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उत्तर प्रदेश

उप्र: योगी राज में लद गए दंगाइयों बलात्कारियों के दिन, मांगेंगे जान की भीख

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लखनऊ। उप्र में बलात्कारियों व दंगाइयों के दिन लद गए। योगी आदित्यनाथ के राज में रेप के आरोपियों को अग्रिम जमानत अब नहीं मिलेगी, दंगाइयों पर 5 लाख का जुर्माना लगाया जाएगा। इस आशय के दो विधेयक विधानसभा से पास हुए हैं।

विधानसभा के मानसून सत्र में CRPC संशोधन,लोक संपत्ति क्षति वसूली विधेयकों को मंजूरी मिल गई है जिसके अनुसार प्रदेश में महिलाओं और बच्चियों का यौन उत्पीड़न करने वालों को अब अग्रिम जमानत नही मिलेगी। साथ ही दंगाईयों और उपद्रवियों पर कम से कम पांच लाख रुपये का जुर्माना लगेगा।

विधानसभा सत्र में महिलाओं के साथ रेप की घटनाओं को रोकने के लिए योगी सरकार ने CRPC यानी ‘दंड प्रक्रिया संहिता (उप्र संशोधन) विधेयक 2022’  पारित किया।

विधेयक के मुताबिक महिलाओं,बालिकाओं के खिलाफ यौन उत्पीड़न के मामलों में CRPC की धारा-438 में संशोधन के साथ, IPC की धारा 376, 376A, 376AB, 376B, 376C, 376D, 376DA, 376DB और 376E में अब अग्रिम जमानत नही मिल सकेगी।

यौन अपराध करने वालों को सबूत नष्ट करने से रोकने और गवाहों को प्रताड़ित या भयभीत करने से रोकने के लिए यह  विधेयक पास किया गया है। इसी के साथ उप्र लोक तथा निजी संपत्ति क्षति वसूली (संशोधन) विधेयक 2022 भी विधानसभा से पास हुआ है।

इसके अनुसार प्रदेश में अब अगर दंगा, हिंसा या उपद्रव की वजह से किसी की मौत होती है तो दंगा फैलाने वाले से कम से कम पांच लाख रुपया मुआवजा वसूल किया जाएगा। साथ ही पीड़ित परिवार चाहे तो दंगाई से इससे ज्यादा पैसा भी मुआवजे के तौर पर मांग सकता है।

इसी के साथ हड़ताल, दंगा, उपद्रव या सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले उपद्रवी से नुकसान की वसूली की जाएगी। ये दोनों बिल विधानसभा से पास हो चुके हैं लेकिन अभी विधान परिषद और फिर राज्यपाल की मंजूरी की विधायी प्रक्रिया बाकी है।

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उत्तर प्रदेश

श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद को लेकर दाखिल याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में टली सुनवाई

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नई दिल्ली। मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद को लेकर दाखिल याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टल गई है। अगली सुनवाई एक अप्रैल से शुरू होगी। अगली सुनवाई तक कृष्णजन्मभूमि सर्वे मामले पर रोक जारी रहेगी। बता दें कि मुस्लिम पक्ष की कई याचिकाएं SC में दाखिल हुई हैं। इसमें विवादित जगह पर सर्वे की इजाज़त देने, निचली अदालत में लंबित सभी मुकदमों को हाई कोर्ट के अपने पास सुनवाई के लिए ट्रांसफर करने को चुनौती देने वाली याचिकाएं भी शामिल हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने और क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस आदेश पर अपनी रोक बढ़ा दी, जिसमें मथुरा में शाही ईदगाह मस्जिद परिसर के अदालत की निगरानी में सर्वेक्षण की अनुमति दी गई थी। यह परिसर कृष्ण जन्मभूमि मंदिर के निकट स्थित है, जो हिंदुओं के लिए महत्वपूर्ण धार्मिक महत्व का स्थल है। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि वह मस्जिद परिसर के अदालत की निगरानी में सर्वेक्षण के खिलाफ ‘ट्रस्ट शाही मस्जिद ईदगाह प्रबंधन समिति’ की याचिका पर सुनवाई अप्रैल से शुरू होने वाले सप्ताह के लिए टालते हैं।

पीठ ने कहा कि इस बीच, शाही ईदगाह मस्जिद परिसर के अदालत की निगरानी में सर्वेक्षण पर रोक लगाने वाला इलाहाबाद हाई कोर्ट का अंतरिम आदेश जारी रहेगा। शीर्ष अदालत ने पिछले साल 16 जनवरी को सबसे पहले हाई कोर्ट के 14 दिसंबर, 2023 के आदेश के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी थी। हाई कोर्ट ने शाही ईदगाह मस्जिद परिसर के अदालत की निगरानी में सर्वेक्षण की अनुमति दी थी और इसकी देखरेख के लिए एक अदालत आयुक्त की नियुक्ति पर सहमति व्यक्त की थी।

हिंदू पक्ष का दावा है कि परिसर में ऐसे संकेत हैं जो बताते हैं कि इस स्थान पर कभी मंदिर हुआ करता था। हिंदू पक्षों की ओर से पेश वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा था कि मस्जिद समिति की अपील हाई कोर्ट के 14 दिसंबर, 2023 के आदेश के खिलाफ दायर की गई थी और मामले से जुड़े आदेश निष्फल हो गए हैं।

 

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