बिजनेस
राजस्थान में अडानी ग्रुप के निवेश से पैदा होंगे कई हजार रोजगार के मौके
जयपुर। अडानी ग्रुप राजस्थान में अगले 5-7 साल में रिन्यूएबल एनर्जी समेत अलग-अलग सेक्टर में 65,000 करोड़ रुपये निवेश करेगा। अडानी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी ने शुक्रवार को राजस्थान निवेश सम्मेलन के उद्घाटन सेशन में कहा, ‘हम राज्य में सभी मौजूदा और भविष्य की परियोजनाओं में अगले 5-7 साल में 65,000 करोड़ रुपये निवेश की उम्मीद कर रहे हैं। इससे प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से रोजगार के 40,000 मौके तैयार होंगे।’
अडानी ने कहा कि रिन्यूएबल एनर्जी में 10,000 मेगावाट क्षमता की परियोजनाएं क्रियान्वयन के विभिन्न स्तर पर हैं। इसमें 50,000 करोड़ रुपये निवेश किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘हमने राज्य में हाइब्रिड परियोजना (पवन और सौर) का वाणिज्यिक परिचालन शुरू किया है।’
उन्होंने आगे कहा कि इसके अलावा समूह राज्य में सीमेंट विनिर्माण क्षमता को दोगुना करने के लिए 7,000 करोड़ रुपये निवेश करेगा। उल्लेखनीय है कि कंपनी ने हाल में अंबुजा सीमेंट और एसीसी का अधिग्रहण किया है।
क्या है योजना?
अडानी ने कहा कि राज्य की अन्य परियोजनाओं में जयपुर हवाई अड्डे को वैश्विक स्तर की सुविधाओं वाला बनाना, पीएनजी एवं सीएनजी के आपूर्ति नेटवर्क का विकास तथा स्वच्छ ईंधन की उपलब्धता को तेजी से बढ़ाना शामिल है।
उन्होंने कहा कि उत्पादित नवीकरणीय ऊर्जा के लिए नई पारेषण परियोजना का निर्माण भी किया जाएगा। उन्होंने कहा कि राजस्थान सरकार की अनूकूल औ्दयोगिक नीतियों से राज्य निश्चित रूप से तेजी से विकास करेगा।
बिजनेस
जेट एयरवेज की संपत्तियों की होगी बिक्री
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के आदेश को रद्द करते हुए दिवाला और दिवालियापन संहिता (आईबीसी) के अनुसार निष्क्रिय जेट एयरवेज के परिसमापन का आदेश दिया। एनसीएलएटी ने पहले कॉरपोरेट दिवालियापन समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) के हिस्से के रूप में जालान कालरॉक कंसोर्टियम (जेकेसी) को एयरलाइन के स्वामित्व के हस्तांतरण को बरकरार रखा था। सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश जारी करते हुए कहा कि जेकेसी संकल्प का पालन करने में विफल रहा क्योंकि वह 150 करोड़ रुपये देने में विफल रहा, जो श्रमिकों के बकाया और अन्य आवश्यक लागतों के बीच हवाई अड्डे के बकाया को चुकाने के लिए 350 करोड़ रुपये की पहली राशि थी। नवीनतम निर्णय एयरलाइन के खुद को पुनर्जीवित करने के संघर्ष के अंत का प्रतीक है।
NCLT को लगाई फटकार
पीठ की ओर से फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति पारदीवाला ने एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ एसबीआई तथा अन्य ऋणदाताओं की याचिका को स्वीकार कर लिया। याचिका में जेकेसी के पक्ष में जेट एयरवेज की समाधान योजना को बरकरार रखने के फैसले का विरोध किया गया है। न्यायालय ने कहा कि विमानन कंपनी का परिसमापन लेनदारों, श्रमिकों और अन्य हितधारकों के हित में है। परिसमापन की प्रक्रिया में कंपनी की संपत्तियों को बेचकर प्राप्त धन से ऋणों का भुगतान किया जाता है। पीठ ने एनसीएलएटी को, उसके फैसले के लिए फटकार भी लगाई।
शीर्ष अदालत ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी विशेष शक्तियों का इस्तेमाल किया, जो उसे अपने समक्ष लंबित किसी भी मामले या मामले में पूर्ण न्याय सुनिश्चित करने के लिए आदेश तथा डिक्री जारी करने का अधिकार देता है। एनसीएलएटी ने बंद हो चुकी विमानन कंपनी की समाधान योजना को 12 मार्च को बरकरार रखा था और इसके स्वामित्व को जेकेसी को हस्तांतरित करने की मंजूरी दी थी। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) और जेसी फ्लावर्स एसेट रिकंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड ने एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ अदालत का रुख किया था।
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