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नेशनल

सरकार ने विमानन नियमों में किया संशोधन, पायलट के लाइसेंस अब 10 वर्षों तक रहेंगे वैध

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Govt amends Aviation Rule, commercial pilot licenses to be valid for 10 years

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नई दिल्ली। नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने विमान नियम, 1937 में संशोधन किया है। विमानन नियमों में किए गए विभिन्न परिवर्तनों के अनुसार एयरलाइन ट्रांसपोर्ट पायलट लाइसेंस (ATPL) और कमर्शियल पायलट लाइसेंस (CPL) धारकों के लाइसेंस की वैधता पांच साल से बढ़ाकर दस साल कर दी गई है।

सरकार ने विमानन क्षेत्र में कारोबार सुगमता को और बेहतर बनाने के प्रयासों के तहत नियमों में संशोधन किया है इसके अनुसार वाणिज्यिक पायलट लाइसेंस अब 10 साल के लिए वैध होंगे। अभी तक CPL की वैधता पांच साल के लिए होती थी और उस अवधि के पूरा होने के बाद इसे रिन्यू कराना होता था।

नागर विमानन मंत्रालय ने सोमवार को एक बयान में कहा, “इस बदलाव से पायलटों और डीजीसीए जैसे विमानन प्राधिकरणों पर प्रशासनिक बोझ कम होने की उम्मीद है, जिससे अधिक सुव्यवस्थित और कुशल लाइसेंसिंग प्रक्रिया को बढ़ावा मिलेगा।”

इसके अलावा, हवाई अड्डे के आसपास रोशनी के प्रदर्शन से संबंधित चिंताओं को दूर करने के लिए नियमों में संशोधन किया गया है। यह भी स्पष्ट किया गया है कि ‘प्रकाश’ शब्द में लालटेन रोशनी, विश काइट्स और लेजर लाइट शामिल हैं। इसके अलावा, ऐसी रोशनी का प्रदर्शन करने वालों पर सरकार के अधिकार क्षेत्र को एक एयरोड्रम के आसपास 5 किलोमीटर से 5 समुद्री मील तक बढ़ा दिया गया है।

यह स्पष्ट किया गया है कि सरकार के पास उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार है जो रोशनी प्रदर्शित करते हैं जो विमान के सुरक्षित संचालन को बाधित करते हैं या ऑपरेटिंग चालक दल के लिए खतरा पैदा करते हैं।

मंत्रालय ने कहा, ‘अगर ऐसी लाइटें 24 घंटे तक बंद नहीं की जाती हैं तो, तो सरकार को उस स्थान पर प्रवेश करने और उन्हें बुझाने का अधिकार है।’  इसके साथ ही मामले को भारतीय दंड संहिता (IPC) के तहत कानूनी कार्रवाई के लिए संबंधित पुलिस स्टेशन को सूचित किया जाना चाहिए।

जब देखी गई रोशनी का स्रोत अज्ञात होगा या यदि यह स्थान बदलता है, तो हवाई अड्डे या एयरलाइन ऑपरेटर को स्थानीय पुलिस स्टेशन को तुरंत घटना की रिपोर्ट करने के लिए बाध्य किया जाएगा, जिससे संभावित आपराधिक कार्यवाही शुरू होगी।

अन्य एक संशोधन के तहत विदेशी लाइसेंस के सत्यापन की आवश्यकता को हटा दिया गया है। मंत्रालय ने कहा, ‘‘ नियमों में यह बदलाव विमानन क्षेत्र की उभरती जरूरतों के अनुरूप है।’’ इसके अलावा, एयर ट्रैफिक कंट्रोलर (ATC) लाइसेंस धारकों के लिए संबंधित आवश्यकताओं को उदार बनाया गया है।

मंत्रालय ने कहा कि 10 अक्टूबर को अधिसूचित विमान नियम 1937 में संशोधन विमानन क्षेत्र में सुगमता को बढ़ावा देने और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण हैं। भारत दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ते विमानन बाजारों में से एक है। कई एयरलाइन अपने विमान बेड़े का विस्तार कर रही हैं। वे बढ़ती हवाई यातायात मांग को पूरा करने के लिए अधिक पायलटों को नियुक्त करेंगी।

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शराब घोटाला: केजरीवाल के खिलाफ चलेगा केस, एलजी ने ईडी को दी मंजूरी

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नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 से पहले अरविंद केजरीवाल की मुश्किलें बढ़ गई हैँ। दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने ईडी को आबकारी नीति मामले में पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है। 5 दिसंबर को ईडी ने अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी मांगी थी।

ईडी का दावा है कि अरविंद केजरीवाल ने ‘साउथ ग्रुप’ के सदस्यों के साथ मिलकर 100 करोड़ रुपये की रिश्वत ली और कस्टमाइज शराब नीति बनाकर निजी कंपनियों को अनुचित लाभ पहुंचाया। ईडी का यह भी कहना है कि केजरीवाल ने मनी लॉन्ड्रिंग के जरिए इस रकम को छुपाने की कोशिश भी की। बता दें यह मामला राउज एवेन्यू कोर्ट में पहले से दर्ज है।

ईडी ने जो शिकायत दायर कि है उसमें आरोप लगाया गया है कि केजरीवाल ने ‘साउथ ग्रुप’ के सदस्यों के साथ मिलकर 100 करोड़ रुपये की रिश्वत ली और एक विशेष शराब नीति तैयार करके उसे लागू करके निजी संस्थाओं को अनुचित लाभ पहुंचाया। ईडी ने अभियोजन शिकायत में यह भी आरोप लगाया कि अपराध की आय से लगभग 45 करोड़ रुपये का इस्तेमाल गोवा चुनावों में केजरीवाल की मिलीभगत और सहमति से आप के प्रचार के लिए किया गया।

जांच एजेंसी ने आरोप लगाया कि आप अपराध की आय का ‘मुख्य लाभार्थी’ थी और केजरीवाल राष्ट्रीय संयोजक और राजनीतिक मामलों की समिति और राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य होने के नाते गोवा चुनावों के दौरान धन के उपयोग के लिए जिम्मेदार थे। ED ने रिपोर्ट में उल्लेख किया कि अरविंद केजरीवाल ने इस पीओसी (अपराध की आय) को नकद हस्तांतरण/हवाला हस्तांतरण के माध्यम से पीढ़ी से लेकर उपयोग तक छुपाया है। इसलिए, आरोपी अरविंद केजरीवाल वास्तव में और जानबूझकर मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध से जुड़ी अलग अलग प्रक्रियाओं और गतिविधियों में शामिल हैं, यानी पीएमएलए (धन शोधन निवारण अधिनियम), 2002 की धारा 3 के तहत परिभाषित उत्पादन, अधिग्रहण, कब्जा, छिपाना, हस्तांतरण, उपयोग और इसे बेदाग होने का दावा करना है।

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