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आध्यात्म

आज अक्षय तृतीया के दिन भूलकर भी न करें यह काम, माता लक्ष्मी होंगी रुष्ट  

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Akshaya Tritiya

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नई दिल्ली। हिंदू धर्म में अक्षय तृतीया के पर्व का बहुत महत्व है। हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया यानी आज 22 अप्रैल शनिवार के दिन यह पर्व मनाया जा रहा है। मान्यता है कि अक्षय तृतीया के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की उपासना करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है और जीवन में आ रही सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं।

ज्योतिष शास्त्र में भी अक्षय तृतीया के संदर्भ में कई उपायों के विषय में बताया है। साथ ही यह भी बताया है कि इस विशेष दिन पर साधकों को किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।

अक्षय तृतीया पर रखें इन नियमों का ध्यान

बिना नहाए तुलसी के पत्तों को तोड़ना वर्जित  

शास्त्रों में वर्णित है कि अक्षय तृतीया के दिन बिना नहाए तुलसी के पत्तों को नहीं तोड़ना चाहिए। माना जाता है कि ऐसा करने से भगवान विष्णु एवं माता लक्ष्मी नाराज हो जाती हैं। इसलिए नहाने के बाद ही तुलसी का स्पर्श करें।

साफ-सफाई जरूरी

अक्षय तृतीया के दिन घर में साफ-सफाई जरूर रहनी चाहिए। मां लक्ष्मी को साफ-सफाई सर्वाधिक प्रिय है। ऐसा नहीं होने पर वह चौखट पर आकर भी वापस लौट जाती हैं। इसलिए आज के दिन घर में विशेष रूप से साफ-सफाई रखें।

घर के मंदिर का भी विशेष ध्यान

अक्षय तृतीया के दिन माता लक्ष्मी का अपने भक्तों के घर आगमन होता है। इसलिए घर के मंदिर का भी विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए। पूजा से पहले मंदिर की साफ सफाई अच्छे से करें और पूरे समय शुद्धता का विशेष ध्यान रखें।

सोना अथवा चांदी की खरीदारी

आज के दिन सोना अथवा चांदी की खरीदारी को बहुत ही शुभ माना जाता है, लेकिन आज एलुमिनियम, प्लास्टिक या लोहे के बर्तन की खरीदारी भूलकर भी ना करें। ऐसा करने से पापी ग्रह राहु का प्रभाव बढ़ जाता है और घर में नकारात्मक ऊर्जा का वास होता है।

तामसिक भोजन का सेवन न करें

अक्षय तृतीया के शुभ अवसर पर मांस, मदिरा, तामसिक भोजन का सेवन भूलकर भी ना करें। ऐसा करने से मां लक्ष्मी नाराज हो जाती हैं और व्यक्ति के घर में आर्थिक तंगी उत्पन्न होने लगती है। इसलिए हो सके तो उपवास रखें या सात्विक भोजन ग्रहण करें।

डिसक्लेमर: उपरोक्त जानकारी के पूर्णतया सटीक व सत्य होने की हमारी गारंटी नहीं है। संबंधित विशेषज्ञ से अवश्य सलाह लें।

आध्यात्म

महाकुम्भ 2025: बड़े हनुमान मंदिर में षोडशोपचार पूजा का है विशेष महत्व, पूरी होती है हर कामना

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महाकुम्भनगर| प्रयागराज में संगम तट पर स्थित बड़े हनुमान मंदिर का कॉरिडोर बनकर तैयार हो गया है। यहां आने वाले करोड़ों श्रद्धालु यहां विभिन्न पूजा विधियों के माध्यम से हनुमान जी की अराधना करते हैं। इसी क्रम में यहां षोडशोपचार पूजा का भी विशेष महत्व है। षोडशोपचार पूजा करने वालों की हर कामना पूरी होती है, जबकि उनके सभी संकट भी टल जाते हैं। मंदिर के महंत और श्रीमठ बाघंबरी पीठाधीश्वर बलवीर गिरी जी महाराज ने इस पूजा विधि के विषय में संक्षेप में जानकारी दी और यह भी खुलासा किया कि हाल ही में प्रयागराज दौरे पर आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी मंदिर में षोडशोपचार विधि से पूजा कराई गई। उन्हें हनुमान जी के गले में पड़ा विशिष्ट गौरीशंकर रुद्राक्ष भी भेंट किया गया। उन्होंने भव्य और दिव्य महाकुम्भ के आयोजन के लिए पीएम मोदी और सीएम योगी का आभार भी जताया।

16 पदार्थों से ईष्ट की कराई गई पूजा

लेटे हनुमान मंदिर के महंत एवं श्रीमठ बाघंबरी पीठाधीश्वर बलवीर गिरी जी महाराज ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक यजमान की तरह महाकुम्भ से पहले विशेष पूजन किया। प्रधानमंत्री का समय बहुत महत्वपूर्ण था, लेकिन कम समय में भी उनको षोडशोपचार की पूजा कराई गई। पीएम ने हनुमान जी को कुमकुम, रोली, चावल, अक्षत और सिंदूर अर्पित किया। यह बेहद विशिष्ट पूजा होती है, जिसमें 16 पदार्थों से ईष्ट की आराधना की। इस पूजा का विशेष महत्व है। इससे संकल्प सिद्धि होती है, पुण्य वृद्धि होती है, मंगलकामनाओं की पूर्ति होती और सुख, संपदा, वैभव मिलता है। हनुमान जी संकट मोचक कहे जाते हैं तो इस विधि से हनुमान जी का पूजन करना समस्त संकटों का हरण होता है। उन्होंने बताया कि पीएम को पूजा संपन्न होने के बाद बड़े हनुमान के गले का विशिष्ट रुद्राक्ष गौरीशंकर भी पहनाया गया। यह विशिष्ट रुद्राक्ष शिव और पार्वती का स्वरूप है, जो हनुमान जी के गले में सुशोभित होता है।

सभी को प्रेरित करने वाला है पीएम का आचरण

उन्होंने बताया कि पूजा के दौरान प्रधानमंत्री के चेहरे पर संतों का ओज नजर आ रहा था। सबसे महत्वपूर्ण बात ये कि उनमें संतों के लिए विनय का भाव था। आमतौर पर लोग पूजा करने के बाद साधु संतों को धन्यवाद नहीं बोलते, लेकिन पीएम ने पूजा संपन्न होने के बाद पूरे विनय के साथ धन्यवाद कहा जो सभी को प्रेरित करने वाला है। उन्होंने बताया कि पीएम ने नवनिर्मित कॉरिडोर में श्रद्धालुओं की सुविधा को लेकर भी अपनी रुचि दिखाई और मंदिर प्रशासन से श्रद्धालुओं के आने और जाने के विषय में जानकारी ली। वह एक अभिभावक के रूप में नजर आए, जिन्हें संपूर्ण राष्ट्र की चिंता है।

जो सीएम योगी ने प्रयागराज के लिए किया, वो किसी ने नहीं किया

बलवीर गिरी महाराज ने सीएम योगी की भी तारीफ की। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने प्रयागराज और संगम के विषय में जितना सोचा, आज से पहले किसी ने नहीं सोचा। संत जीवन में बहुत से लोगों को बड़े-बड़े पदों पर पहुंचते देखा, लेकिन मुख्यमंत्री जी जैसा व्यक्तित्व कभी नहीं देखने को मिला। वो जब भी प्रयागराज आते हैं, मंदिर अवश्य आते हैं और यहां भी वह हमेशा यजमान की भूमिका में रहते हैं। हमारे लिए वह बड़े भ्राता की तरह है। हालांकि, उनकी भाव भंगिमाएं सिर्फ मंदिर या मठ के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश के लिए हैं। वो हमेशा यही पूछते हैं कि प्रयागराज कैसा चल रहा है। किसी मुख्यमंत्री में इस तरह के विचार होना किसी भी प्रांत के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

स्वच्छता का भी दिया संदेश

उन्होंने महाकुम्भ में आने वाले करोड़ों श्रद्धालुओं को संदेश भी दिया। उन्होंने कहा कि महाकुम्भ को स्वच्छ महाकुम्भ बनाने का जिम्मा सिर्फ सरकार और प्रशासन का नहीं है, बल्कि श्रद्धालुओं का भी है। मेरी सभी तीर्थयात्रियों से एक ही अपील है कि महाकुम्भ के दौरान स्नान के बाद अपने कपड़े, पुष्प और पन्नियां नदियों में और न ही तीर्थस्थल में अर्पण न करें। प्रयाग और गंगा का नाम लेने से ही पाप कट जाते हैं। माघ मास में यहां एक कदम चलने से अश्वमेध यज्ञ का फल मिलता है। यहां करोड़ों तीर्थ समाहित हैं। इसकी पवित्रता के लिए अधिक से अधिक प्रयास करें। तीर्थ का सम्मान करेंगे तो तीर्थ भी आपको सम्मान प्रदान करेंगे। स्नान के समय प्रयाग की धरा करोड़ों लोगों को मुक्ति प्रदान करती है। यहां ज्ञानी को भी और अज्ञानी को भी एक बराबर फल मिलता है।

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