आध्यात्म
सीएम धामी ने बताया- चारधाम यात्रा में इस साल पहुंचे रिकॉर्ड श्रद्धालु
देहरादून। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बताया इस साल-2022 में चारधाम यात्रा में श्रद्धालुओं का रिकॉर्ड टूटा है। बदरीनाथ-केदारनाथ सहित चारों धामों में अब तक 38 लाख से ज्यादा तीर्थ यात्री दर्शन कर चुके हैं। चारधाम यात्रा को सुगम बनाने के लिए उत्तराखंड सरकार तत्परता से कार्य कर रही है।
सीएम धामी ने बताया कि संवेदनशील इलाकों में अतिरिक्त पुलिस बल भी तैनात किया गया है, ताकि खराब मौसम में भूस्खलन की वजह से बंद सड़कों को प्राथमिकता से खोला जा सके। सीएम धामी ने कहा कि चारधाम यात्रा करने के लिए पंजीकरण व्यवस्था को अनिवार्य तौर से लागू किया गया है।
सीएम धामी ने कहा चारधाम के कपाट बंद होने से पहले उत्तराखंड यात्रा पर एक नया कीर्तिमान बनाएगा। यात्रा रूट पर श्रद्धालुओं को हर संभव बेहतर सुविधा दी जा रही है। केदारनाथ धामी की तर्ज पर ही बदरीनाथ धाम का भी पुनर्निर्माण किया जा रहा है, जिसके बाद भारी संख्या में तीर्थ यात्री रात्रि प्रवास कर सकेंगे।
इस धाम में पहुंचे सर्वाधिक तीर्थ यात्री
8 मई से शुरू हुई बदरीनाथ धाम की यात्रा में 1409395 और 6 मई से शुरू केदारनाथ धाम में 1291749 तीर्थ यात्री दर्शन कर चुक हैं। 3 मई से शुरू हुई गंगोत्री धाम में 570011 और यमुनोत्री धाम में 450204 श्रद्धालु दर्शन कर चुके हैं।
29 सितंबर शाम तक उत्तराखंड चारधाम पहुंचे संपूर्ण तीर्थयात्रियों की संख्या 3721359 तक पहुंच गई थी। हेमकुंड साहिबपहुंचे तीर्थयात्रियों की संख्या कपाट खुलने की तिथि 22 मई से अब अब तक 216715 तक पहुंच गई है। चारधाम यात्रा मार्ग सुचारू हैं। लेकिन कई स्थानों पर आंशिक भूस्खलन जोन में यातायात प्रभावित ।
मानूसनी सीजन में चारधाम यात्रा पर लगी थी ब्रेक
केदारनाथ-बदरीनाथ सहित चारधाम यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में थोड़ी कमी दर्ज की थी। मानसूनी सीजन में बरसात की वजह से संख्या में कमी दर्ज की थी। बारिश को लेकर अलर्ट पर भी यात्रा पर असर देखने को मिला था, लेकिन मौसम साफ होते ही चारधाम यात्रा ने एक बार फिर तेजी देखने को मिली। ऋषिकेश स्थित पंजीकरण केंद्र में रजिस्ट्रेशन कराने वालों की भारी संख्या देखी जा रही है।
गंगोत्री हाईवे बंदरकोट में छह घंटे बंद रहा
गंगोत्री हाईवे पर सुबह बंदरकोट के समीप भूस्खलन से आवाजाही करीब छह घंटे तक ठप रही। इस कारण यात्रियों को भारी दिक्कतों सामना करना पड़ा। यात्री मार्ग के दोनों ओर जाम में फंसे रहे। गंगोत्री हाईवे पर बंदरकोट के समीप बिना बारिश के भी चट्टान दरकने का सिलसिला रूक नहीं रहा है।
शनिवार को सुबह पांच बजे के आसपास बंदरकोट में भारी मात्रा में मलबा गिरने से मार्ग पर आवाजाही बंद रही। बीआरओ की जेसीबी मशीन मार्ग खोलने मौके पर पहुंची और सुबह करीब साढ़े नौ बजे हाईवे को यातायात के लिए खोला लेकिन इस कुछ ही मिनटों में हाईवे पर फिर से मलबा गिरने के कारण आवागमन बंद हो गया। जिस कारण गंगोत्री धाम की यात्रा पर आए श्रद्धालु मार्ग के दोनों ओर जाम में फंसे रहे।
करीब छह घंटों की कड़ी मशक्कत के बाद हाईवे पर 11 बजे तक आवाजाही सुचारू हो सकी। इस दौरान बीआरओ की जेसीबी मशीन भी मार्ग खोलते हुए खराब हो गई। ऐसे में मार्ग 30 मिनट और भी देरी से खुला। दूसरी ओर, यमुनोत्री हाईवे पर धरासू बैंड के समीप यातायात एक फिर से चालू हो गया है। यहां भी मार्ग खुलने के बाद शुक्रवार को फिर मलबा गिरने के कारण मार्ग बंद हो गया था।
आध्यात्म
महाकुम्भ 2025: बड़े हनुमान मंदिर में षोडशोपचार पूजा का है विशेष महत्व, पूरी होती है हर कामना
महाकुम्भनगर| प्रयागराज में संगम तट पर स्थित बड़े हनुमान मंदिर का कॉरिडोर बनकर तैयार हो गया है। यहां आने वाले करोड़ों श्रद्धालु यहां विभिन्न पूजा विधियों के माध्यम से हनुमान जी की अराधना करते हैं। इसी क्रम में यहां षोडशोपचार पूजा का भी विशेष महत्व है। षोडशोपचार पूजा करने वालों की हर कामना पूरी होती है, जबकि उनके सभी संकट भी टल जाते हैं। मंदिर के महंत और श्रीमठ बाघंबरी पीठाधीश्वर बलवीर गिरी जी महाराज ने इस पूजा विधि के विषय में संक्षेप में जानकारी दी और यह भी खुलासा किया कि हाल ही में प्रयागराज दौरे पर आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी मंदिर में षोडशोपचार विधि से पूजा कराई गई। उन्हें हनुमान जी के गले में पड़ा विशिष्ट गौरीशंकर रुद्राक्ष भी भेंट किया गया। उन्होंने भव्य और दिव्य महाकुम्भ के आयोजन के लिए पीएम मोदी और सीएम योगी का आभार भी जताया।
16 पदार्थों से ईष्ट की कराई गई पूजा
लेटे हनुमान मंदिर के महंत एवं श्रीमठ बाघंबरी पीठाधीश्वर बलवीर गिरी जी महाराज ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक यजमान की तरह महाकुम्भ से पहले विशेष पूजन किया। प्रधानमंत्री का समय बहुत महत्वपूर्ण था, लेकिन कम समय में भी उनको षोडशोपचार की पूजा कराई गई। पीएम ने हनुमान जी को कुमकुम, रोली, चावल, अक्षत और सिंदूर अर्पित किया। यह बेहद विशिष्ट पूजा होती है, जिसमें 16 पदार्थों से ईष्ट की आराधना की। इस पूजा का विशेष महत्व है। इससे संकल्प सिद्धि होती है, पुण्य वृद्धि होती है, मंगलकामनाओं की पूर्ति होती और सुख, संपदा, वैभव मिलता है। हनुमान जी संकट मोचक कहे जाते हैं तो इस विधि से हनुमान जी का पूजन करना समस्त संकटों का हरण होता है। उन्होंने बताया कि पीएम को पूजा संपन्न होने के बाद बड़े हनुमान के गले का विशिष्ट रुद्राक्ष गौरीशंकर भी पहनाया गया। यह विशिष्ट रुद्राक्ष शिव और पार्वती का स्वरूप है, जो हनुमान जी के गले में सुशोभित होता है।
सभी को प्रेरित करने वाला है पीएम का आचरण
उन्होंने बताया कि पूजा के दौरान प्रधानमंत्री के चेहरे पर संतों का ओज नजर आ रहा था। सबसे महत्वपूर्ण बात ये कि उनमें संतों के लिए विनय का भाव था। आमतौर पर लोग पूजा करने के बाद साधु संतों को धन्यवाद नहीं बोलते, लेकिन पीएम ने पूजा संपन्न होने के बाद पूरे विनय के साथ धन्यवाद कहा जो सभी को प्रेरित करने वाला है। उन्होंने बताया कि पीएम ने नवनिर्मित कॉरिडोर में श्रद्धालुओं की सुविधा को लेकर भी अपनी रुचि दिखाई और मंदिर प्रशासन से श्रद्धालुओं के आने और जाने के विषय में जानकारी ली। वह एक अभिभावक के रूप में नजर आए, जिन्हें संपूर्ण राष्ट्र की चिंता है।
जो सीएम योगी ने प्रयागराज के लिए किया, वो किसी ने नहीं किया
बलवीर गिरी महाराज ने सीएम योगी की भी तारीफ की। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने प्रयागराज और संगम के विषय में जितना सोचा, आज से पहले किसी ने नहीं सोचा। संत जीवन में बहुत से लोगों को बड़े-बड़े पदों पर पहुंचते देखा, लेकिन मुख्यमंत्री जी जैसा व्यक्तित्व कभी नहीं देखने को मिला। वो जब भी प्रयागराज आते हैं, मंदिर अवश्य आते हैं और यहां भी वह हमेशा यजमान की भूमिका में रहते हैं। हमारे लिए वह बड़े भ्राता की तरह है। हालांकि, उनकी भाव भंगिमाएं सिर्फ मंदिर या मठ के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश के लिए हैं। वो हमेशा यही पूछते हैं कि प्रयागराज कैसा चल रहा है। किसी मुख्यमंत्री में इस तरह के विचार होना किसी भी प्रांत के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
स्वच्छता का भी दिया संदेश
उन्होंने महाकुम्भ में आने वाले करोड़ों श्रद्धालुओं को संदेश भी दिया। उन्होंने कहा कि महाकुम्भ को स्वच्छ महाकुम्भ बनाने का जिम्मा सिर्फ सरकार और प्रशासन का नहीं है, बल्कि श्रद्धालुओं का भी है। मेरी सभी तीर्थयात्रियों से एक ही अपील है कि महाकुम्भ के दौरान स्नान के बाद अपने कपड़े, पुष्प और पन्नियां नदियों में और न ही तीर्थस्थल में अर्पण न करें। प्रयाग और गंगा का नाम लेने से ही पाप कट जाते हैं। माघ मास में यहां एक कदम चलने से अश्वमेध यज्ञ का फल मिलता है। यहां करोड़ों तीर्थ समाहित हैं। इसकी पवित्रता के लिए अधिक से अधिक प्रयास करें। तीर्थ का सम्मान करेंगे तो तीर्थ भी आपको सम्मान प्रदान करेंगे। स्नान के समय प्रयाग की धरा करोड़ों लोगों को मुक्ति प्रदान करती है। यहां ज्ञानी को भी और अज्ञानी को भी एक बराबर फल मिलता है।
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