प्रादेशिक
साढ़े 04 साल में मिली साढ़े 04 लाख को नौकरी, यह बनाएंगे यूपी को नम्बर वन: सीएम योगी
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बीते साढ़े चार साल में सरकारी नौकरी पाने वाले साढ़े चार लाख युवाओं को यूपी के विकास का वाहक बताया है। सीएम ने कहा है कि विभिन्न विभागों में तैनाती पाए इन युवाओं को आवेदन से लेकर नियुक्ति तक न कहीं सिफारिश की जरूरत पड़ी, न ही कहीं भेदभाव हुआ। अगर इन युवाओं ने यही शुचिता और ईमानदारी अपने सेवाकाल में भी बनाए रखी तो साढ़े चार साल में 06वीं से दूसरे नम्बर की अर्थव्यवस्था बन चुका उत्तर प्रदेश, बहुत जल्द देश में नम्बर एक होगा।
मुख्यमंत्री योगी, मंगलवार को अपने सरकारी आवास पर आयोजित कार्यक्रम में आवास एवं शहरी नियोजन विभाग में नवनियुक्त सहायक अभियंताओं (सिविल एवं विद्युत/यांत्रिक) को नियुक्ति-पत्र प्रदान कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने कहा वर्ष 2002 से 2017 तक के काल में जितने युवाओं को सरकारी नौकरी नहीं मिली, उतनी अकेले 2017 से 2021 के बीच मिली हैं। एक पर भी उंगली नहीं उठाई जा सकती है। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार चयन आयोगों को पूरी स्वतंत्रता देती है। सरकार की ओर से किसी तरह का अनावश्यक हस्तक्षेप नहीं होता है।
विकास प्राधिकरणों से सब थे परेशान, अब बदल रही सूरत
नवनियुक्त सहायक अभियंताओं को नियुक्ति-पत्र देते हुए सीएम ने उन्हें जिम्मेदारी का अहसास भी कराया। उन्होंने कहा कि आवास विभाग इस समय देश का सबसे महत्वपूर्ण विभाग है। आज शहरी विकास के लिए इस युद्ध स्तर पर कार्य हो रहे हैं। शहरों में किफायती टिकाऊ आवासों की जरूरत हो या रैपिड रेल और मेट्रो जैसे आधुनिक शहरी परिवहन साधन, और अमृत योजना जैसी महत्वपूर्ण योजना, सबका प्रबंधन यही विभाग करता है। ऐसे में काम करने का बड़ा परिक्षेत्र है, जरूरत है इनोवेटिव सोच और ईमानदारी से कोशिश की। उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि एक समय प्रदेश के विकास प्राधिकरण, भ्रष्टाचार के अड्डे बने हुए थे। मकान का नक्शा तक पास कराना मुश्किल होता था।
आम आदमी बहुत परेशान था। हमने व्यापक बदलाव किया। अच्छे अधिकारियों को तैनात किया, समस्या निस्तारण के लिए विशेष शिविर लगाए, काम की समय सीमा तय की और नतीजा आज सामान्य व्यक्ति भी कह रहा है कि विकास प्राधिकरणों में अच्छा काम हो रहा। विगत दिनों अपने मुरादाबाद दौरे का जिक्र करते हुए उन्होंने वहां निर्माणाधीन किफायती आवास परियोजना की जानकारी भी दी और कहा कि ऐसे इनोवेटिव प्रयास आज की मांग हैं।
सीएम ने कहा कि शहरों में एक बड़ी आबादी जो न केवल अवैध रूप से बसी हुई थी, बल्कि वहां गंदगी का अंबार होता था। सरकार ने ऐसी बस्तियों की विधिवत मैपिंग कर आवासीय योजना शुरू की। अब उन्हें घर भी मिल रहा और उनकी सेहत भी सुरक्षित हो रही है। सीएम ने कहा कि अभी चार शहरों में मेट्रो की सुविधा है, अगले माह कानपुर और फिर आगरा में भी मेट्रो शुरू होने जा रही है।
12 साल में पहली बार हो रही नियुक्ति: गिरीश
विभागीय राज्य मंत्री गिरीश चंद्र यादव ने कहा कि बीते 12 वर्ष में पहली बार आवास विभाग में नियुक्तियां हो रही हैं। उन्होंने इसके लिए सीएम के प्रति आभार भी जताया। धन्यवाद ज्ञापन करते हुए आवास विभाग के प्रमुख सचिव दीपक कुमार ने बताया कि इस वर्ष से विभाग नवनियुक्त अभियंताओं के 15 दिवसीय प्रशिक्षण का कार्यक्रम भी शुरू कर रहा है। यही नहीं, बहुत जल्द प्रदेश में जल संचयन का मास्टर प्लान भी तैयार हो जाएगा।
उत्तर प्रदेश
श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद को लेकर दाखिल याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में टली सुनवाई
नई दिल्ली। मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद को लेकर दाखिल याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टल गई है। अगली सुनवाई एक अप्रैल से शुरू होगी। अगली सुनवाई तक कृष्णजन्मभूमि सर्वे मामले पर रोक जारी रहेगी। बता दें कि मुस्लिम पक्ष की कई याचिकाएं SC में दाखिल हुई हैं। इसमें विवादित जगह पर सर्वे की इजाज़त देने, निचली अदालत में लंबित सभी मुकदमों को हाई कोर्ट के अपने पास सुनवाई के लिए ट्रांसफर करने को चुनौती देने वाली याचिकाएं भी शामिल हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने और क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस आदेश पर अपनी रोक बढ़ा दी, जिसमें मथुरा में शाही ईदगाह मस्जिद परिसर के अदालत की निगरानी में सर्वेक्षण की अनुमति दी गई थी। यह परिसर कृष्ण जन्मभूमि मंदिर के निकट स्थित है, जो हिंदुओं के लिए महत्वपूर्ण धार्मिक महत्व का स्थल है। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि वह मस्जिद परिसर के अदालत की निगरानी में सर्वेक्षण के खिलाफ ‘ट्रस्ट शाही मस्जिद ईदगाह प्रबंधन समिति’ की याचिका पर सुनवाई अप्रैल से शुरू होने वाले सप्ताह के लिए टालते हैं।
पीठ ने कहा कि इस बीच, शाही ईदगाह मस्जिद परिसर के अदालत की निगरानी में सर्वेक्षण पर रोक लगाने वाला इलाहाबाद हाई कोर्ट का अंतरिम आदेश जारी रहेगा। शीर्ष अदालत ने पिछले साल 16 जनवरी को सबसे पहले हाई कोर्ट के 14 दिसंबर, 2023 के आदेश के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी थी। हाई कोर्ट ने शाही ईदगाह मस्जिद परिसर के अदालत की निगरानी में सर्वेक्षण की अनुमति दी थी और इसकी देखरेख के लिए एक अदालत आयुक्त की नियुक्ति पर सहमति व्यक्त की थी।
हिंदू पक्ष का दावा है कि परिसर में ऐसे संकेत हैं जो बताते हैं कि इस स्थान पर कभी मंदिर हुआ करता था। हिंदू पक्षों की ओर से पेश वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा था कि मस्जिद समिति की अपील हाई कोर्ट के 14 दिसंबर, 2023 के आदेश के खिलाफ दायर की गई थी और मामले से जुड़े आदेश निष्फल हो गए हैं।
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