उत्तर प्रदेश
भड़काऊ भाषण मामले में आजम खान दोषी करार, थोड़ी देर में सजा का ऐलान
रामपुर (उप्र)। समाजवादी पार्टी के विधायक आजम खान (Azam Khan) को रामपुर एमपी-एमएलए कोर्ट ने भड़काऊ भाषण मामले में दोषी करार दिया है। आजम खान पर पीएम मोदी, सीएम योगी और तत्कालीन डीएम को लेकर अपशब्द कहने का आरोप था, जिसमें सपा नेता दोषी पाए गए हैं।
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बता दें कि जिन धाराओं में आजम खान को दोषी करार दिया गया है उसमे अधिकतम सजा तीन साल की होती है, लेकिन अगर उन्हें दो साल से एक दिन ज्यादा की भी सजा होती है, तो उनकी विधानसभा से सदस्यता रद्द हो जाएगी।
2019 लोकसभा चुनाव से जुड़ा है मामला
गौरतलब है कि हेट स्पीच का यह मामला 2019 के लोकसभा चुनाव के समय का है। घटनाक्रम के मुताबिक रामपुर की मिलक विधानसभा सीट पर एक चुनावी भाषण के दौरान आजम खान ने तत्कालीन डीएम, सीएम योगी और पीएम मोदी को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणियां की थीं।
इसकी शिकायत बीजेपी नेता आकाश सक्सेना ने पुलिस में की थी। सुनवाई के बाद आज गुरुवार 27 अक्टूबर को इसी मामले में कोर्ट ने आजम खान को दोषी करार दिया है। मामले में सजा दोपहर 3.00 बजे के बाद सुनाई जाएगी।
संभावना है कि सपा नेता आजम खान भी अदालत में हाजिर हो सकते हैं। शिकायतकर्ता आकाश सक्सेना कोर्ट में पहुंच चुके हैं। अदालत का फैसला जानने के लिए कोर्ट के बाहर भीड़ लगी हुई है।
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श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद को लेकर दाखिल याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में टली सुनवाई
नई दिल्ली। मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद को लेकर दाखिल याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टल गई है। अगली सुनवाई एक अप्रैल से शुरू होगी। अगली सुनवाई तक कृष्णजन्मभूमि सर्वे मामले पर रोक जारी रहेगी। बता दें कि मुस्लिम पक्ष की कई याचिकाएं SC में दाखिल हुई हैं। इसमें विवादित जगह पर सर्वे की इजाज़त देने, निचली अदालत में लंबित सभी मुकदमों को हाई कोर्ट के अपने पास सुनवाई के लिए ट्रांसफर करने को चुनौती देने वाली याचिकाएं भी शामिल हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने और क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस आदेश पर अपनी रोक बढ़ा दी, जिसमें मथुरा में शाही ईदगाह मस्जिद परिसर के अदालत की निगरानी में सर्वेक्षण की अनुमति दी गई थी। यह परिसर कृष्ण जन्मभूमि मंदिर के निकट स्थित है, जो हिंदुओं के लिए महत्वपूर्ण धार्मिक महत्व का स्थल है। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि वह मस्जिद परिसर के अदालत की निगरानी में सर्वेक्षण के खिलाफ ‘ट्रस्ट शाही मस्जिद ईदगाह प्रबंधन समिति’ की याचिका पर सुनवाई अप्रैल से शुरू होने वाले सप्ताह के लिए टालते हैं।
पीठ ने कहा कि इस बीच, शाही ईदगाह मस्जिद परिसर के अदालत की निगरानी में सर्वेक्षण पर रोक लगाने वाला इलाहाबाद हाई कोर्ट का अंतरिम आदेश जारी रहेगा। शीर्ष अदालत ने पिछले साल 16 जनवरी को सबसे पहले हाई कोर्ट के 14 दिसंबर, 2023 के आदेश के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी थी। हाई कोर्ट ने शाही ईदगाह मस्जिद परिसर के अदालत की निगरानी में सर्वेक्षण की अनुमति दी थी और इसकी देखरेख के लिए एक अदालत आयुक्त की नियुक्ति पर सहमति व्यक्त की थी।
हिंदू पक्ष का दावा है कि परिसर में ऐसे संकेत हैं जो बताते हैं कि इस स्थान पर कभी मंदिर हुआ करता था। हिंदू पक्षों की ओर से पेश वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा था कि मस्जिद समिति की अपील हाई कोर्ट के 14 दिसंबर, 2023 के आदेश के खिलाफ दायर की गई थी और मामले से जुड़े आदेश निष्फल हो गए हैं।
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