मुख्य समाचार
स्वावलंबी ग्राम पंचायतें बनेंगी आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश का आधार: सीएम योगी
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ग्राम पंचायतों को देश-प्रदेश के समृद्धि की धुरी करार देते हुए पंचायतों को और अधिकार-सम्पन्न करने की जरूरत बताई है। उन्होंने कहा है कि वर्तमान राज्य सरकार ने ग्राम पंचायतों को न केवल वित्तीय रूप से सशक्त बनाया, बल्कि गांवों में अवस्थापना विकास और पंचायत प्रतिनिधियों को प्रशासनिक अधिकार देकर मजबूत भी बनाया। सभी 58,189 ग्राम प्रधानों से बातचीत करते हुए सीएम ने कहा है कि गांव की जरूरत और पंचायत प्रतिनिधियों की भावनाओं के अनुरूप विधानसभा चुनाव के बाद भी पंचायतों के सशक्तिकरण का यह काम जारी रहेगा। यह स्वावलंबी, सशक्त और आधुनिक पंचायतें नए यूपी की पहचान होंगी।
सीएम योगी, रविवार को प्रदेश के 58,189 ग्राम प्रधानों से वर्चुअल माध्यम से बातचीत कर रहे थे। संवाद कार्यक्रम में सीएम ने कोरोना की अब तक कि लड़ाई में निगरानी समिति के मुखिया के रूप में प्रधानों की भूमिका की सराहना की तो तीसरी लहर में उनकी जिम्मेदारी का अहसास भी कराया। बीते 15 दिसंबर को लखनऊ में सम्पन्न पंचायत प्रतिनिधियों के सम्मेलन की याद दिलाते हुए मुख्यमंत्री ने पंचायत प्रतिनिधियों के मानदेय में वृद्धि की बात भी दोहराई। उन्होंने कहा कि कोरोनाकाल में शानदार काम करने वाली आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों, एएनएम, आशा बहनों का मानदेय बढ़ा तो पंचायत प्रतिनिधि भला कैसे वंचित रहते। अब तो ग्राम प्रधानों का मानदेय 3500 से बढ़ाकर ₹5000 कर दिया गया है। ब्लॉक प्रमुख को ₹9800 की जगह ₹11300 और जिला पंचायत अध्यक्ष को अब ₹14000 की जगह ₹15500 मानदेय मिल रहे। ग्राम पंचायत सदस्य को प्रति बैठक ₹100 मिलेंगे, तो बीडीसी को प्रति बैठक ₹500 की जगह ₹1000 और जिला पंचायत सदस्य को प्रति बैठक ₹1000 की जगह ₹1500 मिलेंगे। यही नहीं, हर गांव पंचायत में ग्राम पंचायत कोष का गठन किया जा रहा है। इस कोष से आकस्मिक दुर्घटना के शिकार होने पर ग्राम प्रधान के परिजनों को ₹10 लाख, जिला पंचायत सदस्य को ₹5 लाख, क्षेत्र पंचायत सदस्य को ₹3 लाख और ग्राम पंचायत सदस्य के परिजनों को ₹2 लाख की सहायता राशि प्रदान की जाएगी। उन्होंने कहा कि सरकार का यह निर्णय पंचायत प्रतिनिधियों के प्रति सम्मान है।
सीएम योगी ने कहा कि स्वावलंबी ग्राम पंचायतें आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश के सपने का आधार हैं। और यही कारण है कि आज अगर प्रदेश के सभी 58,189 ग्राम पंचायतों में सचिवालय बन रहे हैं। वहां कम्प्यूटर-इंटरनेट की कनेक्टिविटी मिल रही है, पंचायत सहायक तैनात हो रहे हैं। अब पेंशन का पैसा निकलना हो तो बीसी सखियां हैं, आय, जाति प्रमाण पत्र बनवाना है तो ऑनलाइन सुविधा से लैस ग्राम सचिवालय हैं। यही नहीं, सरकार ऐसी व्यवस्था कर रही है जिससे अब ग्राम पंचायतें अपनी परियोजनाओं का स्टीमेट बनाने/एमबी कराने का कार्य विकास खंड के नामित अभियंता के अलावा जनपद में कार्यरत लोक निर्माण विभाग, आवास एवं विकास परिषद, विकास प्राधिकरण, सिंचाई विभाग, ग्रामीण अभियंत्रण विभाग आदि सरकारी विभागों के इंजीनियरों से बनवाने के अलावा निजी क्षेत्र के विशेषज्ञ आर्किटेक्ट/सिविल इंजीनियर से बनवा सकेंगी।
“प्रधानों ने कहा, आपने हमें ताकत दी, आप ही आएंगे दोबारा”
ज़ूम लिंक के माध्यम से सीएम से जुड़े प्रधानों ने ग्राम पंचायतों को मजबूत बनाने के लिए मुख्यमंत्री के प्रयासों की सराहना भी की। हाथरस से प्रधान प्रियंका तिवारी ने कहा कि 15 दिसंबर 2021 को सीएम ने जो किया वह अभूतपूर्व था। आपने हमें मजबूत किया। हमारी ताकत बढ़ी अब 10 मार्च के बाद फिर से साथ काम करेंगे और उत्तर प्रदेश को सर्वोत्तम प्रदेश बनाएंगे। बिजनौर से प्रधान राहुल ने सीएसआर के माध्यम से गांव के विकास के अपने कोशिश की जानकारी दी तो लखनऊ से वीरेंद्र शुक्ला ने सीएम के मार्गदर्शन के लिए धन्यवाद दिया। चन्दौली से नीलम ओहारी ने गांव में जारी मनरेगा और कायाकल्प मिशन का अपडेट मुख्यमंत्री को दिया तो मेरठ से परमेंदर ने सशक्त ग्राम पंचायतों से बदल रही तस्वीर का बयान किया। एक-एक कर सभी से बात करते हुए सीएम ने कहा कि विधानसभा चुनाव लोकतंत्र का उत्सव है। हर प्रधान यह सुनिश्चित करें कि कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए हर एक नागरिक अपने मताधिकार का प्रयोग जरूर करे।
घर-घर दस्तक दें निगरानी समिति, हर एक पर रखें निगाह
वर्चुअल माध्यम से प्रधानों से मुखातिब मुख्यमंत्री योगी ने ‘मेरा गांव, कोरोना मुक्त गांव’ का लक्ष्य हासिल करने के लिए ग्राम प्रधानों से सहयोग भी मांगा। उन्होंने कहा कि यूपी ने कोविड प्रबंधन का जो मॉडल दिया, उसे आज पूरी दुनिया सराह रही है। इस काम में ग्राम पंचायतों में गठित निगरानी समितियों की भी अहम भूमिका रही है। और आज उस स्थिति में हैं, जहां सजगता, सतर्कता, सावधानी बहुत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि ग्राम प्रधान के रूप में आप सभी अपने-अपने गांव के अभिभावक हैं और निगरानी समितियों के अध्यक्ष हैं। हमारी निगरानी समितियों ने अब तक बहुत ही अच्छा कार्य किया है। एक-एक घर जाकर लोगों की स्क्रीनिंग की, जरूरत के अनुसार उन्हें मेडिकल किट दिया। लोगों के टेस्ट कराए, क्वारन्टीन किया। यही काम एक बार फिर करना है। गांव में कोई भी टीकाकरण से न वंचित न रहे। पात्र लोगों को प्री-कॉशन डोज लग जाए। गांव में बाहर से कोई भी आये उस पर नजर रखें। संदिग्ध लक्षण हो तो टेस्ट कराएं, मेडिकल किट दें। कोरोना की चुनौतियों का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना का हम सभी पर बहुत असर पड़ा है। हमारी प्राथमिकता जीवन और जीविका दोनों को बचाना है। केंद्र सरकार और राज्य सरकार सभी के भरण-पोषण की व्यवस्था कर रही है। आज 15 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन दिया जा रहा है। ग्राम प्रधान यह सुनिश्चित कराएं कि एक भी पात्र व्यक्ति राशन से वंचित न रहे।
नेशनल
संसद में धक्का-मुक्की के दौरान घायल हुए बीजेपी के दोनों सांसद हुए अस्पताल से डिस्चार्ज
नई दिल्ली। संसद परिसर में 19 दिसंबर को हुई धक्का-मुक्की की घटना में घायल हुए भारतीय जनता पार्टी के सांसद प्रताप सारंगी और मुकेश राजपूत को दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल से चार दिन बाद डिस्चार्ज कर दिया गया है। बता दें कि 19 दिसंबर को संसद परिसर में विपक्ष और एनडीए के सांसदों के बीच धक्का-मुक्की हो गई थी। इस धक्का-मुक्की के दौरान बीजेपी सांसद प्रताप सारंगी और मुकेश राजपूत घायल हो गए थे। उनके सिर में गंभीर चोट आई थी। उसके बाद उन्हें दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उन्हें सिर में चोट आई थी और ब्लड प्रेशर की भी समस्या हो गई थी।
संसद परिसर में धक्का-मुक्की के बाद घायल हुए बीजेपी के दोनों सांसदों को अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराया गया था। उसके दो दिन बाद यानी 21 दिसंबर को उन्हें एक वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया। एक वरिष्ठ डॉक्टर ने कहा कि, “दोनों सांसदों की हालत अब काफी बेहतर है और उन्हें छुट्टी दे दी गई है। राम मनोहर लोहिया अस्पताल के डॉ. शुक्ला एमएस ने पहले कहा था कि, ‘एमआरआई और सीटी स्कैन में चोट के संबंध में कुछ भी महत्वपूर्ण बात सामने नहीं आई है।
बता दें, कांग्रेस के राहुल गांधी पर ये आरोप लगाया गया कि उन्होंने भाजपा के सांसदों को धक्का मारा जिस वजह से वे घायल हो गए। दोनों को अस्पताल में तुरंत भर्ती करवाया गया।जानकारी के मुताबिक, इस घटना के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी फोन पर घायल सांसदों से बात की थी। इसके अलावा, उन्होंने सांसद मुकेश राजपूत से कहा, “पूरी देखभाल करना, जल्दबाजी नहीं करना और पूरा इलाज कराना।”
घटना को लेकर बीजेपी ने विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी पर आरोप लगाया था कि उन्होंने धक्का देकर बीजेपी सांसदों को घायल कर दिया। बीजेपी ने इस घटना को लेकर राहुल गांधी को जिम्मेदार ठहराया। वहीं दूसरी तरफ, कांग्रेस ने इन आरोपों को खारिज करते हुए पलटवार भी किया है जिसमें बीजेपी पर ये आरोप लगाया कि उनके सांसदों ने धक्का-मुक्की की थी, जिसमें कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे चोटिल होते-होते बचे। फिलहाल घायल सांसद डॉक्टरों की निगरानी में हैं और पूरी तरह से स्वस्थ होने तक आराम करेंगे।
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