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आध्यात्म

शिवरात्रि में पी जाने वाली ठंडाई के हैं कई फायदे, जानिए बनाने की विधि

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महाशिवरात्रि के पर्व पर सभी की लोकप्रिय होती है ठंडाई। बढ़ती गर्मी से हाल बेहाल हो जाता है। ऐसे में आपको अपने दिमाग और शरीर को अगर ठंडा रखना है तो रोज ठंडाई पीएं। ठंडाई पीने गर्मियों में होने वाली कई तरह की परेशानियां भी दूर हो जाती है। ठंडाई पीने के कई फायदे हैं लेकिन सबसे खास बात ये है कि ठंडाई से आपकी इम्यूनिटी भी बढ़ती है। गर्मियों में अपने इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने के लिए आप काढ़ा पीने की जगह ठंडाई पी सकते हैं। इससे आपके शरीर को भी ठंडक मिलेगी और रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है। जानते हैं ठंडाई के फायदे और बनाने का तरीका।

Thandai Recipe (step by step recipe with video) - Ruchiskitchen

ठंडाई के फायदे

Thandai Traditional Drink- Health Giving Properties And Preparation

1- इम्यून सिस्टम मजबूत होगा-

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गर्मी से राहत दिलाने वाली ठंडाई पीने से इम्यून सिस्टम भी मजबूत होता है। ठंडाई में केसर होती है जो एंटी डिप्रेशन और एंटीऑक्सीडेंट की तरह काम करती है।

2- कब्ज दूर होगी-

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ठंडाई पीने से पेट में कब्ज की शिकायत भी नहीं होती है। ठंडाई में खसखस होता है जिसमें प्रोटीन, फाइबर, कैल्शियम, फैट और मिनरल्स भरपूर मात्रा में होते हैं। इससे पेट की जलन की समस्या दूर हो जाती है और कब्ज भी नहीं होती है।

3-पाचन क्रिया मजबूत-

Principles for good digestion in Ayurveda | Ayurveda Bansko

ठंडाई न सिर्फ स्वादिष्ट होती है बल्कि पाचन तंत्र को भी मजबूत बनाती है। ठंडाई में सौंफ का इस्तेमाल किया जाता है। जिसमें एंटी इन्फ्लेमेटरी के गुण काफी पाए जाते है। सौंफ से पाचन क्रिया मजबूत होती है और पेट भी ठंडा रहता है।

4- पेट फूलने और ब्लोटिंग में आराम-

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ठंडाई में मेथी और सौंफ भी मिलाया जाता है जिससे पाचन क्रिया मजबूत होती है और ब्लोटिंग की समस्या भी नहीं होती। पेट फूलने की समस्या भी ठंडाई पीने से दूर हो जाती है।

5- एनर्जी मिलेगी-

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गर्मियों में ठंडाई पीने से शरीर को तुरंत एनर्जी मिलती है। ठंडाई में तरबूज के बीज, कद्दू के बीज, बादाम और पिस्ता जैसे चीजों का इस्तेमाल किया जाता है। जिनसे शरीर को एनर्जी मिलती है।

ठंडाई बनाने की सामग्री

Thandai | Eat More Art

ठंडाई बनाने के लिए आपको 1 लीटर दूध, आधा कप बादाम, 6 चम्मच खसखस, सौंफ आधा कप, 2 चम्मच काली मिर्च, 5 हरी इलाएची, 2 चम्मच काली मिर्च, 4 चम्मच तरबूज के बीज, 4 चम्मच खरबूजे के बीज, 4 चम्मच ककड़ी के बीज, और स्वाद के हिसाब से चीनी चाहिए.

ठंडाई बनाने की विधि

Significance of Thandai on Shivaratri | The Times of India

खसखस, बादाम, खरबूजे, तरबूजे और ककड़ी के, सौंफ, काली मिर्च और इलाएची को रातभर पानी में भिगो दें. अब सुबह बादाम को छीलकर और बाकी सारे सामान को एक साथ पीस लें. दूध उबालें और उसमें चीनी ठंडा होने रख दें. अगर केसर है तो थोड़ी डाल सकते हैं. अब दो गिलास पानी लेकर धीरे-धीर ड्राइफूट्स के पेस्ट में डालकर किसी बारीक कपड़े या छन्नी से छानते रहें. पूरा छनने के बाद अब इस पानी में ठंडा दूध में मिला दें. थोड़ी देर इसे फ्रिज में रखें और ऊपर से बर्फ के टुकड़े डालकर सर्व करें.

आध्यात्म

महाकुम्भ 2025: बड़े हनुमान मंदिर में षोडशोपचार पूजा का है विशेष महत्व, पूरी होती है हर कामना

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महाकुम्भनगर| प्रयागराज में संगम तट पर स्थित बड़े हनुमान मंदिर का कॉरिडोर बनकर तैयार हो गया है। यहां आने वाले करोड़ों श्रद्धालु यहां विभिन्न पूजा विधियों के माध्यम से हनुमान जी की अराधना करते हैं। इसी क्रम में यहां षोडशोपचार पूजा का भी विशेष महत्व है। षोडशोपचार पूजा करने वालों की हर कामना पूरी होती है, जबकि उनके सभी संकट भी टल जाते हैं। मंदिर के महंत और श्रीमठ बाघंबरी पीठाधीश्वर बलवीर गिरी जी महाराज ने इस पूजा विधि के विषय में संक्षेप में जानकारी दी और यह भी खुलासा किया कि हाल ही में प्रयागराज दौरे पर आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी मंदिर में षोडशोपचार विधि से पूजा कराई गई। उन्हें हनुमान जी के गले में पड़ा विशिष्ट गौरीशंकर रुद्राक्ष भी भेंट किया गया। उन्होंने भव्य और दिव्य महाकुम्भ के आयोजन के लिए पीएम मोदी और सीएम योगी का आभार भी जताया।

16 पदार्थों से ईष्ट की कराई गई पूजा

लेटे हनुमान मंदिर के महंत एवं श्रीमठ बाघंबरी पीठाधीश्वर बलवीर गिरी जी महाराज ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक यजमान की तरह महाकुम्भ से पहले विशेष पूजन किया। प्रधानमंत्री का समय बहुत महत्वपूर्ण था, लेकिन कम समय में भी उनको षोडशोपचार की पूजा कराई गई। पीएम ने हनुमान जी को कुमकुम, रोली, चावल, अक्षत और सिंदूर अर्पित किया। यह बेहद विशिष्ट पूजा होती है, जिसमें 16 पदार्थों से ईष्ट की आराधना की। इस पूजा का विशेष महत्व है। इससे संकल्प सिद्धि होती है, पुण्य वृद्धि होती है, मंगलकामनाओं की पूर्ति होती और सुख, संपदा, वैभव मिलता है। हनुमान जी संकट मोचक कहे जाते हैं तो इस विधि से हनुमान जी का पूजन करना समस्त संकटों का हरण होता है। उन्होंने बताया कि पीएम को पूजा संपन्न होने के बाद बड़े हनुमान के गले का विशिष्ट रुद्राक्ष गौरीशंकर भी पहनाया गया। यह विशिष्ट रुद्राक्ष शिव और पार्वती का स्वरूप है, जो हनुमान जी के गले में सुशोभित होता है।

सभी को प्रेरित करने वाला है पीएम का आचरण

उन्होंने बताया कि पूजा के दौरान प्रधानमंत्री के चेहरे पर संतों का ओज नजर आ रहा था। सबसे महत्वपूर्ण बात ये कि उनमें संतों के लिए विनय का भाव था। आमतौर पर लोग पूजा करने के बाद साधु संतों को धन्यवाद नहीं बोलते, लेकिन पीएम ने पूजा संपन्न होने के बाद पूरे विनय के साथ धन्यवाद कहा जो सभी को प्रेरित करने वाला है। उन्होंने बताया कि पीएम ने नवनिर्मित कॉरिडोर में श्रद्धालुओं की सुविधा को लेकर भी अपनी रुचि दिखाई और मंदिर प्रशासन से श्रद्धालुओं के आने और जाने के विषय में जानकारी ली। वह एक अभिभावक के रूप में नजर आए, जिन्हें संपूर्ण राष्ट्र की चिंता है।

जो सीएम योगी ने प्रयागराज के लिए किया, वो किसी ने नहीं किया

बलवीर गिरी महाराज ने सीएम योगी की भी तारीफ की। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने प्रयागराज और संगम के विषय में जितना सोचा, आज से पहले किसी ने नहीं सोचा। संत जीवन में बहुत से लोगों को बड़े-बड़े पदों पर पहुंचते देखा, लेकिन मुख्यमंत्री जी जैसा व्यक्तित्व कभी नहीं देखने को मिला। वो जब भी प्रयागराज आते हैं, मंदिर अवश्य आते हैं और यहां भी वह हमेशा यजमान की भूमिका में रहते हैं। हमारे लिए वह बड़े भ्राता की तरह है। हालांकि, उनकी भाव भंगिमाएं सिर्फ मंदिर या मठ के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश के लिए हैं। वो हमेशा यही पूछते हैं कि प्रयागराज कैसा चल रहा है। किसी मुख्यमंत्री में इस तरह के विचार होना किसी भी प्रांत के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

स्वच्छता का भी दिया संदेश

उन्होंने महाकुम्भ में आने वाले करोड़ों श्रद्धालुओं को संदेश भी दिया। उन्होंने कहा कि महाकुम्भ को स्वच्छ महाकुम्भ बनाने का जिम्मा सिर्फ सरकार और प्रशासन का नहीं है, बल्कि श्रद्धालुओं का भी है। मेरी सभी तीर्थयात्रियों से एक ही अपील है कि महाकुम्भ के दौरान स्नान के बाद अपने कपड़े, पुष्प और पन्नियां नदियों में और न ही तीर्थस्थल में अर्पण न करें। प्रयाग और गंगा का नाम लेने से ही पाप कट जाते हैं। माघ मास में यहां एक कदम चलने से अश्वमेध यज्ञ का फल मिलता है। यहां करोड़ों तीर्थ समाहित हैं। इसकी पवित्रता के लिए अधिक से अधिक प्रयास करें। तीर्थ का सम्मान करेंगे तो तीर्थ भी आपको सम्मान प्रदान करेंगे। स्नान के समय प्रयाग की धरा करोड़ों लोगों को मुक्ति प्रदान करती है। यहां ज्ञानी को भी और अज्ञानी को भी एक बराबर फल मिलता है।

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