प्रादेशिक
अब RTPCR रिपोर्ट दिखाकर बंदियों से मिल सकेंगे परिजन, जेलों में सक्रिय हुए कोविड हेल्प डेस्क
शासनादेश के अनुसार आरटी पीसीआर रिपोर्ट प्रस्तुत करने पर बंदियों के परिजनों से आज दिनांक 16 अगस्त से मुलाकात प्रारंभ करने के निर्देश प्राप्त हुए हैं जिसके तहत आज जेलों की कोविड हेल्प डेस्क को सक्रिय किया गया है।
परिजनों द्वारा कारागार पर कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए 72 घण्टे पूर्व की RTPCR रिपोर्ट के साथ मास्क लगाकर आने पर एक बंदी से दो परिजनो की एक सप्ताह में एक बार मुलाकात कराई जा रही है। 12 बजे दोपहर तक 23 जेलों से प्राप्त सूचना के अनुसार कुल 269 लोगों ने जेलों में निरुद्ध बंदियों से मुलाकात की है।
मुलाकात का निर्धारित समय 2:00 बजे तक है।
अब तक हुई मुलाकात का विवरण निम्नवत है :-
सेंट्रल जेल बरेली में 12
नोएडा में 18
लखनऊ 64
फिरोजाबाद 06
बाराबंकी 14
उन्नाव 02
सीतापुर 12
मैनपुरी 46
पीलीभीत03
बस्ती 04
चित्रकूट 04
जिला जेल वाराणसी 06
मुरादाबाद 38
जिला जेल आगरा 24
गाजीपुर 03
इटावा 09
गाजियाबाद 03
जिला जेल फतेहगढ़ 01
कासगंज, ललितपुर ,हमीरपुर, सिद्धार्थनगर, कौशाम्बी, फतेहपुर आदि जेलों पर पहुंचे लोग RTPCR रिपोर्ट नहीं लिए हुए थे। अतः आज भी इण्टरकॉम से उनकी वार्ता कराई गई और भविष्य में RTPCR रिपोर्ट लेकर आने को कहा गया।
फ्लेक्स, बैनर, प्रिंट इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया के माध्यम से जनसामान्य कोअवगत कराया जा रहा है कि जेलों में मुलाकातें प्रारंभ हो गई हैं। मास्क लगाकर आने और RTPCR रिपोर्ट लेकर आने पर एक बंदी से अधिकतम 2 बंदियों की मुलाकात कराई जा सकती है।
उत्तर प्रदेश
निराश्रित बच्चों के लिए सुरक्षित और संवेदनशील वातावरण बनाने में जुटी योगी सरकार
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में महिला कल्याण विभाग ने बच्चों के सर्वांगीण विकास और सुरक्षा के लिए एक नई और महत्वपूर्ण पहल की है। इस पहल के तहत राज्य के विभिन्न जनपदों में 10 नए बाल संरक्षण गृहों का निर्माण और संचालन किया जाएगा। इन संरक्षण गृहों का उद्देश्य बच्चों को सुरक्षित और स्वस्थ वातावरण प्रदान करना है, जहाँ वे अच्छे नागरिक के रूप में विकसित हो सकें।
वाराणसी, गोरखपुर, लखनऊ, अयोध्या समेत 10 जिलों में बनेंगे नए बाल संरक्षण गृह
महिला कल्याण विभाग द्वारा प्रस्तावित इस योजना के अनुसार, प्रदेश के मथुरा, प्रयागराज, कानपुर नगर, आजमगढ़, झांसी, अमेठी, फिजाबाद, देवरिया, सुल्तानपुर, तथा ललितपुर में इन संरक्षण गृहों की स्थापना की जाएगी। हर संरक्षण गृह में 100-100 बच्चों को रखने की क्षमता होगी, जिससे अधिक से अधिक बच्चों को लाभान्वित किया जा सके। इनमें 1 राजकीय बाल गृह(बालिका) 1 राजकीय बाल गृह (बालक), 7 राजकीय संप्रेक्षण गृह (किशोर), किशोर न्याय बोर्ड सहित 1 प्लेस ऑफ सेफ्टी गृह शामिल है। इन संरक्षण गृहों में बच्चों को न केवल रहने की सुविधाएं दी जाएंगी, बल्कि उनके शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक विकास का भी ध्यान रखा जाएगा।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशानुरूप महिला एवं बाल विकास विभाग इन संरक्षण गृहों की स्थापना से असहाय और संवेदनशील बच्चों को एक नया जीवन देकर समाज की मुख्यधारा से जोड़ने का प्रयास कर रहा है। इन गृहों में बच्चों को एक संरक्षित वातावरण में शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, मानसिक स्वास्थ्य सहायता और जीवन कौशल जैसी सुविधाएं प्रदान की जाएंगी।
समाज में बदलाव लाने की दिशा में एक बड़ा कदम
इस योजना के तहत राज्य सरकार ने बाल संरक्षण गृहों के निर्माण के लिए आवश्यक फंड भी निर्धारित किए हैं। सभी गृहों का निर्माण योगी सरकार अपने बजट से करेगी। वहीं इन गृहों के संचालन में केंद्र सरकार द्वारा मिशन वात्सल्य योजना के प्राविधानों के केंद्रांश-60 प्रतिशत और राज्यांश-40 प्रतिशत के अनुसार राज्य सरकार पर 7.96 करोड़ रुपये का व्ययभार आएगा। इसके साथ ही मुख्यमंत्री बाल आश्रय योजना के अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2024-25 में 100 करोड़ रुपये का बजट प्रावधान किया गया है। योजना के सफल संचालन के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यह भी सुनिश्चित किया है कि इन गृहों का निर्माण और प्रबंधन गुणवत्ता मानकों के अनुसार किया जाएगा। इसके लिए सरकार ने टेंडर प्रक्रिया के माध्यम से कंसल्टेंट्स का चयन भी किया है, ताकि इन बाल संरक्षण गृहों में दी जाने वाली सेवाओं का उच्चतम स्तर सुनिश्चित किया जा सके।
बाल अधिकारों की रक्षा में सीएम योगी का सशक्त प्रयास
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का उद्देश्य है कि राज्य का कोई भी बच्चा असुरक्षित या उपेक्षित महसूस न करे। सीएम योगी ने कहा कि बच्चों के अधिकारों की रक्षा करना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए, क्योंकि वे समाज के भविष्य हैं। इस योजना के तहत बच्चों के अधिकारों की रक्षा के लिए विशेष प्रशिक्षित कर्मचारियों की नियुक्ति की जाएगी, जो उनकी सुरक्षा और कल्याण के प्रति संजीदा होंगे। इन बाल संरक्षण गृहों में बच्चों को उनकी उम्र और जरूरतों के हिसाब से सेवाएं दी जाएंगी, ताकि वे मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ रह सकें।
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