प्रादेशिक
प्रदेश में कोरोना संक्रमण अन्य प्रदेशों की तुलना में न्यूनतम स्तर पर है : नवनीत सहगल
लखनऊ। अपर मुख्य सचिव ‘सूचना’ श्री नवनीत सहगल ने बताया कि मुख्यमंत्री जी के 3टी ट्रेस, टेस्ट और ट्रीट अभियान के साथ-साथ अभिनव प्रयोग करते हुए आशिंक कोरोना कर्फ्यू तथा टीकाकरण से प्रदेश में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर को नियंत्रित करने में सफलता मिली है। इस अभिनव प्रयोग में कोरोना संक्रमण में निरन्तर कमी आ रही है। प्रदेश में संक्रमण अन्य प्रदेशों की तुलना में न्यूनतम स्तर पर है। उन्होंने बताया कि 97 हजार ग्रामीण पंचायतों में 5 मई, 2021 से एक विशेष अभियान चलाकर, जिसमें 80 हजार निगरानी समितियों द्वारा घर-घर जाकर उन लोगों का जिनमें किसी प्रकार के संक्रमण के लक्षण होने पर उनका टेस्ट भी कराया जा रहा है। एन्टीजन टेस्ट निगेटिव आने पर उनका आरटीपीसीआर टेस्ट भी कराया जा रहा है, इसके साथ-साथ लगभग 16 लाख से अधिक मेडिकल किट भी निःशुल्क बांटी गयी है। उन्होने बताया कि प्रदेश में सक्रिय मामले कम होने पर भी कोविड-19 के टेस्ट करने की संख्या घटाई नहीं जा रही हैं।
श्री सहगल ने बताया मुख्यमंत्री जी द्वारा कोविड-19 प्रबंधन हेतु गठित टीम-09 में निर्देश पर ‘‘मिशन शक्ति‘‘ अभियान को फिर से प्रारम्भ किया जा रहा है। महिलाओं के लिए संचालित सभी योजनाओं का लाभ महिलाओं को मिले। इस अभियान के तहत महिलाओं से संबधित मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना, महिला उद्यमियों का प्रशिक्षण और मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह जैसी योजनाओं से पात्र व्यक्तियों को इस योजना का लाभ दिया जायेगा। मुख्यमंत्री जी ने मिशन शक्ति के अगले चरण की विस्तृत कार्ययोजना तैयार करने के लिए कहा है। मुख्यमंत्री जी ने कहा है कि कोरोना संक्रमण काल में राजकीय कर्मियों के स्थगित किये गए डीए को जारी करने के सम्बंध में वित्त विभाग तैयारी करते हुए शीघ्र प्रस्ताव प्रस्तुत करने को कहा है। मुख्यमंत्री जी ने कहा कि एल्डर हेल्पलाइन के माध्यम से अकेले रह रहे बुजुर्गों की पूरी सूची जिले स्तर पर होनी चाहिए। जिसमें यह भी अंकित होना चाहिए कि बुजुर्गों को किस प्रकार की बीमारी है, ताकि जरूरत पड़ने पर तत्काल उपचार कराया जा सके। स्वास्थ्य एवं समाज कल्याण विभाग के आपसी समन्वय से अकेले रह रहे बुजर्गों का हेल्पलाइन के माध्यम से सहयोग किया जाये। मुख्यमंत्री जी ने अगले दो से चार माह में पूरी होने वाली बड़ी परियोजनाओं की सूची प्रस्तुत करने को कहा है।
अपर मुख्य सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य श्री अमित मोहन प्रसाद ने बताया कि मुख्यमंत्री जी के निर्देशानुसार प्रदेश में बड़ी संख्या में संक्रमण कम होने के बावजूद, टेस्टिंग कम नहीं की जा रही है। गत एक दिन में कुल 2,53,094 सैम्पल की जांच की गयी है। प्रदेश में अब तक कुल 6,47,56,042 सैम्पल की जांच की गयी है तथा आरटीपीसीआर के लिए 1,24,978 सैम्पल भेजे गये है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में पिछले 24 घंटे में कोरोना संक्रमण के 89 नये मामले आये हैं। प्रदेश में विगत 24 घंटे में 116 लोग तथा अब तक 16,84,790 लोग कोविड-19 से ठीक हो चुके हैं। प्रदेश में कोरोना के कुल 768 एक्टिव मामले हैं। उन्होंने बताया कि सर्विलांस की कार्यवाही निरन्तर चल रही है। प्रदेश में अब तक सर्विलांस टीम के माध्यम से 2,95,358 क्षेत्रों में 6,48,527 टीम दिवस के माध्यम से 3,58,64,760 घरों के 17,24,03,620 जनसंख्या का सर्वेक्षण किया गया है।
श्री प्रसाद ने बताया कि कोविड वैक्सीनेशन का कार्य निरन्तर किया जा रहा है। प्रदेश में 3,82,87,571 लोगों को वैक्सीन की पहली डोज तथा 74,29,885 दूसरी डोज दी जा चुकी है। अब तक कुल 4,57,17,456 डोजें लगायी गयी हैं। प्रदेश में विगत 24 घंटे में 4,62,936 डोज दी गयी। इस महीने में अब तक 01 करोड़ 45 लाख से अधिक डोज दी जा चुकी है। प्रदेश में कोविड संक्रमण अभी समाप्त नहीं हुआ है। इसलिए कोविड प्रोटोकाल का पालन करे।
प्रादेशिक
हरियाणा सरकार ने नौकरियों में अनुसूचित जातियों के लिए उप-वर्गीकरण लागू किया
हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने बुधवार को घोषणा की कि राज्य सरकार ने सरकारी नौकरियों में अनुसूचित जातियों (एससी) के लिए आरक्षण का उप-वर्गीकरण लागू किया है। हरियाणा विधानसभा में बोलते हुए, सीएम सैनी ने कहा, “विधानसभा सत्र में है और मुझे लगा कि सदन को इस सत्र में सुप्रीम कोर्ट द्वारा कुछ दिन पहले दिए गए फैसले के बारे में जानकारी मिलनी चाहिए, जिसे अनुसूचित जातियों के वर्गीकरण के संबंध में इस अधिसूचना के माध्यम से हमारे मंत्रिमंडल द्वारा पहले ही मंजूरी दे दी गई थी। हरियाणा में सरकारी नौकरियों में अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षण के वर्गीकरण के संबंध में आज लिया गया निर्णय तुरंत प्रभाव से लागू होगा। और पांच बजे के बाद, आम जनता इसे मुख्य सचिव की वेबसाइट से देख सकती है।”
1 अगस्त को, सुप्रीम कोर्ट ने 6:1 के बहुमत के फैसले से फैसला सुनाया कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (एससी/एसटी) आरक्षण के भीतर उप-वर्गीकरण अनुमेय है। इस मामले में छह अलग-अलग राय दी गईं। यह निर्णय भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली सात न्यायाधीशों की पीठ ने सुनाया, जिसने ईवी चिन्नैया मामले में पहले के निर्णयों को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि उप-वर्गीकरण की अनुमति नहीं है क्योंकि एससी/एसटी समरूप वर्ग बनाते हैं। सीजेआई चंद्रचूड़ के अलावा, पीठ में अन्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति बीआर गवई, विक्रम नाथ, बेला एम त्रिवेदी, पंकज मिथल, मनोज मिश्रा और सतीश चंद्र शर्मा थे।
न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी ने असहमति जताते हुए कहा कि वह बहुमत के फैसले से असहमत हैं कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के भीतर उप-वर्गीकरण की अनुमति है। भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और मनोज मिश्रा द्वारा लिखे गए फैसले में, उन्होंने कहा कि संविधान का अनुच्छेद 14 एक ऐसे वर्ग के उप-वर्गीकरण की अनुमति देता है जो कानून के उद्देश्य के लिए समान रूप से स्थित नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने एससी/एसटी में पहचान करने वाले क्रीमी वकील की आवश्यकता पर विचार किया क्योंकि संविधान पीठ के सात में से चार न्यायाधीशों ने इन लोगों को सकारात्मक आरक्षण के लाभ से बाहर रखने का सुझाव दिया। न्यायमूर्ति बीआर गवई ने अपना विचार व्यक्त किया था कि राज्य को अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों (एससी/एसटी) के लिए क्रीमी लेयर की पहचान करने के लिए एक नीति विकसित करनी चाहिए।
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