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राजधानी दिल्ली में पकड़े गए 5600 करोड़ के ड्रग्स, दाउद गिरोह से भी खंगाले जा रहे हैं लिंक

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नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में पकड़े गए 5600 करोड़ के ड्रग्स के मामले में जांच कर रही पुलिस ने बड़ा खुलासा किया है। दिल्ली में ड्रग्स के कारोबार के तार दुबई से जुड़े होने की जानकारी मिली है। दुबई में मौजूद भारतीय नागरिक वीरेंद्र बसोया का नाम इंटरनेशनल सिंडिकेट के मास्टरमाइंड के तौर पर सामने आया है। बसोया भारत में ड्रग्स मामंले में गिरफ्तार भी हो चुका है और जमानत मिलने के बाद दुबई शिफ्ट होकर इंटरनेशनल ड्रग्स कार्टेल का बड़ा माफिया बन गया।

इसके बाद UK से तुषार से मिलने ड्रग्स डील के लिए जितेन्द्र गिल दिल्ली आया। जहां पर तुषार ने उसे पंचशील इलाके के एक होटल मे रुकवाया। इसके बाद दोनों गाजियाबाद और हापुड़ ड्रग्स लेने पहुंचे। मुंबई में जो कोकीन सप्लाई होनी थी उस शख्स की पहचान भी दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने की है। इस संबंध में मुंबई में संभावित ठिकानों पर छापेमारी की जा रही है।

इंटरनेशनल एजेंसियों को वीरेंद्र बसोया को लेकर इनपुट्स शेयर किए गए है ताकि उसे दुबई में दबोचा जा सके। वीरेंद्र वसोवा के दाउद गिरोह (Dकंपनी) से लिंक भी खंगाले जा रहे हैं।

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शराब घोटाला: केजरीवाल के खिलाफ चलेगा केस, एलजी ने ईडी को दी मंजूरी

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नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 से पहले अरविंद केजरीवाल की मुश्किलें बढ़ गई हैँ। दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने ईडी को आबकारी नीति मामले में पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है। 5 दिसंबर को ईडी ने अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी मांगी थी।

ईडी का दावा है कि अरविंद केजरीवाल ने ‘साउथ ग्रुप’ के सदस्यों के साथ मिलकर 100 करोड़ रुपये की रिश्वत ली और कस्टमाइज शराब नीति बनाकर निजी कंपनियों को अनुचित लाभ पहुंचाया। ईडी का यह भी कहना है कि केजरीवाल ने मनी लॉन्ड्रिंग के जरिए इस रकम को छुपाने की कोशिश भी की। बता दें यह मामला राउज एवेन्यू कोर्ट में पहले से दर्ज है।

ईडी ने जो शिकायत दायर कि है उसमें आरोप लगाया गया है कि केजरीवाल ने ‘साउथ ग्रुप’ के सदस्यों के साथ मिलकर 100 करोड़ रुपये की रिश्वत ली और एक विशेष शराब नीति तैयार करके उसे लागू करके निजी संस्थाओं को अनुचित लाभ पहुंचाया। ईडी ने अभियोजन शिकायत में यह भी आरोप लगाया कि अपराध की आय से लगभग 45 करोड़ रुपये का इस्तेमाल गोवा चुनावों में केजरीवाल की मिलीभगत और सहमति से आप के प्रचार के लिए किया गया।

जांच एजेंसी ने आरोप लगाया कि आप अपराध की आय का ‘मुख्य लाभार्थी’ थी और केजरीवाल राष्ट्रीय संयोजक और राजनीतिक मामलों की समिति और राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य होने के नाते गोवा चुनावों के दौरान धन के उपयोग के लिए जिम्मेदार थे। ED ने रिपोर्ट में उल्लेख किया कि अरविंद केजरीवाल ने इस पीओसी (अपराध की आय) को नकद हस्तांतरण/हवाला हस्तांतरण के माध्यम से पीढ़ी से लेकर उपयोग तक छुपाया है। इसलिए, आरोपी अरविंद केजरीवाल वास्तव में और जानबूझकर मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध से जुड़ी अलग अलग प्रक्रियाओं और गतिविधियों में शामिल हैं, यानी पीएमएलए (धन शोधन निवारण अधिनियम), 2002 की धारा 3 के तहत परिभाषित उत्पादन, अधिग्रहण, कब्जा, छिपाना, हस्तांतरण, उपयोग और इसे बेदाग होने का दावा करना है।

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