काफी बढ़ोतरी की गई है।

कोर्ट ने स्विगी को अनुचित व्यापार व्यवहार का दोषी पाया और कंपनी को आदेश दिया कि वे सुरेश बाबू को 9 प्रतिशत ब्याज के साथ 350.48 रुपये के खाने का रिफंड, डिलीवरी के 103 रुपये, मानसिक परेशानी और असुविधा के लिए 5000 रुपये, मुकदमे की लागत के लिए 5000 रुपए समेत कुल 35,453 रुपये का भुगतान करे।

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