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आध्यात्म

इस सकट चौथ पर बन रहा अद्भुत योग, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

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Sakat Chauth

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नई दिल्ली। हिंदी मास माघ के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को सकट चौथ का व्रत रखा जाता है। इस दिन महिलाएं अपनी संतान की लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य के लिए व्रत रखती हैं। सकट चौथ के दिन तिल कुटा बनाने का भी विधान है। इस दिन मिट्टी से बने गौरी, गणेश और चंद्रमा की पूजा की जाती है।

माना जाता है कि इस दिन गणपति जी की विधिवत पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सकट चौथ के दिन कुछ खास उपाय करने से व्यक्ति को हर क्षेत्र में सफलता हासिल होती है। इसके साथ ही आर्थिक स्थिति मजबूत होती है। जानिए सकट चौथ के दिन किन उपायों को करना होगा शुभ।

सकट चौथ का शुभ मुहूर्त

माघ माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि आरंभ- 10 जनवरी 2023 को दोपहर 12 बजकर 9 मिनट पर

चतुर्थी तिथि समाप्त- 11 जनवरी 2023 दोपहर 02 बजकर 31 मिनट पर

चंद्रोदय- रात 8 बजकर 41 मिनट पर होगा।

सर्वार्थ सिद्धि योग- सुबह 07 बजकर 15 मिनट से 9 बजकर 1 मिनट से

आयुष्मान योग- सुबह 11 बजकर 20 20 से लेकर 11 जनवरी सुबह 12 बजकर 2 मिनट तक

प्रीति योग- सूर्योदय से लेकर 11 बजकर 20 मिनट तक

सकट चौथ पर करें ये उपाय

कार्य में सफलता के लिए

हर काम में सफलता पाने के लिए सकट चौथ के दिन भगवान गणेश को गेंदे का पीला फूल चढ़ाएं। इसके साथ ही भोग में मोदक अर्पित करें।साथ ही भगवान गणेश को दो सुपारी और दो इलायची भी अर्पित करें।

हर कष्ट दूर करने के लिए

जीवन में आ रहे हर कष्ट, बाधा को दूर करने के लिए सकट चौथ के दिन भगवान गणेश की विधिवत पूजा करें। इसके साथ ही इस मंत्र का जाप करें। मंत्र-  ‘ॐ गं गौं गणपतये विघ्न विनाशिने स्वाहा’

सुख-समृद्धि के लिए

सकट चौथ के दिन भगवान गणेश को जोड़े में दूर्वा अर्पित करें। इसके साथ ही दूर्वा अर्पित करते समय ‘इदं दुर्वादलं ॐ गं गणपतये नमः’ मंत्र को बोले। ऐसा करने से भगवान गणेश जल्द प्रसन्न होंगे।

आर्थिक स्थिति मजबूत करने के लिए

सकट चौथ के दिन गणपति जी को घी और गुड़ का भोग लगाएं। इसके बाद इसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करें। ऐसा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होगी और आर्थिक तंगी से छुटकारा मिलेगा।

डिसक्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी की सटीकता की हमारी गारंटी नहीं है। संबंधित विशेषज्ञ से अवश्य सलाह लें।

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आध्यात्म

महाकुम्भ 2025: बड़े हनुमान मंदिर में षोडशोपचार पूजा का है विशेष महत्व, पूरी होती है हर कामना

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महाकुम्भनगर| प्रयागराज में संगम तट पर स्थित बड़े हनुमान मंदिर का कॉरिडोर बनकर तैयार हो गया है। यहां आने वाले करोड़ों श्रद्धालु यहां विभिन्न पूजा विधियों के माध्यम से हनुमान जी की अराधना करते हैं। इसी क्रम में यहां षोडशोपचार पूजा का भी विशेष महत्व है। षोडशोपचार पूजा करने वालों की हर कामना पूरी होती है, जबकि उनके सभी संकट भी टल जाते हैं। मंदिर के महंत और श्रीमठ बाघंबरी पीठाधीश्वर बलवीर गिरी जी महाराज ने इस पूजा विधि के विषय में संक्षेप में जानकारी दी और यह भी खुलासा किया कि हाल ही में प्रयागराज दौरे पर आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी मंदिर में षोडशोपचार विधि से पूजा कराई गई। उन्हें हनुमान जी के गले में पड़ा विशिष्ट गौरीशंकर रुद्राक्ष भी भेंट किया गया। उन्होंने भव्य और दिव्य महाकुम्भ के आयोजन के लिए पीएम मोदी और सीएम योगी का आभार भी जताया।

16 पदार्थों से ईष्ट की कराई गई पूजा

लेटे हनुमान मंदिर के महंत एवं श्रीमठ बाघंबरी पीठाधीश्वर बलवीर गिरी जी महाराज ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक यजमान की तरह महाकुम्भ से पहले विशेष पूजन किया। प्रधानमंत्री का समय बहुत महत्वपूर्ण था, लेकिन कम समय में भी उनको षोडशोपचार की पूजा कराई गई। पीएम ने हनुमान जी को कुमकुम, रोली, चावल, अक्षत और सिंदूर अर्पित किया। यह बेहद विशिष्ट पूजा होती है, जिसमें 16 पदार्थों से ईष्ट की आराधना की। इस पूजा का विशेष महत्व है। इससे संकल्प सिद्धि होती है, पुण्य वृद्धि होती है, मंगलकामनाओं की पूर्ति होती और सुख, संपदा, वैभव मिलता है। हनुमान जी संकट मोचक कहे जाते हैं तो इस विधि से हनुमान जी का पूजन करना समस्त संकटों का हरण होता है। उन्होंने बताया कि पीएम को पूजा संपन्न होने के बाद बड़े हनुमान के गले का विशिष्ट रुद्राक्ष गौरीशंकर भी पहनाया गया। यह विशिष्ट रुद्राक्ष शिव और पार्वती का स्वरूप है, जो हनुमान जी के गले में सुशोभित होता है।

सभी को प्रेरित करने वाला है पीएम का आचरण

उन्होंने बताया कि पूजा के दौरान प्रधानमंत्री के चेहरे पर संतों का ओज नजर आ रहा था। सबसे महत्वपूर्ण बात ये कि उनमें संतों के लिए विनय का भाव था। आमतौर पर लोग पूजा करने के बाद साधु संतों को धन्यवाद नहीं बोलते, लेकिन पीएम ने पूजा संपन्न होने के बाद पूरे विनय के साथ धन्यवाद कहा जो सभी को प्रेरित करने वाला है। उन्होंने बताया कि पीएम ने नवनिर्मित कॉरिडोर में श्रद्धालुओं की सुविधा को लेकर भी अपनी रुचि दिखाई और मंदिर प्रशासन से श्रद्धालुओं के आने और जाने के विषय में जानकारी ली। वह एक अभिभावक के रूप में नजर आए, जिन्हें संपूर्ण राष्ट्र की चिंता है।

जो सीएम योगी ने प्रयागराज के लिए किया, वो किसी ने नहीं किया

बलवीर गिरी महाराज ने सीएम योगी की भी तारीफ की। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने प्रयागराज और संगम के विषय में जितना सोचा, आज से पहले किसी ने नहीं सोचा। संत जीवन में बहुत से लोगों को बड़े-बड़े पदों पर पहुंचते देखा, लेकिन मुख्यमंत्री जी जैसा व्यक्तित्व कभी नहीं देखने को मिला। वो जब भी प्रयागराज आते हैं, मंदिर अवश्य आते हैं और यहां भी वह हमेशा यजमान की भूमिका में रहते हैं। हमारे लिए वह बड़े भ्राता की तरह है। हालांकि, उनकी भाव भंगिमाएं सिर्फ मंदिर या मठ के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश के लिए हैं। वो हमेशा यही पूछते हैं कि प्रयागराज कैसा चल रहा है। किसी मुख्यमंत्री में इस तरह के विचार होना किसी भी प्रांत के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

स्वच्छता का भी दिया संदेश

उन्होंने महाकुम्भ में आने वाले करोड़ों श्रद्धालुओं को संदेश भी दिया। उन्होंने कहा कि महाकुम्भ को स्वच्छ महाकुम्भ बनाने का जिम्मा सिर्फ सरकार और प्रशासन का नहीं है, बल्कि श्रद्धालुओं का भी है। मेरी सभी तीर्थयात्रियों से एक ही अपील है कि महाकुम्भ के दौरान स्नान के बाद अपने कपड़े, पुष्प और पन्नियां नदियों में और न ही तीर्थस्थल में अर्पण न करें। प्रयाग और गंगा का नाम लेने से ही पाप कट जाते हैं। माघ मास में यहां एक कदम चलने से अश्वमेध यज्ञ का फल मिलता है। यहां करोड़ों तीर्थ समाहित हैं। इसकी पवित्रता के लिए अधिक से अधिक प्रयास करें। तीर्थ का सम्मान करेंगे तो तीर्थ भी आपको सम्मान प्रदान करेंगे। स्नान के समय प्रयाग की धरा करोड़ों लोगों को मुक्ति प्रदान करती है। यहां ज्ञानी को भी और अज्ञानी को भी एक बराबर फल मिलता है।

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