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बंगाल पंचायत चुनाव: BSF के DIG ने कहा- संवेदनशील बूथों की नहीं दी गई जानकारी

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Bengal Panchayat Election

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नई दिल्ली। सीमा सुरक्षा बल (BSF) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बंगाल पंचायत चुनाव के दौरान हुई हिंसा को लेकर बड़ा खुलासा किया। उन्होंने को कहा कि संवेदनशील मतदान केंद्रों पर BSF के बार-बार अनुरोध के बावजूद राज्य चुनाव आयोग ने ऐसे बूथों पर केंद्रीय सुरक्षा बलों को कोई जानकारी नहीं दी।

राज्य चुनाव आयोग ने नहीं दी संवेदनशील बूथों की जानकारी

BSF के DIG एसएस गुलेरिया ने कहा कि BSF ने राज्य चुनाव आयोग को कई पत्र लिखकर संवेदनशील मतदान केंद्रों की जानकारी मांगी थी, लेकिन सात जून को छोड़कर कोई जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई। उन्हें केवल ऐसे बूथों की संख्या के बारे में बताया गया, लेकिन उनके स्थान या किसी अन्य जानकारी के बारे में कुछ नहीं बताया गया।

स्थानीय प्रशासन के आदेश पर की गई BSF की तैनाती

गुलेरिया ने कहा कि BSF की तैनाती स्थानीय प्रशासन के आदेश पर की गई थी। उन्होंने कहा, चुनाव ड्यूटी के लिए 25 राज्यों से केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF) और राज्य सशस्त्र पुलिस की 59,000 टुकड़ियां पहुंची थीं, लेकिन संवेदनशील मतदान केंद्रों पर उनका पर्याप्त उपयोग नहीं किया गया। राज्य ने केवल 4834 संवेदनशील बूथ घोषित किए थे, जिन पर केवल CAPF तैनात थी, लेकिन वास्तव में इससे कहीं अधिक संवेदनशील मतदान केंद्र थे।

पंचायत चुनाव के दौरान हुई हिंसा में 13 लोगों की मौत

बता दें कि कल आठ जुलाई शनिवार को पंचायत चुनाव के दौरान राज्य भर में हुई हिंसा में 13 लोग मारे गए और कई घायल हो गए। मुर्शिदाबाद, कूच बिहार, मालदा, दक्षिण 24 परगना, उत्तरी दिनाजपुर और नादिया जैसे कई जिलों से बूथ कैप्चरिंग, मतपेटियों को नुकसान पहुंचाने और पीठासीन अधिकारियों पर हमले की खबरें आईं।

संवेदनशील बूथों पर तैनात की गई CAPF

BSF ने बताया कि राज्य चुनाव आयोग ने शनिवार को पश्चिम बंगाल राज्य में 3317 ग्राम पंचायतों, 341 पंचायत समितियों और 20 जिला परिषदों के लिए चुनाव कराने के लिए कुल 61,636 मतदान केंद्र स्थापित किए थे।

चुनावों के सुरक्षित संचालन को सुनिश्चित करने के लिए केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF) और अन्य राज्य पुलिस बलों के 59,000 कर्मियों को राज्य भर में मतदान केंद्रों की सुरक्षा की जिम्मेदारी दी गई, जिसमें 4834 संवेदनशील बूथ भी शामिल हैं, जिन पर केवल सीएपीएफ तैनात थी।

CAPF को सौंपी गई स्ट्रांग रूम की सुरक्षा की जिम्मेदारी

शाम को मतदान प्रक्रिया पूरी होने के बाद सभी मतपेटियों को राज्य भर के 339 स्ट्रांग रूम में सुरक्षित रख दिया गया। स्ट्रांग रूम की सुरक्षा की जिम्मेदारी सीएपीएफ को दी गई है।

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सोशल मीडिया पर हवाबाजी करने के लिए युवकों ने रेलवे ट्रैक पर उतारी थार, सामने से आ गई मालगाड़ी

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राजस्थान। सोशल मीडिया पर अपना वीडियो या रील बनाने वालों ने इन दोनों कानून और नियम कायदों को धता बताना अपना शग़ल बना लिया है। रील के लिए कोई पहाड़ से कूद जाता है तो कोई पानी के तेज बहाव की परवाह तक नहीं करता। जयपुर में भी ऐसा ही एक मामला सामने आया है जहां कुछ नौजवानों ने स्टंट की खातिर थार जीप को रेलवे ट्रेक पर उतार दिया। फिर जब थार पटरियों पर फँस गई तो उनके हाथ पांव फूल गए। पटरी पर इसी दौरान मालगाड़ी भी आ गई लेकिन लोको पायलट की सूझबूझ से दुर्घटना टल गई।

नशे में धुत्त तीन चार नौजवानों ने सोमवार को जयपुर के सिवांर इलाके में अपनी करतूत से लोगों को परेशानी में डाल दिया। इन युवकों ने पहले एक थार जीप किराए पर ली और उसे लेकर रेलवे ट्रेक पर पहुंच गए। इरादा था ट्रेक पर जीप दौड़ाने का। लेकिन अचानक थार फँस गई पटरियों के बीच। इसी दौरान कनकपुरा रेलवे स्टेशन की तरफ़ से एक मालगाड़ी को आता देख थार में सवार कुछ युवक तो उतरकर भाग गए लेकिन ड्राइवर बैठा रहा। इस बीच मालगाड़ी के लोको पायलट ने थार को ट्रैक पर देखकर ब्रेक लगा दिए जिससे जान माल का नुकसान होने से बच गया। इस दौरान वहाँ आरपीएफ के जवान और स्थानीय लोग भी पहुँच गए और सबने मिलकर ट्रैक से थार जीप को हटाया। लेकिन ये क्या जैसे ही थार ट्रैक से बाहर आई ड्राइवर उसे मौके से भगाकर ले गया । रास्ते में कई वाहनों और दुपहिया को टक्कर मारी लेकिन रुका नहीं। एक जगह बजरी के ढेर पर थार चढ़ गई लेकिन ड्राइवर ने रफ़्तार कम नहीं की और फ़रार हो गया।

 

इसके बाद पुलिस ने पड़ताल शुरू की तो घटनास्थल से चार किलोमीटर दूर थार जीप लावारिस खड़ी मिली। पुलिस में जीप को जब्त कर उसके मालिक की तलाश शुरू की तो पता चला कि थार को पारीक पथ सिंवार मोड़ निवासी कुशाल चौधरी चला रहा था।वो इस जीप को बेगस से किराए पर लेकर आया था। कुशल चौधरी अभी भी फ़रार है इस संबंध में आरपीएफ की तरफ से मुकदमा दर्ज किया गया है। रेलवे प्रोटेक्शन एक्ट की धारा 153 के अलावा धारा 147 और 174 में मामला दर्ज करके आरोपियों की तलाश जारी है। ये सभी ग़ैर जमानती धारा है इनके तीन साल तक की क़ैद का प्रावधान है।

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