उत्तर प्रदेश
अतीक-अशरफ हत्याकांड: तीनों हत्यारों का मिला आपसी कनेक्शन, दी गई थी सुपारी
प्रयागराज। माफिया अतीक व अशरफ हत्याकांड में शामिल तीनों हत्यारों के आपसी कनेक्शन सामने आए हैं। पहले तीनों के अलग-अलग जिलों से आने के कारण सवाल उठाए जा रहे थे। अतीक अहमद की गोलियों की बौछार से हत्या करने वाला लवलेश तिवारी बांदा का रहने वाला है। वहीं, सनी सिंह हमीरपुर और अरुण मौर्य कासगंज जिले का है।
तीनों के पारिवारिक बैकग्राउंड और अलग-अलग जिलों के कारण संबंधों पर सवाल उठ रहे थे। सबसे बड़ा सवाल यह उठा कि आखिर तीनों एक साथ कैसे आए? इन सवालों के बीच अब दावा किया जा रहा है कि माफिया डॉन अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या के लिए सुपारी दी गई थी।
अतीक-अशरफ हत्याकांड में सुपारी दिए जाने संबंधी खुलासे ने हलचल तेज कर दी है। हत्यारों को इस घटना को अंजाम देने के लिए 10-10 लाख रुपए एडवांस के रूप में भी दिए जाने की बात सामने आई है।
दावा है कि अतीक अहमद पर गोली चलाने वाले सनी सिंह, लवलेश तिवारी और अरुण मौर्य की पहचान पहले से ही थी। सनी सिंह हिस्ट्रीशीटर रहा है। उसके खिलाफ 18 केस दर्ज हैं। उसके हमीरपुर जेल जाने की बात सामने आई है। लड़की को चांटा मारने के आरोप में लवलेश तिवारी भी जेल गया था। दावा है कि हमीरपुर जेल में सनी सिंह और लवलेश तिवारी की नजदीकी बढ़ी।
सनी और अरुण थे दोस्त
कहा जा रहा है अरुण मौर्य के सनी सिंह से पहले ही संबंध थे। दोनों दोस्त थे। सनी सिंह ही लवलेश और अरुण मौर्य के बीच की कड़ी माना रहा है। तीनों को अतीक और अशरफ की हत्या की सुपारी दी गई थी। एडवांस के साथ-साथ हैंडलर ने उन्हें आधुनिक हथियार और कारतूस भी दिए थे। हत्याकांड को अंजाम देने की नीयत से ही तीनों प्रयागराज आए थे।
उत्तर प्रदेश
श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद को लेकर दाखिल याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में टली सुनवाई
नई दिल्ली। मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद को लेकर दाखिल याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टल गई है। अगली सुनवाई एक अप्रैल से शुरू होगी। अगली सुनवाई तक कृष्णजन्मभूमि सर्वे मामले पर रोक जारी रहेगी। बता दें कि मुस्लिम पक्ष की कई याचिकाएं SC में दाखिल हुई हैं। इसमें विवादित जगह पर सर्वे की इजाज़त देने, निचली अदालत में लंबित सभी मुकदमों को हाई कोर्ट के अपने पास सुनवाई के लिए ट्रांसफर करने को चुनौती देने वाली याचिकाएं भी शामिल हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने और क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस आदेश पर अपनी रोक बढ़ा दी, जिसमें मथुरा में शाही ईदगाह मस्जिद परिसर के अदालत की निगरानी में सर्वेक्षण की अनुमति दी गई थी। यह परिसर कृष्ण जन्मभूमि मंदिर के निकट स्थित है, जो हिंदुओं के लिए महत्वपूर्ण धार्मिक महत्व का स्थल है। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि वह मस्जिद परिसर के अदालत की निगरानी में सर्वेक्षण के खिलाफ ‘ट्रस्ट शाही मस्जिद ईदगाह प्रबंधन समिति’ की याचिका पर सुनवाई अप्रैल से शुरू होने वाले सप्ताह के लिए टालते हैं।
पीठ ने कहा कि इस बीच, शाही ईदगाह मस्जिद परिसर के अदालत की निगरानी में सर्वेक्षण पर रोक लगाने वाला इलाहाबाद हाई कोर्ट का अंतरिम आदेश जारी रहेगा। शीर्ष अदालत ने पिछले साल 16 जनवरी को सबसे पहले हाई कोर्ट के 14 दिसंबर, 2023 के आदेश के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी थी। हाई कोर्ट ने शाही ईदगाह मस्जिद परिसर के अदालत की निगरानी में सर्वेक्षण की अनुमति दी थी और इसकी देखरेख के लिए एक अदालत आयुक्त की नियुक्ति पर सहमति व्यक्त की थी।
हिंदू पक्ष का दावा है कि परिसर में ऐसे संकेत हैं जो बताते हैं कि इस स्थान पर कभी मंदिर हुआ करता था। हिंदू पक्षों की ओर से पेश वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा था कि मस्जिद समिति की अपील हाई कोर्ट के 14 दिसंबर, 2023 के आदेश के खिलाफ दायर की गई थी और मामले से जुड़े आदेश निष्फल हो गए हैं।
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