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बिजनेस

अडानी समूह बाजार से जुटाएगा 20,000 करोड़ रुपये, मिली अनुमति

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अडानी समूह

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नई दिल्ली। अडानी समूह को 20,000 करोड़ रुपये जुटाने की अनुमति मिल गई है। अंबुजा सीमेंट्स की असाधारण आम बैठक (EGM) में इस आशय का प्रस्ताव पारित कर दिया गया।  अंबुजा सीमेंट्स लिमिटेड की ओर से बताया गया कि उसकी असाधारण आम बैठक में रखे गए सभी प्रस्तावों को शेयरधारकों की मंजूरी मिल गई है। कंपनी ने शेयर बाजारों को भी यह जानकारी दे दी है।

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कंपनी ने बताया कि ईजीएम (EGM) में अडानी समूह की कंपनी हार्मोनिया ट्रेड एंड इन्वेस्टमेंट लि. को तरजीही आधार पर सिक्योरिटी जारी करके 20,000 करोड़ रुपये जुटाने के एक विशेष प्रस्ताव को भी पारित किया। इस प्रस्ताव के पक्ष में 91.37 प्रतिशत शेयरधारकों के मत पड़े।

इसके अलावा अडानी समूह के चेयरमैन गौतम अडानी, उनके बेटे करण अडानी और दो निदेशकों तथा चार स्वतंत्र निदेशकों को अंबुजा सीमेंट्स के निदेशक मंडल में नियुक्त करने संबंधी प्रस्ताव को भी शेयरधारकों ने मंजूर दी। ईजीएम (EGM) में गौतम अडानी मौजूद नहीं थे और उनकी जगह बैठक की अध्यक्षता उनके बेटे करण अडानी ने की।

इस हफ्ते की शुरुआत में संस्थागत निवेशक परामर्श कंपनी आईआईएए (IIAA) ने शेयरधारकों को 20,000 करोड़ रुपये जुटाने के प्रस्ताव के खिलाफ मत देने की सलाह दी थी। ईजीएम में 12 प्रस्तावों को मंजूरी मिली।

गौरतलब है कि अडानी ग्रुप ने पिछले महीने अंबुजा सीमेंट्स और एसीसी सीमेंट का अधिग्रहण सौदा पूरा हो जाने की घोषणा की थी। करीब 53,800 करोड़ रुपये के लेनदेन वाले इस सौदे के तहत इन दोनों सीमेंट उत्पादक कंपनियों में स्विस कंपनी होल्सिम की हिस्सेदारी को अडानी समूह ने ले लिया है।

बिजनेस

जेट एयरवेज की संपत्तियों की होगी बिक्री

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के आदेश को रद्द करते हुए दिवाला और दिवालियापन संहिता (आईबीसी) के अनुसार निष्क्रिय जेट एयरवेज के परिसमापन का आदेश दिया। एनसीएलएटी ने पहले कॉरपोरेट दिवालियापन समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) के हिस्से के रूप में जालान कालरॉक कंसोर्टियम (जेकेसी) को एयरलाइन के स्वामित्व के हस्तांतरण को बरकरार रखा था। सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश जारी करते हुए कहा कि जेकेसी संकल्प का पालन करने में विफल रहा क्योंकि वह 150 करोड़ रुपये देने में विफल रहा, जो श्रमिकों के बकाया और अन्य आवश्यक लागतों के बीच हवाई अड्डे के बकाया को चुकाने के लिए 350 करोड़ रुपये की पहली राशि थी। नवीनतम निर्णय एयरलाइन के खुद को पुनर्जीवित करने के संघर्ष के अंत का प्रतीक है।

NCLT को लगाई फटकार

पीठ की ओर से फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति पारदीवाला ने एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ एसबीआई तथा अन्य ऋणदाताओं की याचिका को स्वीकार कर लिया। याचिका में जेकेसी के पक्ष में जेट एयरवेज की समाधान योजना को बरकरार रखने के फैसले का विरोध किया गया है। न्यायालय ने कहा कि विमानन कंपनी का परिसमापन लेनदारों, श्रमिकों और अन्य हितधारकों के हित में है। परिसमापन की प्रक्रिया में कंपनी की संपत्तियों को बेचकर प्राप्त धन से ऋणों का भुगतान किया जाता है। पीठ ने एनसीएलएटी को, उसके फैसले के लिए फटकार भी लगाई।

शीर्ष अदालत ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी विशेष शक्तियों का इस्तेमाल किया, जो उसे अपने समक्ष लंबित किसी भी मामले या मामले में पूर्ण न्याय सुनिश्चित करने के लिए आदेश तथा डिक्री जारी करने का अधिकार देता है। एनसीएलएटी ने बंद हो चुकी विमानन कंपनी की समाधान योजना को 12 मार्च को बरकरार रखा था और इसके स्वामित्व को जेकेसी को हस्तांतरित करने की मंजूरी दी थी। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) और जेसी फ्लावर्स एसेट रिकंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड ने एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ अदालत का रुख किया था।

 

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