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उत्तर प्रदेश

ज्ञानवापी: अदालत ने ASI का आवेदन मंजूर किया, सर्वे रिपोर्ट दाखिल करने के लिए दिया समय

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Gyanvapi ASI survey

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वाराणसी। वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर की सर्वे रिपोर्ट भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की ओर से शुक्रवार को वाराणसी के जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में जमा नहीं हो पाई। केंद्र सरकार के स्पेशल गवार्निंग काउंसिल अमित श्रीवास्तव ने कहा कि 15 दिन का अतिरिक्त समय देने के लिए हमने अदालत में आवेदन दिया है।

मामले पर वाराणसी की जिला अदालत में आज सुनवाई हुई। जिला जज की अदालत ने ASI का सर्वे रिपोर्ट दाखिल करने के समय बढ़ाये जाने का आवेदन मंजूर कर लिया है। इस मामले में जिला जज ने मौखिक आदेश में 10 दिन बढ़ाने की बात कही है।

जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने बीते 21 जुलाई को ज्ञानवापी परिसर (सील वजूखाने को छोड़ कर) के सर्वे का आदेश ASI को दिया था। 24 जुलाई से एएसआई की टीम ने सर्वे का काम शुरू किया था। दो नवंबर को ASI ने अदालत को बताया कि सर्वे पूरा हो चुका है। रिपोर्ट तैयार करने के लिए 15 दिन का समय और चाहिए। अदालत ने 17 नवंबर तक सर्वे रिपोर्ट  दाखिल करने का आदेश दिया।

देशभर के पुरातत्व विशेषज्ञ सर्वे में हुए शामिल

ज्ञानवापी में सर्वे करने वाली टीम में ASI के देश भर के विशेषज्ञ शामिल हुए थे। डिप्टी डायरेक्टर डॉ. आलोक कुमार त्रिपाठी के नेतृत्व में सारनाथ, प्रयागराज, पटना, कोलकाता और दिल्ली के पुरातत्व विशेषज्ञों ने सर्वे का काम किया। जीपीआर तकनीक से अध्ययन के लिए हैदराबाद से विशेषज्ञों का दल आया था।

दो बार रुक चुका है ज्ञानवापी सर्वे

24 जुलाई – ज्ञानवापी में सर्वे का काम शुरू हुआ व कोर्ट के आदेश के बाद रोक दिया गया

4 से 14 अगस्त तक- सर्वे का काम हुआ

7 सितंबर – मसाजिद कमेटी के विरोध के कारण ज्ञानवापी में सर्वे का काम नहीं हुआ

8 सितंबर – कोर्ट द्वारा सर्वे की समय सीमा चार हफ्ते बढ़ाया गया

6 अक्तूबर – ज्ञानवापी में सर्वे की समय सीमा चार हफ्ते और बढ़ाई गई

2 नवंबर- एएसआई ने बताया सर्वे पूरा हुआ। कोर्ट का 17 नवंबर तक रिपोर्ट देने का आदेश

कोषागार में रखी गई हैं 250 सामग्रियां

21 जुलाई के अदालत के आदेशानुसार ASI को अपनी रिपोर्ट के माध्यम से यह बताना है कि क्या ज्ञानवापी में मंदिर को ध्वस्त कर उसके ऊपर मस्जिद बनाई गई है? वहीं, सर्वे के दौरान साक्ष्य के रूप में मिली 250 सामग्रियां अदालत के आदेश से छह नवंबर को एडीएम प्रोटोकॉल की देख-रेख में कोषागार के डबल लॉक में रखवाई गई थी।

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उत्तर प्रदेश

शामली मुठभेड़ में घायल हुए STF इंस्पेक्टर सुनील कुमार शहीद, गुरुग्राम के मेदांता में चल रहा था इलाज

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गुरुग्राम। उत्तर प्रदेश के शामली में हुई एक मुठभेड़ के दौरान स्पेशल टास्क फोर्स ने चार कुख्यात अपराधियों को ढेर कर दिया। इस अभियान में एसटीएफ इंस्पेक्टर सुनील कुमार गंभीर रूप से घायल हो गए और बाद में गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में उन्होंने दम तोड़ दिया।

इस घटना में मारा गया मुख्य अपराधी अरशद जिसके सिर पर 1 लाख रुपए का इनाम था। अपने तीन साथियों के साथ मुठभेड़ में मारा गया। यह घटना कानून-व्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई। लेकिन एसटीएफ ने इस दौरान एक वीर अधिकारी को खो दिया।

शुरू में उन्‍हें करनाल के अस्‍पताल में भर्ती कराया गया था लेकिन बाद में हालत खराब होने पर गुरुग्राम के मेदांता में रेफर किया गया। बीते 24 घंटे खतरे से बाहर नहीं हुए थे इंस्पेक्टर सुनील कुमार। वह वहां आईसीसीयू में भर्ती थे।

बताया जा रहा है कि एक गोली इंस्‍पेक्‍टर के लिवर को पार करके पीठ में अटक गई थी। इसे निकाला संभव नहीं था, इसलिए इसे छोड़ दिया गया।इंस्‍पेक्‍टर सुनील कुमार ठोकिया एनकाउंटर में आउट ऑफ टर्न प्रमोशन पाकर हेड कांस्टेबल से सब इंस्पेक्टर बने थे। शामली में सोमवार देर रात कग्‍गा गैंग के चार बदमाशों के एनकाउंटर में इंस्पेक्टर सुनील कुमार भी शामिल थे। बदमाश एक कार में सवार थे। घेरे जाने पर उन्‍होंने पुलिस पर फायरिंग कर दी थी। इसी में सुनील कुमार घायल हुए थे। जवाबी कार्रवाई में STF ने चार बदमाशों को मार गिराया था।

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