उत्तर प्रदेश
ज्ञानवापी सर्वे: तीसरे दिन भी पहुंची ASI टीम, मुख्य गुंबद के नीचे गर्भगृह का दावा
वाराणसी। वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर में शुक्रवार से शुरु हुए एएसआई सर्वेक्षण (ASI SURVEY) का आज तीसरा दिन है। आज भी एएसआई की टीम मंदिर में सर्वे का काम जारी रखेगी। इस बीच मंदिर पक्ष ने मुख्य गुंबद के नीचे आदि विश्वेश्वर मंदिर का गर्भगृह होने का दावा करते हुए गुंबद के नीचे स्थित कमरे की जीपीआर जांच की मांग की है। जिससे यह स्पष्ट हो सके कि वहां पर क्या मौजूद है?
एएसआई की टीम ज्ञानवापी के अंदर सर्वेक्षण का कार्य सुबह 8:00 बजे से कर रही है। हिंदू पक्ष के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन और सुधीर त्रिपाठी भी ज्ञानवापी पहुंच गए हैं। हिंदू पक्ष का जोर आरंभ से ही ज्ञानवापी परिसर में मुख्य गुंबद के नीचे की जांच पर रहा है। उनका दावा है कि इस स्थान पर आदि विश्वेश्वर मंदिर का गर्भगृह था और उसके नीचे शिवलिंग व अरघा समेत अन्य साक्ष्य मौजूद हैं। अलग-अलग अवसरों पर अदालत में कई बार इसका उल्लेख भी किया गया है।
पूरे ज्ञानवापी परिसर के सर्वे की मांग के पीछे यह एक बड़ा कारण रहा है। मंदिर पक्ष के वकील सुधीर त्रिपाठी व सुभाषनंदन चतुर्वेदी के अनुसार इतिहासकार जेम्स प्रिंसेप ने अपनी पुस्तक में अष्टकोणीय आदि विश्वेश्वर मंदिर का नक्शा दर्शाया है।
इसमें आठ मंडप भैरव मंडप, ऐश्वर्य मंडप, शृंगार मंडप, दंडपाणि मंडप, गणेश मंडप, मुक्ति मंडप, तारकेश्वर मंडप, ज्ञान मंडप थे। इनके मध्य में मंदिर का गर्भगृह था, जिसमें आदि विश्वेश्वर का शिवलिंग विराजमान था। इस पर चढ़ाए जाने वाला जल व दूध दक्षिण दिशा में मौजूद मुक्ति मंडप के बाहर स्थित कूप में गिरता था।
मंदिर का मुख्य प्रवेश द्वार पश्चिम तरफ मौजूद श्रृंगार मंडप की ओर से था। वह वर्तमान में नजर आने वाली पश्चिमी दीवार को इसका अवशेष बताते हैं। वर्ष 1669 में मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाई गई, जिसके तीन गुंबदों में से बीच का मुख्य गुंबद गर्भगृह के ऊपर बनाया गया है। मुख्य गुंबद के नीचे बड़ा कमरा है, जिसमें नमाज पढ़ी जाती है।
पिछले साल मई में एडवोकेट कमिश्नर की कार्यवाही की रिपोर्ट में भी इस कमरे के फर्श के ठोस नहीं होने की बात कही गई है। इसमें नीचे जाने का कोई रास्ता नहीं है। रिपोर्ट में यह भी उल्लेख है कि पश्चिमी दीवार से लेकर गुंबद तक का हिस्सा बंद है।
मंदिर पक्ष का कहना है कि मुख्य गुंबद के नीचे जांच की जाए तो प्राचीन आदि विश्वेश्वर मंदिर के चिह्न जरूर मिलेंगे। इस जगह की जांच के लिए ही मंदिर पक्ष ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रडार (GPR) तकनीक से जांच करने की मांग करता रहा है। इसमें ही यह पता चलेगा कि जमीन ठोस है या पोली। यदि जमीन पोली है तो उसके नीचे कैसी संरचना है, इसका पता जीपीआर जांच से ही चलेगा।
उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश में हुई 559 वर्ग किमी. वन व वृक्ष आच्छादन की वृद्धि
लखनऊ | मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में पिछले साढ़े सात वर्ष से चल रहा ‘पेड़ लगाओ-पेड़ बचाओ जनअभियान’ रंग ले आया। 2024 में 36.80 करोड़ से अधिक पौधरोपण करने वाले उत्तर प्रदेश में आईएसएफआर 2023 के अनुसार 559 वर्ग किमी. वन व वृक्ष आच्छादन से अधिक की वृद्धि हुई है। उत्तर प्रदेश से आगे केवल छत्तीसगढ़ है, जबकि अन्य सभी राज्य उत्तर प्रदेश से पीछे हैं। इस उपलब्धि पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वन विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों के नेतृत्व में आए इस सकारात्मक पहल की बधाई दी। वहीं केंद्रीय वन-पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने भी इस उपलब्धि पर उत्तर प्रदेश को शुभकामना दी।
देहरादून में भारत वन स्थिति रिपोर्ट (आईएसएफआर) 2023 की रिपोर्ट प्रस्तुत की गई
🌳भारत का वन एवं वृक्ष आवरण 8,27,357 वर्ग किमी है, जो देश के भौगोलिक क्षेत्र का 25.17% है। इसमें 7,15,343 वर्ग किमी (21.76%) वन आवरण और 1,12,014 वर्ग किमी (3.41%) वृक्ष आवरण है।
🌳2021 के आकार-फ़ाइल आधारित मूल्यांकन की तुलना में वन एवं वृक्ष आवरण में 1,445 वर्ग किमी की वृद्धि हुई है, जिसमें वन आवरण में 156 वर्ग किमी और वृक्ष आवरण में 1289 वर्ग किमी की वृद्धि शामिल है।
🌳वन एवं वृक्ष आवरण में अधिकतम वृद्धि दिखाने वाले शीर्ष चार राज्यों में उत्तर प्रदेश दूसरे स्थान पर है। छत्तीसगढ़ (684 वर्ग किमी) के साथ शीर्ष पर है। ओडिशा का क्षेत्रफल (558.57 वर्ग किमी), राजस्थान (394 वर्ग किमी) व झारखंड (286.96 वर्ग किमी.) है।
इनसेट
इन राज्यों में हुई वृद्धि
राज्य एरिया
छत्तीसगढ़ 683.62 वर्ग किमी.
उत्तर प्रदेश 559.19 वर्ग किमी.
ओडिशा 558.57 वर्ग किमी.
राजस्थान 394.46 वर्ग किमी.
झारखंड 286.96 वर्ग किमी.
‘हरित उत्तर प्रदेश’ बनने की दिशा में तीव्रता से गतिमान है नया उत्तर प्रदेश:सीएम योगी
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने सोशल मीडिया एकाउंट ‘एक्स’ पर पोस्ट किया। उन्होंने लिखा कि नया उत्तर प्रदेश ‘हरित उत्तर प्रदेश’ बनने की दिशा में तीव्रता से गतिमान है। आईएसएफआर 2023 के अनुसार उत्तर प्रदेश में हुई 559 वर्ग कि.मी. की वन और वृक्ष आच्छादन की ऐतिहासिक वृद्धि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के आह्वान ‘एक पेड़ मां के नाम’ और भारतीय दर्शन ‘माता भूमिः पुत्रोऽहं पृथिव्याः’ भाव से उत्तर प्रदेश वासियों के जुड़ाव का प्रतिफल है।
मानवता के कल्याण को समर्पित इस ऐतिहासिक उपलब्धि के लिए पौधरोपण अभियान से जुड़े सभी लोगों, प्रकृति प्रेमियों एवं प्रदेश वासियों को हार्दिक बधाई!
यूपी में लगाए गए 36.80 करोड़ से अधिक पौधे
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में एक दिन (20 जुलाई) को 36.51 करोड़ पौधरोपण कर इतिहास रचने वाले उत्तर प्रदेश ने 30 सितंबर तक 36.80 करोड़ से अधिक पौधरोपण किए। साढ़े सात वर्ष में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में 210 करोड़ पौधरोपण किये गए।
भारतीय वन सर्वेक्षण, देहरादून द्वारा वर्ष 2023 में प्रकाशित रिपोर्ट के परीक्षण करने पर उत्तर प्रदेश में वनावरण की स्थिति…
वनावरण
1. अति सघन वन 2,688.73 वर्ग कि०मी०
2. मध्यम सघन वन 4,001.41 वर्ग कि०मी०
3. खुला वन 8.355.66 वर्ग कि०मी०
4. कुल योग 15045.80 वर्ग कि०मी० (6.24%)
वृक्षावरण 8950.92 वर्ग कि0मी (3.72%)
कुल वनावरण व वृक्षावरण 23996.72 वर्ग कि0मी0 (9.96%)
भारतीय वन सर्वेक्षण, देहरादून द्वारा वर्ष 2021 (यथा संशोधित) में प्रकाशित रिपोर्ट में उत्तर प्रदेश से सम्बन्धित आंकड़े…
वनावरण
1. अति सघन वन 2655.29 वर्ग कि०मी०
2. मध्यम सघन वन 3995.53 वर्ग कि०मी०
3. खुला वन 8276.55 वर्ग कि०मी०
4. कुल योग 14927.37 वर्ग कि०मी० (6.20%)
5-वृक्षावरण 8510.16 वर्ग कि0मी0 (3.53%)
6-कुल वनावरण व वृक्षावरण 23437.53 वर्ग कि0मी0.( 9.73%)
सर्वाधिक वृद्धि वाले उत्तर प्रदेश के पांच जनपद
1- झांसी – 8597 एकड़
2- अमरोहा – 7769 एकड़
3- इटावा – 7127 एकड़
4- कानपुर नगर – 6249 एकड़
5- बिजनौर – 3343 एकड
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