उत्तर प्रदेश
अतीक की पत्नी शाइस्ता परवीन की जमानत अर्जी खारिज, 25 हजार की है इनामी
प्रयागराज। प्रयागराज के उमेश पाल हत्याकांड में आरोपी माफिया अतीक अहमद की पत्नी शाइस्ता परवीन की जमानत अर्जी गुरुवार को जिला न्यायालय ने खारिज कर दी। शाइस्ता ने अपनी अर्जी में कहा था कि उसका इस घटना से न कोई लेना देना है और न ही कोई मतलब। उसे सियासी रंजिश में फंसाया गया है।
शाइस्ता पर है 25 हजार का इनाम
उमेश पाल हत्याकांड मामले में शाइस्ता फरार होने की वजह से 25 हजार रुपये की इनामी हो चुकी है। पुलिस उसकी तलाश कर रही है। गिरफ्तारी से बचने के लिए शाइस्ता ने जिला न्यायालय में अग्रिम जमानत अर्जी दाखिल की थी।
शाइस्ता की तलाश में कई जगह दबिश, बढ़ सकता है इनाम
अतीक की पत्नी शाइस्ता परवीन की तलाश में कई जगह दबिश दी जा रही है। लेकिन उनका कुछ पता नहीं चल पा रहा है। हत्याकांड की जांच जैसे जैसे आगे बढ़ रही है, शाइस्ता की भी भूमिका सामने आ रही है। ऐसे में पुलिस उन पर भी इनाम बढ़ा सकती है। शाइस्ता पर इस समय 25 हजार का इनाम है। उन पर पहले 50 फिर ढाई लाख का इनाम घोषित किया जा सकता है।
सीसीटीवी फुटेज वायरस होने के बाद तलाश हुई तेज
उमेश पाल हत्याकांड में एफआईआर दर्ज होने के बाद से ही शाइस्ता परवीन लापता हैं। उन्होंने अपने वकीलों के माध्यम से कई हाईकोर्ट और जिला न्यायालय में कई याचिकाएं दाखिल कीं। पुलिस उन्हें लगातार ढूंढ रही है। साबिर के साथ सीसीटीवी फुटेज वायरल होने के बाद शाइस्ता की तलाश तेज कर दी गई।
उत्तर प्रदेश
श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद को लेकर दाखिल याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में टली सुनवाई
नई दिल्ली। मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद को लेकर दाखिल याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टल गई है। अगली सुनवाई एक अप्रैल से शुरू होगी। अगली सुनवाई तक कृष्णजन्मभूमि सर्वे मामले पर रोक जारी रहेगी। बता दें कि मुस्लिम पक्ष की कई याचिकाएं SC में दाखिल हुई हैं। इसमें विवादित जगह पर सर्वे की इजाज़त देने, निचली अदालत में लंबित सभी मुकदमों को हाई कोर्ट के अपने पास सुनवाई के लिए ट्रांसफर करने को चुनौती देने वाली याचिकाएं भी शामिल हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने और क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस आदेश पर अपनी रोक बढ़ा दी, जिसमें मथुरा में शाही ईदगाह मस्जिद परिसर के अदालत की निगरानी में सर्वेक्षण की अनुमति दी गई थी। यह परिसर कृष्ण जन्मभूमि मंदिर के निकट स्थित है, जो हिंदुओं के लिए महत्वपूर्ण धार्मिक महत्व का स्थल है। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि वह मस्जिद परिसर के अदालत की निगरानी में सर्वेक्षण के खिलाफ ‘ट्रस्ट शाही मस्जिद ईदगाह प्रबंधन समिति’ की याचिका पर सुनवाई अप्रैल से शुरू होने वाले सप्ताह के लिए टालते हैं।
पीठ ने कहा कि इस बीच, शाही ईदगाह मस्जिद परिसर के अदालत की निगरानी में सर्वेक्षण पर रोक लगाने वाला इलाहाबाद हाई कोर्ट का अंतरिम आदेश जारी रहेगा। शीर्ष अदालत ने पिछले साल 16 जनवरी को सबसे पहले हाई कोर्ट के 14 दिसंबर, 2023 के आदेश के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी थी। हाई कोर्ट ने शाही ईदगाह मस्जिद परिसर के अदालत की निगरानी में सर्वेक्षण की अनुमति दी थी और इसकी देखरेख के लिए एक अदालत आयुक्त की नियुक्ति पर सहमति व्यक्त की थी।
हिंदू पक्ष का दावा है कि परिसर में ऐसे संकेत हैं जो बताते हैं कि इस स्थान पर कभी मंदिर हुआ करता था। हिंदू पक्षों की ओर से पेश वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा था कि मस्जिद समिति की अपील हाई कोर्ट के 14 दिसंबर, 2023 के आदेश के खिलाफ दायर की गई थी और मामले से जुड़े आदेश निष्फल हो गए हैं।
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