प्रादेशिक
विधानसभा चुनाव लड़ने को लेकर पहली बार बोले सीएम योगी, कही ये बात
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आगामी विधानसभा चुनाव में खुद के लड़ने को लेकर पहली बार कोई टिप्पणी की है। उन्होंने कहा है कि पार्टी जहां से कहेगी, वह वहां से विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। इसके लिए पार्टी का संसदीय बोर्ड है।
किसे कहां से चुनाव लड़ना है, इसका निर्णय उसी बोर्ड में ही होता है। मुख्यमंत्री शुक्रवार देर शाम गोरखनाथ मंदिर में मीडियाकर्मियों के साथ मुलाकात में अनौपचारिक बातचीत के दौरान एक सवाल का जवाब दे रहे थे। जवाब के क्रम में उन्होंने कहा कि मैं तो हमेशा चुनाव लड़ा हूं।
सीएम योगी ने साढ़े चार साल के अपने कार्यकाल में प्रदेश में आए सकारात्मक बदलावों की विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि गत विधानसभा चुनाव में भाजपा ने जो कुछ कहा था, सरकार बनने के इन साढ़े चार सालों में हरेक क्षेत्र में उसे करके दिखा दिया है।
सीएम ने कहा कि 2017 में जब हम सरकार में आए तो सबसे बदतर स्थिति कानून व्यवस्था की थी लेकिन आज उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था पूरे देश में नजीर है। साढ़े चार सालों में कोई दंगा नहीं हुआ। दीपावली समेत सभी पर्व शांतिपूर्वक संपन्न हुए।
उन्होंने कहा कि अयोध्या में दीपोत्सव का उत्तर प्रदेश का आयोजन वैश्विक मंच पर छा गया है। दिवाली तो हमारे आने के पहले से मनाई जाती रही है, प्रयागराज में कुंभ भी पहली बार नहीं हुआ था लेकिन तब यूपी के सामने पहचान का संकट था।
अयोध्या के दीपोत्सव, प्रयागराज के भव्य-दिव्य कुम्भ जैसे आयोजनों, बेहतर कानून व्यवस्था, निवेश और रोजगार के भरपूर अवसरों तथा जनकल्याणकारी योजनाओं और समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति तक उनके क्रियान्वयन से हमनें उत्तर प्रदेश को पहचान के संकट से मुक्ति दिलाई है। आज उत्तर प्रदेश का व्यक्ति कहीं भी जाए उसे सम्मान की निगाह से देखा जाएगा।
यूपी निवेश के लिए बेस्ट डेस्टिनेशन
मुख्यमंत्री ने कहा कि साढ़े चार साल में यूपी में बड़े पैमाने पर निवेश हुआ है। मोबाइल डिस्प्ले बनाने वाली कम्पनी भारत में नहीं थी, चीन में थी। कोरोनाकाल में इसे यूपी में लाए।
पहले भारत से निवेश बाहर जाता था, आज बाहर से निवेश भारत मे आ रहा है और इसमें उत्तर प्रदेश ‘बेस्ट डेस्टिनेशन’ बना है। शानदार रोड कनेक्टिविटी और सुरक्षा की गारंटी का इसमे बड़ा योगदान है। पहले कहा जाता था कि जहां सड़क में गड्ढे शुरू हों, वही यूपी है लेकिन आज यूपी की पहचान एक्सप्रेस वे और फोर लेन सड़कों के संजाल से होती है।
पूर्वांचल एक्सप्रेस वे से 60 लाख लोगों को मिलेगा रोजगार
मुख्यमंत्री ने बताया कि इसी माह पूर्वांचल एक्सप्रेस वे का उद्घाटन होने जा रहा है। आज ही प्रधानमंत्री ने इसका प्रेजेंटेशन देखा है। पूर्वांचल एक्सप्रेस वे से 60 लाख लोगों को रोजगार जेनरेट हुआ है। रोजगार की चर्चा को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि साढ़े चार लाख युवाओं को सरकारी नौकरी दी गई और इतनी पारदर्शिता से की कोई अंगुली नहीं उठा सकता।
खाद्यान्न वितरण में यूपी पूरे देश मे अव्वल
सीएम ने मार्च 2017 के पहले खाद्यान्न वितरण में भ्रष्टाचार, कई जिलों में खाद्यान्न चोरी और राशन के अभाव में कुशीनगर में मुसहरों की भूख से मौत का जिक्र करते हुए कहा कि सरकार बनाते ही हमने खाद्यान्न वितरण व्यवस्था की जांच का आदेश दिया। इसमें 40 लाख राशन कार्ड ऐसे ऐसे मिले जिन पर राशन तो निकल रहा था लेकिन जिसके नाम से कार्ड था उस व्यक्ति को पता ही नहीं था।
खाद्यान्न वितरण व्यवस्था को पारदर्शी बनाने के लिए राशन की 80 हजार दुकानों में ईपास मशीन की व्यवस्था की गई। मुख्यमंत्री ने बताया कि कोरोना की पहली लहर के बाद खाद्यान्न वितरण की जांच करने भारत सरकार की टीम आई थी।
इसमें एक भी शिकायत नहीं मिली। यूपी ऐसा अकेला राज्य है जहां राशन वितरण व्यवस्था को लेकर 97 प्रतिशत लोगों ने संतुष्टि जताई है। दूसरे स्थान पर जो राज्य है वहां यह आंकड़ा 54 फ़ीसदी पर ही है। “कॉमन मैन” के जीवन में परिवर्तन कैसे लाया जा सकता है, उत्तर प्रदेश में इसे देख जा सकता है।
कोयला संकट में खरीदी 22 रुपये यूनिट बिजली पर नहीं होने दी राज्य में किल्लत
मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले उत्तर प्रदेश के बारे में कहा जाता था कि जहां से अंधेरा शुरू होता है वह यूपी है लेकिन आज यह धारणा उलट हो गई है। पूरे उत्तर प्रदेश में बिना भेदभाव पर्याप्त बिजली आपूर्ति हो रही है। उन्होंने बताया कि कोयला संकट के दौरान प्रदेश ने 22 प्रति यूनिट तक की दर से बिजली खरीदी लेकिन राज्य के लोगों को कोई परेशानी नहीं होने दी।
उत्तर प्रदेश
श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद को लेकर दाखिल याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में टली सुनवाई
नई दिल्ली। मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद को लेकर दाखिल याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टल गई है। अगली सुनवाई एक अप्रैल से शुरू होगी। अगली सुनवाई तक कृष्णजन्मभूमि सर्वे मामले पर रोक जारी रहेगी। बता दें कि मुस्लिम पक्ष की कई याचिकाएं SC में दाखिल हुई हैं। इसमें विवादित जगह पर सर्वे की इजाज़त देने, निचली अदालत में लंबित सभी मुकदमों को हाई कोर्ट के अपने पास सुनवाई के लिए ट्रांसफर करने को चुनौती देने वाली याचिकाएं भी शामिल हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने और क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस आदेश पर अपनी रोक बढ़ा दी, जिसमें मथुरा में शाही ईदगाह मस्जिद परिसर के अदालत की निगरानी में सर्वेक्षण की अनुमति दी गई थी। यह परिसर कृष्ण जन्मभूमि मंदिर के निकट स्थित है, जो हिंदुओं के लिए महत्वपूर्ण धार्मिक महत्व का स्थल है। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि वह मस्जिद परिसर के अदालत की निगरानी में सर्वेक्षण के खिलाफ ‘ट्रस्ट शाही मस्जिद ईदगाह प्रबंधन समिति’ की याचिका पर सुनवाई अप्रैल से शुरू होने वाले सप्ताह के लिए टालते हैं।
पीठ ने कहा कि इस बीच, शाही ईदगाह मस्जिद परिसर के अदालत की निगरानी में सर्वेक्षण पर रोक लगाने वाला इलाहाबाद हाई कोर्ट का अंतरिम आदेश जारी रहेगा। शीर्ष अदालत ने पिछले साल 16 जनवरी को सबसे पहले हाई कोर्ट के 14 दिसंबर, 2023 के आदेश के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी थी। हाई कोर्ट ने शाही ईदगाह मस्जिद परिसर के अदालत की निगरानी में सर्वेक्षण की अनुमति दी थी और इसकी देखरेख के लिए एक अदालत आयुक्त की नियुक्ति पर सहमति व्यक्त की थी।
हिंदू पक्ष का दावा है कि परिसर में ऐसे संकेत हैं जो बताते हैं कि इस स्थान पर कभी मंदिर हुआ करता था। हिंदू पक्षों की ओर से पेश वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा था कि मस्जिद समिति की अपील हाई कोर्ट के 14 दिसंबर, 2023 के आदेश के खिलाफ दायर की गई थी और मामले से जुड़े आदेश निष्फल हो गए हैं।
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