बिहार
फर्जी कॉल मामले में डीजीपी की भूमिका संदिग्ध, सीबीआई से जांच कराये सरकार : सुशील मोदी
पटना । पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि गया में शराब बरामद होने से लेकर वहांँ के तत्कालीन एसपी के ट्रांसफर और एफआईआर से दोषमुक्त करने तक पूरे मामले में फर्जी कॉल के आधार पर फैसले करने वाले डीजीपी एसके सिंघल की भूमिका संदेह के घेरे में है। इस मामले की जांच सीबीआई या किसी अन्य सक्षम एजेंसी से करायी जानी चाहिए। सुशील मोदी ने कहा कि जब एसपी स्तर के अधिकारी को बचाने और लाभ पहुंचाने का संदेह डीजीपी पर है, तो उनके नीचे काम करने वाली आर्थिक अपराध इकाई ( ईओयू) निष्पक्ष जांच नहीं कर सकती। उन्होंने कहा कि डीजीपी सिंघल पिछले अगस्त महीने से उस व्यक्ति से दर्जनों बार बात कर रहे थे, उसकी पैरवी को गंभीरता से ले रहे थे, जो स्वयं को हाई कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बता रहा था, लेकिन उन्होंने फोन करने वाले की सत्यता जांचने की कोशिश क्यों नहीं की?
मोदी कहा कि इस मामले में सवाल उठते हैं कि कई बार फोन पर बातें करने के बावजूद डीजीपी ने सीधे मिल कर हकीकत जानने की कोशिश क्यों नहीं की? यदि फोन कॉल फर्जी नहीं, असली मुख्य न्यायाधीश का ही होता, तब भी क्या शराब पकड़े जाने के मामले में एसपी स्तर के अधिकारी को फोन-पैरवी के आधार पर राहत दी जानी चाहिए थी- खास कर तब, जब शराब के मामले में 4 लाख लोग जेल जा चुके हों? जिस एसपी पर FIR किया गया था, उसे दोषमुक्त करने के लिए किसके दबाव में जांच अधिकारी को छुट्टी के दौरान चेन्नई से बुलाकर क्लोजर रिपोर्ट बनवायी गई? गया से ट्रांसफर के बाद एसपी को डीजीपी कार्यालय में एआइजी (क्यू) क्यों बना दिया गया ? डीजीपी ने पूर्व गया एसपी के विरुद्ध विभागीय जांच बंद करने के और पूर्णिया में पोस्टिंग के लिए संचिका क्यों बढ़ाई । श्री मोदी ने कहा कि ऐसे गंभीर सवालों का जवाब सीबीआई ही ढूंढ सकती है।
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प्रादेशिक
बिहार के सरकारी अस्पताल में बिजली गुल, मोबाइल के टॉर्च में कराई गई महिला की डिलीवरी
हाजीपुर। बिहार की राजधानी पटना से महज 30-40 किलोमीटर दूर हाजीपुर शादी प्रखंड का सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कई दिनों से अंधेरे में डूबा है। यहां लगातार कई दिनों से मोबाइल की लाइट में डिलीवरी कराई जा रही है। रात बिरात अस्पताल में आने वाले मरीज परेशान हैं। क्योंकि अस्पताल में लाइट नहीं हैं। बीती रात भी यहां एक महिला की टॉर्च की रोशनी में डिलीवरी कराई गई।
जानकारी के अनुसार बिहार के हाजीपुर शादी प्रखंड के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में बीती रात करीब 1:30 बजे दर्द से छटपटाती महिला को उसके घर वाले लेकर आए। हालांकि वहां बिजली नहीं आ रही थी, जिसके बाद महिला को दर्द ज्यादा होने की वजह से डॉक्टरों ने देसी जुगाड़ का तरीका अपनाया। डॉक्टरों ने एक डंडे में मोबाइल को बांधकर उसका टॉर्च ऑन कर दिया। उसी टॉर्च की रोशनी में डॉक्टरों और उनकी टीम ने महिला का इलाज किया।
क्या बोले स्वास्थ्य कर्मचारी
खुद स्वास्थ्य कर्मचारी आशा कुमारी ने अस्पताल की लापरवाही की पोल खोली है। उन्होंने मीडिया के सामने बताया कि कई बार बिजली गुल होने की समस्या सामने आती रही है। हम लोगों ने कई बार स्वास्थ्य अधिकारी को इस मामले में सूचना दी है लेकिन अब तक कोई सुधार नहीं हुआ है। वहीं, डॉ अनिल कुमार ने भी बताया कि लाइट नहीं है लेकिन अस्पताल में मरीज हैं। किसी तरह इलाज किया जा रहा है। मामला सामने आने के बाद दोषी अधिकारियों पर विभागीय कार्रवाई की बात कही गई है।
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