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उत्तर प्रदेश

सीएम शिंदे से मिलना पड़ा महंगा, पूर्व मंत्री राजकिशोर सिंह बसपा से निष्कासित

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former minister Rajkishore Singh expelled from BSP

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लखनऊ। उप्र निकाय चुनाव की तैयारियों की बीच बहुजन समाज पार्टी ने अपने दो नेताओं को निष्कासित कर दिया है। बस्ती जनपद के निवासी पूर्व मंत्री राजकिशोर सिंह तथा उनके भाई बृजकिशोर सिंह ‘डिम्पल’ को पार्टी से निष्कासित कर दिया गया है। बताया यह जा रहा है कि दोनों यूपी में आए महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे से मिले थे और यही बात बसपा सुप्रीमो मायावती को नागवार गुजरी।

राजकिशोर सिंह बस्ती के जाने माने नेता हैं। तीन बार विधायक रह चुके हैं। उन्होंने अपने राजनीतिक कैरियर की शुरुआत बसपा से ही की थी। उसके बाद सपा में शामिल हुए और कैबिनेट मंत्री बने। उनके भाई बृजकिशोर डिंपल भी राजनीति में सक्रिय हैं। उन्हें भी सपा सरकार में उर्जा सलाहकार (दर्जा प्राप्त मंत्री) बनाया गया था। बाद में दोनों कांग्रेस में चले गए।

वर्ष 2020 में वह फिर से बसपा में शामिल हो गए थे। बस्ती के बसपा जिला अध्यक्ष जयहिंद गौतम ने पत्र जारी करते हुए दोनों के ही बसपा से निष्कासन की बात कही। चिट्ठी में लिखा है कि दोनों को अनुशासहीनता करने और पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त पाए जाने पर पार्टी से निष्कासित किया जाता है।

बताया जा रहा है कि रविवार को महाराष्ट्र सीएम एकनाथ शिंदे अयोध्या आए थे। इन दोनों नेताओं ने अयोध्या में एकनाथ शिंदे से मुलाकात की। हालांकि दोनों को ही भाजपा के संपर्क में बताया जा रहा है।

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उत्तर प्रदेश

श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद को लेकर दाखिल याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में टली सुनवाई

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नई दिल्ली। मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद को लेकर दाखिल याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टल गई है। अगली सुनवाई एक अप्रैल से शुरू होगी। अगली सुनवाई तक कृष्णजन्मभूमि सर्वे मामले पर रोक जारी रहेगी। बता दें कि मुस्लिम पक्ष की कई याचिकाएं SC में दाखिल हुई हैं। इसमें विवादित जगह पर सर्वे की इजाज़त देने, निचली अदालत में लंबित सभी मुकदमों को हाई कोर्ट के अपने पास सुनवाई के लिए ट्रांसफर करने को चुनौती देने वाली याचिकाएं भी शामिल हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने और क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस आदेश पर अपनी रोक बढ़ा दी, जिसमें मथुरा में शाही ईदगाह मस्जिद परिसर के अदालत की निगरानी में सर्वेक्षण की अनुमति दी गई थी। यह परिसर कृष्ण जन्मभूमि मंदिर के निकट स्थित है, जो हिंदुओं के लिए महत्वपूर्ण धार्मिक महत्व का स्थल है। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि वह मस्जिद परिसर के अदालत की निगरानी में सर्वेक्षण के खिलाफ ‘ट्रस्ट शाही मस्जिद ईदगाह प्रबंधन समिति’ की याचिका पर सुनवाई अप्रैल से शुरू होने वाले सप्ताह के लिए टालते हैं।

पीठ ने कहा कि इस बीच, शाही ईदगाह मस्जिद परिसर के अदालत की निगरानी में सर्वेक्षण पर रोक लगाने वाला इलाहाबाद हाई कोर्ट का अंतरिम आदेश जारी रहेगा। शीर्ष अदालत ने पिछले साल 16 जनवरी को सबसे पहले हाई कोर्ट के 14 दिसंबर, 2023 के आदेश के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी थी। हाई कोर्ट ने शाही ईदगाह मस्जिद परिसर के अदालत की निगरानी में सर्वेक्षण की अनुमति दी थी और इसकी देखरेख के लिए एक अदालत आयुक्त की नियुक्ति पर सहमति व्यक्त की थी।

हिंदू पक्ष का दावा है कि परिसर में ऐसे संकेत हैं जो बताते हैं कि इस स्थान पर कभी मंदिर हुआ करता था। हिंदू पक्षों की ओर से पेश वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा था कि मस्जिद समिति की अपील हाई कोर्ट के 14 दिसंबर, 2023 के आदेश के खिलाफ दायर की गई थी और मामले से जुड़े आदेश निष्फल हो गए हैं।

 

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