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मुख्य समाचार

1 जून से शुरू होगा राम जन्मभूमि मुख्य मंदिर का निर्माण, CM योगी रखेंगे आधारशिला

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अयोध्या। अयोध्या के राम जन्मभूमि के मुख्य मंदिर का निर्माण 1 जून से शुरू करने की तैयारी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इसकी आधारशिला रखेंगे। वैदिक पूजन के साथ यह कार्यक्रम संपन्न करवाया जाएगा। राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने यह जानकारी दी है।

सितंबर 1990 में निर्मित गर्भगृह के प्रथम शिला का पूजन होगा। वैदिक पूजन के साथ प्रथम शिला रखी जाएगी। मंदिर ट्रस्ट के सदस्य डॉ अनिल मिश्र के मुताबिक गर्भ गृह के 403 वर्ग फुट क्षेत्र पर मकराना 13,300 घनफुट संगमरमर के नक्काशी के पत्थर लगेंगे।

शिला पूजन कार्यक्रम में ट्रस्टियों के अलावा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, राम मंदिर आंदोलन से जुड़े संत धर्माचार्य एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पदाधिकारी भी शामिल होंगे।

डॉ मिश्र ने बताया कि रामलला के गर्भ गृह का निर्माण दिसंबर 2023 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है इसलिए इस क्षेत्र पर रामलला के विराजमान होने की कोठरी का निर्माण शुरू करवाया जा रहा है।

उन्होंने बताया कि इसके साथ ही 70 एकड़ परिसर में मुख्य मंदिर के शेष भाग व अन्य देवी देवताओं के आधा दर्जन मंदिरों का भी निर्माण कार्य साथ-साथ चलता रहेगा। कहा कि चूंकि अब मुख्य मंदिर का निर्माण गर्भ गृह से शुरू होने जा रहा है, ऐसे में अब राजस्थान की कार्यशाला से तराशे गए पत्थरों का भी अयोध्या पहुंचना जारी है।

डॉ अनिल मिश्र ने बताया कि मंदिर के गर्भगृह स्थल के प्लिंथ का काम पूरा कर लिया गया है। मंदिर के गर्भगृह और उसके आसपास नक्काशीदार बलुआ पत्थरों को रखना प्रारम्भ होगा। प्लिंथ का काम और नक्काशीदार पत्थरों की स्थापना एक साथ जारी रहेगी।

मंदिर में करीब 4.70 लाख क्यूबिक फीट नक्काशीदार पत्थरों का इस्तेमाल किया जाएगा। मंदिर ट्रस्ट पूजन कार्यक्रम को स्मरणीय बनाने की तैयारी में जुटा है।

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उत्तर प्रदेश

दूसरे दिन के सर्वे के लिए ASI की टीम संभल के कल्कि विष्णु मंदिर पहुंची, कृष्ण कूप का किया निरीक्षण

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संभल। उत्तर प्रदेश के संभल में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की टीम लगातार दूसरे दिन भी सर्वे करने पहुंची। ASI की टीम संभल के कल्कि विष्णु मंदिर पहुंच गई है। अब यहां पर ASI की टीम सर्वे का काम कर रही है। ASI की टीम के साथ प्रशासन के अधिकारी भी मौजूद हैं। आज सर्वे का काम कृष्ण कूप में किया जाना है, जो कल्कि मंदिर के मेन गेट के पास है। बताया जा रहा है कि ये कृष्ण कूप संभल के जामा मस्जिद के पास से महज 500 मीटर की दूरी पर है। कृष्ण कूप चारों तरफ दीवारों से घिरा हुआ है। इसके चारों तरफ 5 फीट ऊंची दीवार बनी हुई है। इसके साथ ही कूप के अंदर झाड़ियां और गंदगी फैली हुई है।

संभल की एसडीएम वंदना मिश्रा ने बताया कि आर्कियोलॉजी की टीम आई थी। यहां पर एक प्राचीन कृष्ण कूप है। जिसका काल निर्धारण होना है। वह कितना पुराना है। उसी का निरीक्षण किया है। टीम ने कल्की मंदिर के भी दर्शन किए हैं। यह टीम लगभग 15 मिनट यहां पर रुकी है।
कल्कि मंदिर के पुजारी महेंद्र शर्मा ने बताया कि यहां पर एक टीम आई थी। उन्होंने एक कुआं देखा। वह कोने पर है। टीम परिसर में घूमी और मंदिर के अंदर की फोटो ली। मैंने उनसे कहा कि इस कार्य को मैं पुनर्जीवित करवाना चाहता हूं। उन्होंने कहा कि यह बहुत पुराना मंदिर है। एक हजार वर्ष का नक्शा, उसमें यह मंदिर दिखाया गया है। जो हरि मंदिर है उसके अन्दर यह मंदिर बना है।

ज्ञात हो कि जिलाधिकारी डॉ. राजेंद्र पैंसिया ने संभल के ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व को देखते हुए एएसआई निदेशक को पत्र भेजकर सर्वे कराने की मांग की थी। इसके बाद एएसआई की टीम ने संभल में प्राचीन धार्मिक स्थलों और कुओं का सर्वे शुरू किया। डीएम ने कहा था कि संभल का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व है। 19 कूप और पांच तीर्थों का एएसआई की टीम ने सर्वे किया है। यह सर्वे करीब 9 घंटे तक चला है।

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