Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

उत्तर प्रदेश

ऐतिहासिक बाणेश्वर महादेव मंदिर से घंटा चोरी, अज्ञात चोरों ने शिवलिंग भी किया खंडित; लोगों में रोष

Published

on

hardoi baneshwar temple

Loading

हरदोई से मनोज तिवारी की रिपोर्ट

हरदोई। हरदोई के अतरौली थाना क्षेत्र के सोनिकपुर गांव में स्थित भगवान शिव के अनन्य भक्त और राक्षसराज बाणासुर द्वारा स्थापित बाणेश्वर महादेव मंदिर से करीब डेढ़ कुंतल घंटा अज्ञात चोर चोरी कर ले गए वही चोरों ने शिवलिंग भी खंडित कर दी।

मामले की सूचना मिलने पर लोगों की भीड़ जमा हो गई सूचना पर एसपी भी मौके पर पहुंचे और अब इस मामले में पुलिस जांच पड़ताल कार्यवाई में जुट गई है। यह बाणासुर वही था जिसके कारण भगवान शिव और श्रीकृष्ण के बीच भयंकर युद्ध हुआ था।

अतरौली थाना क्षेत्र के सोनिकपुर गांव में भगवान शिव के अनन्य भक्त बाणासुर की राजधानी थी जहां बाणासुर ने एक शिव मंदिर की स्थापना की थी और यहां स्थापित शिवलिंग को बाणेश्वर महादेव का नाम मिला था। आज इसी बाणेश्वर महादेव मंदिर से करीब डेढ़ कुंतल घंटा अज्ञात चोर चोरी कर ले गए वही चोरों ने शिवलिंग भी खंडित कर दी।

मामले की सूचना मिलने पर लोगों की भीड़ जमा हो गई और हिन्दू संगठनों के लोग भी मौके पर पहुंच गए। घटना को लेकर हिन्दू संगठनों में आक्रोश पनप गया। मामले की सूचना पर एसपी केशव चन्द्र गोस्वामी भी मौके पर पहुंचे और मामले की जांच पड़ताल की और स्थानीय लोगों से पूछताछ की। अब इस मामले में पुलिस जांच पड़ताल कार्यवाई में जुट गई है।

ऐतिहासिक है बाणेश्वर महादेव मंदिर

यह बाणासुर वही था जिसके कारण भगवान शिव और श्रीकृष्ण के बीच भयंकर युद्ध हुआ था। दरअसल महाभारत का युद्ध समाप्त होने के बाद भगवान श्रीकृष्ण परिवार सहित द्वारिका रहने लगे श्रीकृष्ण के पुत्र थे प्रद्युम्न और प्रद्युम्न के पुत्र थे अनिरुद्ध। इसलिए अनिरुद्ध को श्रीकृष्ण का पौत्र कहा जाता है।

प्रद्युम्न की पत्नी का नाम उषा था श्रीकृष्ण और शिवजी के बीच युद्ध की नींव यहीं से तैयार होती है। पौराणिक कथा के अनुसार उषा और अनिरुद्ध एक दूसरे से प्रेम करते थे। उषा शोणिकपुर के राजा बाणासुर की कन्या थी। बाणासुर को शिवजी का वरदान प्राप्त था कि जब भी कोई संकट आएगा तो वह उसकी रक्षा करेंगे एक दिन उषा ने अनिरुद्ध से मिलने की इच्छा में अनिरुद्ध का अपहरण कर लिया।

बाणासुर को जब दोनों के प्रेम और विवाह की जानकारी हुई तो वह क्रोधित हो उठा और उसने क्रोध में आकर अनिरुद्ध को बंधक बनाकर कारागार में डाल दिया। दूसरी तरफ जैसे ही अनिरुद्ध के बंदी बनाए जाने की सूचना भगवान श्रीकृष्ण को हुई तो उन्होंने सेना लेकर तुरंत बाणासुर के राज्य पर आक्रमण कर दिया।

श्रीकृष्ण की सेना को देखकर बाणासुर के राज्य में हलचल मच गई।बलराम, प्रदुम्न, सात्यकि, गदा, साम्ब, सर्न, उपनंदा, भद्रा आदि भगवान श्रीकृष्ण के साथ थे। विशाल सेना को देखकर बाणासुर समझ गया कि युद्ध भयंकर होगा, इसलिए उसने भगवान शिव का ध्यान लगाया और रक्षा करने के लिए कहा।

अपने भक्त की प्रार्थना सुनकर भगवान शिव भी रुद्राक्ष, वीरभद्र, कूपकर्ण, कुम्भंदा, नंदी, गणेश और कार्तिकेय के साथ प्रकट हुए और बाणासुर को सुरक्षा प्रदान करने का भरोसा दिलाया जिसके बाद भगवान शिव और भगवान श्रीकृष्ण की सेना आमने-सामने आ गईं।

दोनों के बीच भयंकर युद्ध लड़ा गया।किसी की भी सेना कम नहीं पड़ रही थी युद्ध में देखते ही देखते श्रीकृष्ण ने बाणासुर के हजारों सैनिकों को एक ही बार में मौत की नींद सुला दी इससे बाणासुर परेशान हो गया। शिव जी से बाणासुर ने पुन: प्रार्थना की, इसके बाद शिवजी और श्रीकृष्ण के बीच सीधा युद्ध आरंभ हो गया।दोनों तरफ से विध्वंसक अस्त्र-शस्त्रों का प्रयोग किया गया।

यहां तक की इस युद्ध में शिव ने पाशुपतास्त्र और श्रीकृष्ण ने नारायणास्त्र का प्रयोग किया इन अस्त्रों से चारो तरफ तेज अग्नि दहकने लगी।इस युद्ध में श्रीकृष्ण ने एक ऐसे अस्त्र का प्रयोग किया जिससे भगवान शिव को नींद आ गई।

शिवजी की ऐसी हालत को देख बाणासुर घबरा गया और रणभूमि से भागने लगा। श्रीकृष्ण ने बाणासुर को दौड़कर पकड़ लिया उसकी भुजाओं का काटना प्रारंभ कर दिया। जब बाणासुर की चार भुजाए शेष रह गईं तभी भगवान शिवजी की नींद खुल गई।

बाणासुर की हालत देख शिवजी को क्रोध आ गया और उन्होंने सबसे भयानक शस्त्र शिवज्वर अग्नि चला दिया जिससे भयंक ऊर्जा उत्पन्न हुई इससे चारो तरफ बुखार और अन्य बीमारियां फैलने लगीं. इस शस्त्र का असर समाप्त करने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने नारायण ज्वर शीत का प्रयोग करना पड़ा।

Continue Reading

उत्तर प्रदेश

महाकुम्भ 2025 के सफल आयोजन के लिए 07 हजार बसों के अलावा 550 शटल बसें संचालित करेगा परिवहन निगम

Published

on

Loading

लखनऊ/प्रयागराज। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देशन में उ0प्र0 परिवहन निगम दिव्य, भव्य एवं ग्रीन महाकुम्भ मेला-2025 के सफल आयोजन के लिए 07 हजार बसों को संचालित करेगा। परिवहन निगम प्रदेश के सभी महत्वपूर्ण स्थानों से सुगम, सस्ती एवं आरामदायक सुविधायें उपलब्ध कराने के लिए कटिबद्ध है।

महाकुम्भ मेला में सड़क मार्ग से पूर्वाचल से अधिक संख्या में तीर्थयात्री आते हैं। इसके दृष्टिगत पूर्वांचल के छोटे-छोटे कस्बों से मेला स्थल को जोड़ते हुए बसों के संचालन की योजना परिवहन निगम ने तैयार की है। महिला एवं वृद्ध तीर्थयात्रियों को विशेष सुविधा प्रदान करने की योजना बनाई गयी है।

3 चरणों में संचालन

एमडी परिवहन निगम मासूम अली सरवर ने बताया कि महाकुम्भ मेला 2025 के दौरान मुख्य स्नान 13 जनवरी से 26 फरवरी, 2025 के बीच पड़ रहे, जिसमें मौनी अमावस्या का शाही स्नान 29 जनवरी एवं बसंत पंचमी का शाही स्नान 03 फरवरी, 2025 को है। महाकुम्भ 2025 के दौरान लगभग 6800 परिवहन बसें एवं लगभग 200 वातानुकूलित बसों का संचालन किये जाने की योजना है।

प्रथम चरण में 12 जनवरी से 23 जनवरी तक द्वितीय चरण में 24 जनवरी से 07 फरवरी तक एवं तीसरे चरण में 08 फरवरी से 27 फरवरी तक तीन चरणों में महाकुम्भ मेले में संचालन को बाटा गया है। निगम के कुल 19 क्षेत्रों से लगभग 165 मार्गों पर निगम की बसों का संचालन किया जायेगा।

550 शटल बसें चलाई जाएंगी

एमडी परिवहन निगम ने बताया कि बसों के अतिरिक्त 550 शटल बसें विभिन्न स्थाई एवं अस्थाई बस स्टेशनों एवं विभिन्न मार्गों पर निर्धारित वाहन पार्किंग स्थलों से संगम तट के निकट स्थित भारद्वाज पार्क एवं भारत स्काउट गाइड कालेज बैक रोड तक तथा लेप्रोसी बस स्टेशन व अंधावा बस स्टेशन तक संचालित किये जाने की योजना है।

उन्होंने बताया कि मुख्य स्नान पर्व पर शश्रद्धालुओं की अत्यधिक भीड़ बढ़ने के कारण शास्त्रीपुल, फाफामऊ पुल एवं यमुना पुल यातायात हेतु प्रतिबंधित रहने की स्थिति में शहर के बाहर कुल 08 अस्थाई बस स्टेशन गठित किये जायेंगे, जिसमें झूसी बस स्टेशन, दुर्जनपुर बस स्टेशन, सरस्वतीगेट बस स्टेशन, नेहरू पार्क बस स्टेशन, बेली कछार बस स्टेशन, बेला कछार बस स्टेशन, सरस्वती हाइटेक सिटी मेनू एवं लेप्रोसी मिशन बस स्टेशन हैं।

इन मार्गों प्रभाग संचालन

एमडी ने बताया कि झूसी बस स्टेशन से दोहरी घाट, बड़हलगंज, गोला, उरूवा, खजनी, सीकरीगंज, गोरखपुर मार्ग, आजमगढ़-बलिया-मऊ व सम्बद्ध मार्ग के लिए बसों का संचालन किया जायेगा। दुर्जनपुर बस स्टेशन का उपयोग झूसी बस स्टेशन की बसों का संचालन मेला प्रशासन द्वारा रोके जाने पर किया जायेगा।

इसी प्रकार सरस्वतीगेट बस स्टेशन से बदलापुर, शाहगंज, टांडा व सम्बद्ध मार्ग एवं वाराणसी एवं संबद्ध मार्ग के लिए बसों का संचालन किया जायेगा, नेहरू पार्क बस स्टेशन से कानपुर एवं कौशाम्बी को संबद्ध मार्ग के लिए, बेला कछार बस स्टेशन से रायबरेली लखनऊ व संबद्ध मार्ग एवं फैजाबाद, अयोध्या, गोण्डा, बस्ती, बहराइच व संबद्ध मार्ग के लिए, सरस्वती हाइटेक सिटी नैनी से विन्ध्यांचल, मिर्जापुर, शक्तिनगर व संबद्ध मार्ग के लिए, लैप्रोसी मिशन बस स्टेशन से बांदा-चित्रकूट व संबद्ध मार्ग एवं रीवा-सीधी व संबद्ध मार्ग के लिए संचालन किया जायेगा।
नेहरू पार्क बस स्टेशन पर बसों का संचालन मेला प्रशासन द्वारा रोके जाने पर बसों का संचालन बेली कछार बस स्टेशन से किया जायेगा।

Continue Reading

Trending