ऑफ़बीट
WORLD STUDENT DAY : डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की जयंती आज, युवाओं और बच्चों के हित के लिए किए अनेक काम
नई दिल्ली। आज भारत के पूर्व राष्ट्रपति और मिसाइलमैन के रूप में प्रसिद्ध महान वैज्ञानिक डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की जयंती मनाई जा रही है। उनकी जयंती को विश्व छात्र दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। डॉ. कलाम ने अपना पूरा जीवन पूरे भारत में बच्चों की शिक्षा और कल्याण में सुधार के लिए समर्पित कर दिया।
18 जुलाई 2002 को भारत के 11वें राष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने देश के युवाओं और बच्चों के हित के लिए काम किया। उनके विचार आज भी युवाओं को प्रेरित करने का काम करते हैं। आज हम आपके लिए एपीजे अब्दुल कलाम के अनमोल विचार लेकर आए हैं जो आपको सही दिशा और मार्ग दिखाने का काम करेंगे।
कभी हार ना मानने वाले थे कलाम
अपनी आत्मकथा में उन्होंने लिखा, “मैं SLV- 3 सेटेलाइट लांच व्हीकल तथा पहली स्वदेशी मिसाइल ‘अग्नि’ की प्रोजेक्ट टीम का मुखिया था. सरकार और जनता ने हमसे बहुत आशाएं लगा रखी थीं. काम पर मीडिया की भी पैनी नजर थी. SLV पहले ही चरण में असफल रहा. ‘अग्नि’ का परीक्षण भी कठिन दौर में था. हम भारी दबाव में थे. मैं और पूरी टीम चिंतित थे. नकारात्मक माहौल में हमारी सफलताएं भी धूमिल दिख रही थीं। उस कठिन समय में वे और उनके साथी निरंतर कमियों की समीक्षा करते रहे और खुद के भीतर झांकते रहे. कलाम ने ऐसे समय में सहयोगियों के समर्पण भाव और आगे सफलता के पहले वे जिन तकलीफों से गुजरे, को सदैव याद रखा. उन्होंने लिखा, ‘ मैंने अपने जीवनकाल में हर समय इसे महसूस किया तथा उन अनुभूतियों को शब्दों में बयान नहीं कर सकता. “
छात्रों को हमेशा अच्छा मार्गदर्शन देते थे।
डॉ. कलाम ने छात्रों को हमेशा प्रोत्साहित किया और उन्हें बहुमूल्य ज्ञान दिया. उनका कहना था कि “अगर आप असफल होते हैं, तो कभी हार न मानें क्योंकि F.A.I.L. का अर्थ है ‘सीखने में पहला प्रयास (First Attempt In Learning)’ अंत अंत नहीं है (End is not the end), दरअसल ई.एन.डी. का अर्थ है ‘प्रयास कभी नहीं मरता.’ यदि आपको जवाब में ‘NO’ मिलता है, तो याद रखें कि एन.ओ. का अर्थ है ‘नेक्स्ट अपॉर्चुनिटी’ तो, आइए पोजिटिव सोच बनाए रखें।
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कौन है महाकुंभ की मोनालिसा ? जो सोशल मीडिया पर हो रही है वायरल
महाकुंभ नगर। प्रयागराज के महाकुंभ में चर्चे साधुओं के होने चाहिए लेकिन इस बार सुर्खियों में कभी आईआईटियन अभय सिंह होते हैं, कभी एंकरिग छोड़कर शिष्या बनी हर्षा रिछारिया कुंभ का सबसे चर्चित चेहरा हो जाती हैं. इसी फेहरिस्त में एक नाम और जुड़ा है मोनालिसा का. नाम से आपको लग रहा होगा कि क्या ये लड़की विदेश से यहां कुंभ मेले में आई है. लेकिन जब हम आपको मोनालिसा के बारे में बताएंगे तो आप चकित हो जाएंगे.
ब्राउन आंखों वाली लड़की सोशल मीडिया पर छाई
‘मोनालिसा’ की पेंटिग की तरह ही बेहद खूबसूरत मोनालिसा महाकुंभ की ब्राउन आंखों वाली लड़की के नाम से सोशल मीडया पर ट्रेंड कर रही है. लोग उसके वीडियो बनाने के साथ सेल्फी लेने उसे तलाश रहे हैं. सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहे इस लड़की के वीडियो को दुनिया की खूबसूरत लड़कियों में से एक कहा जा रहा है. कौन है ये मोनालिसा और नीली आंखों वाली लड़की कुंभ में आई क्यों है.
ब्राउन आंखें, हाथ में पीली नीली माला
महाकुंभ में ब्राउन आंखों वाली लड़की मोनालिसा के वीडियो खूब देखे और सराहे जा रहे हैं. मोनालिसा ना किसी आश्रम में रुकी हैं. ना किसी महामंडलेश्वर की शिष्या हैं. मोनालिसा साधू संतों को मालाएं बेचने के लिए इस महाकुंभ में आई हैं. केवल प्रयागराज ही नहीं काशी से लेकर गुजरात तक हर जगह ये रंग बिरंगी मालाएं लेकर साधु संतों के डेरे में पहुंचती हैं. पहली बार फेसुबक और इंस्टाग्राम पर ही मोनालिसा के वीडियो देखे गए और फिर वायरल हो गए. इनमें ज्यादातर वीडियो आम लोगों ने ही बनाए हैं. जो इस वीडियो में मोनालिसा से पूछते हैं कि आखिर उसके यहां आने की वजह क्या है.
जगह-जगह मालाएं बेचती है मोनालिसा
इस पर मोनालिसा जवाब देती है कि, ”वो यहां साधू संतों को मालाएं बेचने आई हैं. उसके हाथ में कई सारी रंगबिरंगी मालाएं होती हैं.” कई वीडियो बनाते हुए मोनालिसा से कहते हैं कि आप बेहद खूबसूरत हैं. कई सिर्फ एक सैल्फी के लिए मोनालिसा के पीछे पीछे घूमते हैं. मोनालिसा बताती हैं कि, ”वे यहां साधू संतों को मालाएं बेचने आई हैं और देश में जितनी धार्मिक नगरी हैं, जहां भी धार्मिक समागम होता है वो मालाएं बेचने पहुंचती है.
मोनालिसा का करना हुआ मुश्किल
मोनालिसा वायरल होने के बाद भी कुंभ में माला बेचने का काम कर रही थी। लेकिन उनके पास हर समय लोगों की भीड़ लगी रहती। यूट्यूबर्स उनके साथ वीडियो बनाने के लिए आने लगे। जिसकी वजह से मोनालिसा अपना काम नहीं कर पा रही थी। इस दौरान वह माला बेचने के लिए निकलती तो वह मास्क और काला चश्मा लगाकर निकलती थी, ताकि लोग उसको पहचाने नहीं। लेकिन लोग फिर भी सेल्फी और वीडियो बनाने के लिए पीछा नहीं छोड़ रहे थे।
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