उत्तर प्रदेश
IIMT के पूर्व कुलपति मनोज कुमार मदान पर FIR, फर्जी डिग्री लगाने का है आरोप
मेरठ। आइआइएमटी यूनिवर्सिटी में कुलपति के पद पर काम कर चुके मनोज कुमार मदान के खिलाफ संस्थान ने धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कराया है। संस्थान में एक साल तक कुलपति के पद पर तैनात रहे मदान पर पीएचडी की फर्जी डिग्री लगाकर नौकरी करने का आरोप है। उनके नौकरी छोड़कर जाने के बाद संस्थान को फर्जी डिग्री के बारे में जानकारी मिली, जिस पर संस्थान की तरफ से मनोज मदान के खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कराया।
प्राप्त समाचार के अनुसार आइआइएमटी के अधिकृत प्रतिनिधि मनोज कुमार द्वारा एसएसपी को दिए प्रार्थना पत्र में बताया गया कि यूनिवर्सिटी में 18 सितंबर 2020 को मनोज कुमार मदान निवासी सेक्टर पांच द्वारका, दिल्ली को कुलपति के पद पर नियुक्त किया गया था। उन्होंने नियुक्ति से पहले संस्थान को चेन्नई से पीएचडी की डिग्री दिखाई थी। 20 मई 2021 को मनोज मदान यहां से चले गए। संस्थान की जांच में सामने आया कि मनोज मदान पीएचडी की फर्जी डिग्री पर यूनिवर्सिटी के कुलपति पद पर रहे। एक साल में उन्होंने वेतन के रूप में 14.40 लाख की रकम ली है।
आइआइएमटी की तरफ से मनोज मदान के खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज करने की मांग की गई, जिस पर एसएसपी रोहित सजवाण ने गंगानगर थाने में मनोज मदान पर मुकदमा दर्ज करा दिया। एसएसपी ने बताया कि मामले की विवेचना की जा रही है।
डिग्री के फर्जीवाड़ा में जेल जा चुके हैं मदान
आइआइएमटी यूनिवर्सिटी ने अपने शिकायती पत्र में बताया कि मनोज कुमार मदान पहले भी राजस्थान के लक्ष्मणगढ़ से फर्जी डिग्री लगाकर कुलपति के रूप में कार्य करने के मामले में जेल जा चुके हैं। जेल से जमानत पर आने के बाद ही उन्होंने गंगानगर की आइआइएमटी यूनिवर्सिटी में ज्वाइनिंग की थी।
उत्तर प्रदेश
श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद को लेकर दाखिल याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में टली सुनवाई
नई दिल्ली। मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद को लेकर दाखिल याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टल गई है। अगली सुनवाई एक अप्रैल से शुरू होगी। अगली सुनवाई तक कृष्णजन्मभूमि सर्वे मामले पर रोक जारी रहेगी। बता दें कि मुस्लिम पक्ष की कई याचिकाएं SC में दाखिल हुई हैं। इसमें विवादित जगह पर सर्वे की इजाज़त देने, निचली अदालत में लंबित सभी मुकदमों को हाई कोर्ट के अपने पास सुनवाई के लिए ट्रांसफर करने को चुनौती देने वाली याचिकाएं भी शामिल हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने और क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस आदेश पर अपनी रोक बढ़ा दी, जिसमें मथुरा में शाही ईदगाह मस्जिद परिसर के अदालत की निगरानी में सर्वेक्षण की अनुमति दी गई थी। यह परिसर कृष्ण जन्मभूमि मंदिर के निकट स्थित है, जो हिंदुओं के लिए महत्वपूर्ण धार्मिक महत्व का स्थल है। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि वह मस्जिद परिसर के अदालत की निगरानी में सर्वेक्षण के खिलाफ ‘ट्रस्ट शाही मस्जिद ईदगाह प्रबंधन समिति’ की याचिका पर सुनवाई अप्रैल से शुरू होने वाले सप्ताह के लिए टालते हैं।
पीठ ने कहा कि इस बीच, शाही ईदगाह मस्जिद परिसर के अदालत की निगरानी में सर्वेक्षण पर रोक लगाने वाला इलाहाबाद हाई कोर्ट का अंतरिम आदेश जारी रहेगा। शीर्ष अदालत ने पिछले साल 16 जनवरी को सबसे पहले हाई कोर्ट के 14 दिसंबर, 2023 के आदेश के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी थी। हाई कोर्ट ने शाही ईदगाह मस्जिद परिसर के अदालत की निगरानी में सर्वेक्षण की अनुमति दी थी और इसकी देखरेख के लिए एक अदालत आयुक्त की नियुक्ति पर सहमति व्यक्त की थी।
हिंदू पक्ष का दावा है कि परिसर में ऐसे संकेत हैं जो बताते हैं कि इस स्थान पर कभी मंदिर हुआ करता था। हिंदू पक्षों की ओर से पेश वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा था कि मस्जिद समिति की अपील हाई कोर्ट के 14 दिसंबर, 2023 के आदेश के खिलाफ दायर की गई थी और मामले से जुड़े आदेश निष्फल हो गए हैं।
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