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आध्यात्म

कल है विजया एकादशी का व्रत, जानें पूजाविधि व उपवास के नियम  

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Vijaya Ekadashi 2023

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नई दिल्ली। सनातन धर्म में एकादशी तिथि का बड़ा महत्व है। भगवतगीता में भगवान श्रीकृष्ण ने इस तिथि को स्वयं के समान ही माना है। मान्यता है कि इस पावन तिथि को विधि-विधान के साथ भगवान विष्णु के निमित्त पूजा और जितेन्द्रिय होकर व्रत करने वाले भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को विजया एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस साल विजया एकादशी का व्रत कल 16 फरवरी, गुरुवार को रखा जाएगा।

विजया एकादशी तिथि

पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 16 फरवरी दिन गुरुवार को सुबह 05 बजकर 32 मिनट पर शुरू हो रही है और 17 फरवरी को तड़के 02 बजकर 49 मिनट पर समाप्त हो रही है। उदयातिथि के आधार पर विजया एकादशी का व्रत 16 फरवरी को रखा जाएगा।

व्रत की महिमा

पद्म पुराण और स्कंद पुराण के अनुसार स्वयं भगवान राम ने लंका पर विजय प्राप्त करने के लिए इसी एकादशी का व्रत किया था।

मान्यता है कि विजया एकादशी का व्रत रखने और विधि-विधान से पूजा करने से विपरीत परिस्थितियां व्यक्ति के लिए अनुकूल होने लगती हैं  और शत्रुओं पर विजय प्राप्ति होती है।

विजया एकादशी व्रत के बारे में शास्त्रों में लिखा है कि यह व्रत करने से स्वर्णणदान, भूमि दान, अन्न दान और गौ दान से अधिक पुण्य फलों की प्राप्ति होती है और अंततः प्राणी को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

यह भी मान्यता है कि इस महानपुण्यदायक व्रत को करने से व्रती को वाजपेय यज्ञ का फल मिलता है एवं सभी मनोरथ सिद्ध होते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार यदि आपका कोई शत्रु आपको परेशान करता है तो उसे परास्त करने के लिए ये व्रत करना अच्छा रहता है।

पूजाविधि

विजया एकादशी पर शेषनाग की शैया पर विराजमान व लक्ष्मीजी जिनके चरण दबा रही हों, उन भगवान श्री नारायण की पूजा का विधान है।

पूजा के लिए सबसे पहले पूजा स्थल के ईशान कोण में एक वेदी बनाएं और उस पर सप्तधान रखें और यहां जल से भरा एक कलश स्थापित करें।

कलश में आम या अशोक के ताजे पत्तों को रखें और इसके बाद भगवान विष्णु की मूर्ति या फोटो स्थापित करें।

पंचामृत से स्नान करवाकर भगवान को पीले चंदन का तिलक लगाकर पीले फूल, मौसमी फल, तुलसी दल और नवैद्य आदि अर्पित कर धूप-दीप जलाएं और विजया एकादशी की व्रत कथा सुनें।

आखिर में दीप व कपूर से भगवान विष्णु की आरती करें।

यथाशक्ति पूरे दिन व्रत रखें और विष्णुजी के मंत्र ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ का जाप करें।

इस दिन विष्णुजी के मंदिर में दीपदान करना बहुत शुभ माना गया है।

व्रत के नियम

इस दिन हरि भक्तों को परनिंदा, छल-कपट, लालच, द्वेष की भावनाओं से दूर चाहिए और काले वस्त्र पहनने से बचना चाहिए।

यदि उपवास रखें तो बहुत उत्तम होगा, नहीं तो एक वेला सात्विक भोजन ग्रहण करें।

एकादशी के दिन चावल और भारी खाद्य का सेवन न करें।

इस दिन रात्रि के समय पूजा उपासना हरि कीर्तन करना बहुत पुण्यदायक माना गया है।

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आध्यात्म

मौनी अमावस्या स्नान के पहले नव्य प्रकाश व्यवस्था से जगमग हुई कुम्भ नगरी प्रयागराज

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महाकुम्भ नगर। त्रिवेणी के तट पर आस्था का जन समागम है। महाकुम्भ के इस आयोजन को दिव्य ,भव्य और नव्य स्वरूप देने के लिए इससे जुड़े शहर के उन मार्गों और चौराहों को भी आकर्षक स्वरूप दिया गया है जहां से होकर पर्यटक और श्रद्धालु महा कुम्भ पहुंच रहे हैं। इसी क्रम में अब सड़क किनारे के वृक्षों को रोशनी के माध्यम से नया स्वरूप दिया गया है।

मौनी से पहले शहर की प्रकाश व्यवस्था को दिया गया नया लुक

प्रयागराज महा कुम्भ आ रहे आगंतुकों के स्वागत के लिए की कुम्भ नगरी की सड़कों को सजाया गया, शहर के चौराहे सुसज्जित किए गए और बारी है सड़क के दोनों तरह मौजूद हरे भरे वृक्षों को नया लुक देने की । नगर निगम प्रयागराज ने इस संकल्प को धरती पर उतारा है। नगर निगम के मुख्य अभियंता ( विद्युत ) संजय कटियार बताते हैं कि शहर में सड़क किनारे लगे वृक्षों का नया लुक देने के यूपी में पहली बार नियॉन और थीमेटिक लाइट के संयोजित वाली प्रकाश व्यवस्था लागू की गई है। इस नई व्यवस्था में शहर के महत्वपूर्ण मार्गों के 260 वृक्षों के तनों, शाखाओं और पत्तियों में अलग अलग थीम की रोशनी लगाई गई है। इनमें नियॉन और स्पाइरल लाइट्स को इस तरह संयोजित किया गया है जिसे देखकर ऐसा प्रतीत होता है कैसे रात के अंधेरे में पूरा वृक्ष आलोकित हो गया है। शहर से गुजरकर महा कुम्भ जाने वक्ष पर्यटक और श्रद्धालु इस भव्य प्रकाश व्यवस्था का अवलोकन कर सकेंगे।

शहर के 8 पार्कों में भी लगाए म्यूरल्स

सड़कों और चौराहों के अलावा शहर के अंदर के छोटे बड़े पार्कों में भी पहली बार उन्हें सजाने के लिए नए ढंग से संवारा गया है। नगर निगम के चीफ इंजीनियर ( विद्युत) संजय कटियार का कहना है कि शहर के चयनित आठ पार्कों में पहली बार कांच और रोशनी के संयोजन से म्यूरल्स बनाए गए हैं जो वहां से गुजरने वालों का ध्यान खींच रहे हैं। 12 तरह के म्यूरल्स इन पार्कों में लगाए गए हैं जो बच्चों के लिए खास तौर पर आकर्षण का केंद्र बन रहे हैं। इसके पूर्व शहर शहर की 23 प्रमुख सड़कों , आरओबी , और फ्लाईओवर्स पर स्ट्रीट लाइट और पोल पर अलग-अलग थीम पर आधारित रंग-बिरंगे डिजाइन वाले मोटिव्स लगाए गए थे ।

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