उत्तर प्रदेश
उप्र: बिजली कर्मियों की हड़ताल से स्थिति खराब, वार्ता बेनतीजा; सरकार सख्त
लखनऊ। उप्र में बिजली कर्मियों की हड़ताल से हालात बिगड़ते जा रहे हैं। ग्रामीण इलाकों में लोगों को भीषण कटौती का सामना करना पड़ा है। मौसम खराब होने की वजह से जगह-जगह हुए फॉल्ट ने समस्या और बढ़ा दी। कोई कर्मचारी फॉल्ट ठीक करने नहीं पहुंचा। शहरों में भी ऐसे ही हालत रहे। हड़ताल को लेकर सरकार ने और सख्ती दिखाई है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुद स्थिति की समीक्षा की। साथ ही आपूर्ति में बाधा डालने वाले तथा अराजकता पैदा करने वालों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई का निर्देश दिए। पावर कॉरपोरेशन ने 16 अधिशाषी अभियंता, अवर अभियंता और एसडीओ को निलंबित कर दिया गया है। तीन हजार से ज्यादा संविदा कर्मियों को बर्खास्त कर दिया गया है।
22 कर्मचारी नेता समेत कुल 29 के खिलाफ आवश्यक सेवा अनुरक्षण कानून (एस्मा) के तहत FIR दर्ज कराई गई है। सात मैनपावर एजेंसी के प्रबंधकों के खिलाफ केस दर्ज हुआ है। वहीं, विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने कहा कि सभी पदाधिकारी लखनऊ में मौजूद हैं। सरकार गिरफ्तार करे। कॉरपोरेशन प्रदेश भर में 18 से 24 घंटे आपूर्ति का दावा कर रहा है।
घंटे भर की बातचीत रही बेनतीजा
ऊर्जा मंत्री के साथ संघर्ष समिति के नेताओं की शनिवार रात करीब 10 बजे बैठक हुई। घंटेभर हुई बातचीत में कर्मचारी नेताओं ने सभी मांगों को माने जाने और दर्ज मुकदमे वापस लेने की मांग की। ऊर्जा मंत्री ने तत्काल मांगें माने जाने पर असमर्थता जताई। इस पर नेताओं ने फिर से बातचीत होने की बात कही।
अनर्गल मांगें नहीं मान सकते
ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने कहा है कि हम कर्मचारियों से काम पर लौटने और वार्ता की लगातार अपील कर रहे हैं। मार्च में हड़ताल से राजस्व का नुकसान हो रहा है। भारी कर्ज के चलते कर्मचारियों की अनर्गल मांगें पूरी नहीं की जा सकती हैं। विद्युत कर्मचारी संघर्ष समिति को वस्तुस्थिति से अवगत कराया गया है।
एक लाख कर्मी नहीं आ रहे काम पर
प्रदेश में करीब एक लाख कर्मचारी हड़ताल पर हैं। कर्मचारी नेताओं ने कहा, संघर्ष समिति ऊर्जा मंत्री से वार्ता के लिए हमेशा तैयार है। निविदा/संविदा कर्मचारियों की बर्खास्तगी के आदेश, बड़े पैमाने पर बिजलीकर्मियों के विरुद्घ केस व समिति पदाधिकारियों की गिरफ्तारी के आदेश की वजह से कर्मचारियों में आक्रोश है।
उद्योगों को लग रहा झटका
हड़ताल से प्रदेश के विभिन्न औद्योगिक खेत्रों में शनिवार को भी उत्पादन प्रभावित हुआ। उद्यमियों का कहना है, अभी तक छिटपुट कटौती है, पर हड़ताल लंबी चली तो समस्या ज्यादा बढ़ सकती है। इंडियन इंडस्ट्री एसोसिएशन के अधिशासी निदेशक डीएस वर्मा ने बताया कि कानपुर, वाराणसी सहित कई जगह से बिजली समस्या की शिकायतें मिली हैं। हालांकि, निगमों ने भरोसा दिया है कि उन्हें बिजली मिलती रहेगी।
प्रदेशवासियों एवं बिजलीकर्मियों का हो रहा उत्पीड़न
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बिजली कर्मियों की हड़ताल पर भाजपा सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने ट्वीट किया कि निजी हाथों में बिजली सौंपने के लिए दिल्ली-लखनऊ मिलकर प्रदेशवासियों एवं बिजलीकर्मियों का उत्पीड़न कर रहे हैं।
भाजपाई संविदाकर्मियों का रोजगार छीनना चाहते हैं। जो पुलिस कानून व्यवस्था नहीं संभाल पाती, वह बिजली क्या संभालेगी? सपा के समय घाटे से उबरा पावर कॉरपोरेशन अब घाटे में क्यों है?
उन्होंने दूसरे ट्वीट में लिखा कि डबल इंजन की सरकार में उत्तर प्रदेश को बिना बिजली के रहने का अभिशाप मिला है। बच्चे बूढ़े परेशान हैं। मरीजों का हाल बेहाल है। व्यापार-कारोबार ठप है। प्रशासन की बत्ती गुल है। भाजपा सरकार समझ ले कि उत्तर प्रदेश को बुलडोजर की जगह जनरेटर की जरूरत है।
उत्तर प्रदेश
संकट में होती है व्यक्ति और संस्थान की पहचान, कोई बिखर तो कोई निखर जाता है: सीएम योगी
लखनऊ | संकट में हर व्यक्ति और संस्थान की पहचान होती है। जब अचानक कोई चुनौती आती है तो लोग बड़े-बड़े दावे करके मैदान छोड़ भाग जाते हैं। यह वह समय होता है, जब कोई बिखर जाता है और जो चुनौतियों का सामना करता है वो निखर जाता है। हमें बिखरना नहीं है। केजीएमयू के गौरव को बढ़ाना है। ध्यान रहे कि कोई भी मरीज निराश न जाए। सीएम ने कहा कि संस्थान नई-नई सेवाओं के साथ आगे बढ़ रहा है। वर्ष 1905 में जब मेडिकल कॉलेज खुलने की बात आई होगी तो उस समय रियासतों ने सहयोग किया होगा। 10 लाख 75 हजार 800 रुपये से मेडिकल कॉलेज शुरू हो गया। वहीं संस्थान आज अपनी शानदार यात्रा के साथ देश के सबसे बड़े मेडिकल संस्थान के रूप में अग्रणी चिकित्सा संस्थान के रूप में लगातार आगे बढ़ रहा है। आज केजीएमयू का दायरा लगभग 100 एकड़ के क्षेत्रफल में होने जा रहा है। यह शानदार सफर ऐसे ही आगे बढ़ता रहेगा।
यह बातें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहीं। उन्होंने शनिवार को केजीएमयू के 120वें स्थापना दिवस समारोह में 67 मेधावी छात्रों को मेडल और सर्टिफिकेट प्रदान कर सम्मानित किया।
संस्थान को अगले 100 वर्ष का गोल सेट करके आगे बढ़ना होगा
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि शासन ने संस्थान को सब कुछ दिया है। हमारे पास पैसों की कमी नहीं है। हमें सेवाओं को बेहतर बनाने के बारे में सोचना चाहिये। संस्थान को अगले 100 वर्ष का गोल सेट करके आगे बढ़ना होगा, ताकि संस्थान के गौरव को और आगे बढ़ाया जा सके। उन्होंने कहा कि कोरोना के दौरान केजीएमयू में मिसाल पेश की है। सीएम ने कहा कि एक मेडिकल कॉलेज के कुछ डॉक्टरों ने खुद को क्वारंटीन कर लिया था, लेकिन जांच में वह निगेटिव मिले। इस पर उन्हें निलंबित कर दिया गया जबकि केजीएमयू ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और प्रदेश सरकार की मंशा के अनुरुप पूरी तत्परता से काम किया। परिणाम हम सभी के सामने हैं। उन्होंने कहा कि यहां मेडिकल की सबसे अधिक सीटें हैं, जहां पर छात्र पढ़ाई करके आने वाले समय में चिकित्सा संस्थान की उपलब्धियों को और भी आगे लेकर जाएंगे। सरकार ने भी संस्थान को आगे बढ़ाने के लिए अत्याधुनिक मशीनों और लैब के लिए 300 करोड़ रुपये की धनराशि स्वीकृत की है। इसके अलावा 377 करोड़ रुपये से सर्जरी डिपार्टमेंट की एक नई बिल्डिंग के लिए स्वीकृत की है। वहीं फायर सिक्योरिटी के लिए लगभग 46 करोड़, लारी कॉर्डियोलॉजी के विस्तार के लिए 70 करोड़ रुपये दिये हैं।
बीमारी चली जाती है, लेकिन व्यवहार याद रहता है, इसका ध्यान रखें डॉक्टर्स और स्टाफ
सीएम योगी ने संस्थान के चिकित्सकाें को मरीजों की स्क्रीनिंग, वर्चुअल आईसीयू, टेलीमेडिसिन की सुविधा शुरू करने पर विचार करने की अपील की। उन्होंने कहा कि उपचार के लिए पैसों की कोई कमी नहीं है, इलाज में पैसा समस्या नहीं है। दिनचर्या से आज मरीजों की भीड़ बढ़ रही है। दूसरी बीमारी स्मार्ट फोन बन गई है। इसके लिए मानसिक रोग विभाग का विस्तार किया जाना चाहिये। साथ ही इसे रोकने के लिए जागरुकता फैलानी होगी। सीएम ने कार्डियक सर्जरी, किडनी- आर्गन ट्रांसप्लांट के साथ डोनेशन पर तेजी के साथ विस्तार करने की अपील की। बोले-इसके बारे में लोगों के मन में एक चेतन को जागृत करने की आवश्यकता है। उन्हे बताने की आवश्यकता है कि कोई व्यक्ति अगर ब्रेन डेड हो गया है और उसके अंग अगर किसी दूसरे व्यक्ति की जान को बचा सकते हैं तो डोनेट करने में क्या बुराई है। इसे लेकर केजीएमयू को अवेयरनेस कैंप, विभिन्न कार्यक्रम, होर्डिंग और पंफलेट आदि के जरिये जागरुकता की ओर ध्यान देना चाहिये। सीएम ने कहा कि सेंटर फॉर एक्सीलेंस विभाग का पैसा खर्च नहीं हो पाता है। इस ओर ध्यान देना होगा। सीएम ने कहा कि डॉक्टरों के लिए सबसे बड़ी पूंजी उनकी संवेदना होती है। सबके निरोग होने की कल्पना के साथ डॉक्टर का व्यवहार ठीक होगा तो बाकी स्टाफ का काम और व्यवहार भी ठीक होगा। बीमारी चली जाती है, लेकिन व्यवहार याद रहता है। ऐसे में सेवा और शिक्षा दोनों फील्ड में यह मानक तय करने होंगे।
कुलपति प्रो. सोनिया नित्यानंद ने सीएम योगी को स्मृति चिह्न भेंट किया। इस अवसर पर डिप्टी सीएम बृजेश पाठक, राज्य मंत्री मयंकेश्वर शरण सिंह, निदेशक आईआईटी कानपुर प्राेफेसर मणिंद्र अग्रवाल, केजीएमयू की प्रतिकुलपति प्रो. अपजित कौर, डीन प्रो. अमिता जैन आदि की उपस्थिति रही।
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