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लाइफ स्टाइल

अगर माथे पर पड़ती हैं ऐसी लकीरें तो संभल जाइए, हो सकती हैं ये जानलेवा बीमारी

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पुराने ज़माने में एक बात बोली जाती थी कि जिसके माथे पर जितनी लकीरें होती हैं। वो उतना ही बुद्धिमान होता है। लेकिन वैज्ञानिक इस बात से कोई वास्ता नहीं रखते है। वैज्ञानिकों ने माथे की लकीरों को जानलेवा बताते हुए एक चिंताजनक बात कही है। अगर आपके माथे पर भी लकीरें हैं तो सावधान होने की जरूरत है।

आजकल माथे पर लकीर को बढ़ती उम्र का संकेत मानकर इन्हें हटाने की कोशिश की जाती है। वैज्ञानिकों के अनुसार माथे पर पड़ने वाली ये लकीरें हृदय रोग की वजह से समय से पूर्व होने वाली मौत का संकेत हो सकती हैं।

इस बात का खुलासा यूरोपियन सोसाइटी ऑफ कार्डियोलॉजी कांग्रेस 2018 में पटल पर रखी गई एक नई रिसर्च में किया गया। इसके मुताबिक माथे पर पड़ने वाली झुर्रियां अथेरोस्लेरॉसिस बीमारी जिसमें धमनियां कठोर हो जाती हैं कि वजह से होने वाली असमय मौत के खतरे का संकेत देती हैं।

अनुसंधानकर्ताओं ने इस पूरी स्थिति को समझाते हुए बताया कि माथे में मौजूद रक्त वाहिकाएं प्लेक बनने की प्रति ज्यादा संवेदनशील होती हैं क्योंकि वे बेहद छोटी होती हैं। नतीजतन ये रक्त वाहिकाओं की बढ़ती उम्र का संकेत भी हैं। इसके अलावा कोलाजन प्रोटीन और ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस की वजह से भी अथेरोस्लेरॉसिस हो सकता है जिससे माथे पर गहरी लकीरें पड़ जाती हैं।

करीब 20 साल तक तीन हजार वयस्कों की जांच करने के बाद वैज्ञानिक इस तह तक पहुंच पाए कि जहां जहां लकीरों का स्कोर जितना ज्यादा था उस प्रतिभागी में हृदय संबंधित रोग होने का खतरा उतना ही अधिक था।

वैज्ञानिक कहते हैं कि अगर माथे पर गहरी लकीरों के साथ ही आपका ब्लड प्रेशर भी ऊपर-नीचे होता रहता है और ब्लड में ग्लूकोज का लेवल भी स्थिर नहीं है तो आपके लिए चिंता की बात हो सकती है। लिहाजा इससे बचने के लिए बैलेंस्ड डायट का सेवन करें, जितना हो सकते लाइफस्टाइल को हेल्दी रखें और व्यायाम करें। योग का भी सहारा लेकर इससे छुटकारा पाया जा सकता है।

 

 

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लाइफ स्टाइल

स्वस्थ रखने का अच्छा व आसान उपाय है टहलना, कई बीमारियों से करेगा बचाव

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Walking is a good and easy way to keep healthy

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नई दिल्ली। वर्तमान समय में गलत खानपान, अनियमित जीवनशैली व शारीरिक श्रम से दूरी कई गंभीर बीमारियों को न्योता दे रही है। आज जैसी आरामपसंद जीवनशैली में टहलना खुद को स्वस्थ रखने का एक अच्छा व आसान उपाय है।

कहते हैं कि यदि दौड़ न सकें तो चलें। चल न सकें, तो खड़े हो जाएं और खड़े भी नहीं हो पा रहे हैं तो अपने शरीर को बस सक्रिय रखकर स्वास्थ्य लाभ पा सकते हैं।

जर्नल आफ अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन के एक शोध के मुताबिक, यदि आप कदमों की एक निश्चित संख्या को सतत बनाए रखते हुए प्रतिदिन टहलते हैं तो डिमेंशिया, कार्डियोवेस्कुलर और कैंसर जैसी बीमारियों से बचाव करने में काफी हद तक सफल हो सकते हैं।

तेजी से टहलना रखता है चुस्त

यदि आप सामान्य रूप से टहलते हैं तो इस दौरान आमतौर पर लोग किसी से आराम से बात करते हुए चलते हैं। पर इससे थोड़ा और तेज चलें तो आप बस बात को समझकर हां या ना में जवाब भर दे सकते हैं।

वहीं, जब आप इन दोनों तरीके से अलग और तेज चलते हैं तो इसे ब्रिस्क वाक कहते हैं। यह सामान्य गति से चलने और दौड़ने के बीच की स्थिति होती है। तेज गति से टहलना एक शानदार कसरत है। यदि आप हर दिन एक घंटे तक ब्रिस्क वाक करें तो यह हृदय की कार्यप्रणाली को स्वस्थ रखने में मदद करता है। हालांकि जितना लंबा चलें, उतना अच्छा।

तनाव न लें, इसे आनंददायक बनाएं

हर उम्र और वर्ग के लोगों को टहलने के लिए प्रेरित करना चाहिए पर ऐसा न हो कि आपने टहलना शुरू किया और जब यह किसी कारण वश रुक गया तो आप परेशान हो जाएं। इससे कई लोग टहलना भी छोड़ देते हैं।

गैजेट की मदद से जानना कि कितने कदम चले, कितने घंटे चले, यह सब अच्छा है। यह उत्साह भी ठीक है, लेकिन टहलने को आनंददायक बना लें, तो इससे आपको लाभ अधिक मिलेंगे। यह एक मजेदार चीज है। आप दिन भर खुश और ऊर्जावान महसूस करेंगे। आप इसकी मदद से अपना स्वाथ्य बेहतर कर रहे हैं, इसलिए तनाव के बजाय सहजता से आगे बढ़ें।

इन बातों का रखें ध्यान

आपके जूते आरामदायक हों। मधुमेह के मरीज हैं, तो संक्रमण का कारण बन सकता है अनफिट जूता।

कपड़े मौसम के अनुकूल होने चाहिए।

सर्दी में शरीर को अच्छी तरह ढककर चलें। गुनगुनी धूप में टहलें।

सुरक्षित और साफ-सुथरे वातावरण में टहलें।

टहलते समय अपना पेट बिल्कुल टाइट रखें। कमर सीधी रहे और आगे की ओर न झुकें।

खाने के बाद हल्की चहलकदमी करें। इससे पाचन में मदद मिलेगी।

उम्र का ध्यान रखें, अपनी क्षमता को जानें।

टहलने से तन मन रहता है चुस्त

नींद अच्छी आती है। पाचन तंत्र सही रहता है।

मोटापा, मधुमेह, कैंसर, डिमेंशिया आदि से दूर रहने में मदद मिलती है।

नाड़ी को नियंत्रित करता है। रक्तचाप को नियंत्रित कर हृदय की कार्यक्षमता में सुधार लाता है।

वजन पर नियंत्रण रहता है।

सहनशक्ति बढ़ती है। नकारात्मकता दूर होने से खुशी और उत्साह से भरे होते हैं आप।

मेनोपाज के कारण महिलाओं में वजन बढ़ने, चिड़चिड़ेपन आदि जैसी समस्या से छुटकारा मिल सकता है।

30 मिनट कम से कम प्रतिदिन चलना चाहिए

10 प्रतिशत तक कम कर देता है हृदय रोग व कैंसर का जोखिम प्रत्येक 2000 कदम।

10,000 कदम प्रतिदिन चलना डिमेंशिया का जोखिम 50 प्रतिशत तक कम कर देता है।

35 प्रतिशत तक मौत के खतरे को कम कर सकते हैं तेजी से टहल कर।

25 प्रतिशत तक कैंसर और हृदय रोग के खतरे को कम कर सकते हैं ब्रिस्क वॉक से।

डिस्क्लेमर: उपरोक्त जानकारी सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य से है न कि कोई चिकित्सकीय सलाह। अपनाने से पूर्व संबंधित विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें।

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