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बिजनेस

एचडीएफसी बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री अभीक बरुआ की आम बजट पर राय

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HDFC Bank Chief Economist Abheek Baruah

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मुंबई। बजट द्वारा स्वीकृत बढ़ते वैश्विक जोखिमों और निजी कैपेक्स चक्र में केवल एक अल्प सुधार को देखते हुए इस अर्थव्यवस्था के साथ निवेश को चलाने में मुख्य भूमिका निभानी होगी। 2023-24 के लिए पूंजी परिव्यय को बढ़ाकर 10 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया, जो साल-दर-साल 33% की वृद्धि से जुड़ा है।

बजट में राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को 2023-24 में जीडीपी के 5.9% से घटाकर 2022-23 में 6.4% करने की आवश्यकता पर भी ध्यान दिया गया है। उम्मीद से कम परिणामी उधारी संख्या की सहायता से बॉन्ड बाज़ार को कुछ राहत मिलने की संभावना है।

हम वित्तीय वर्ष 2024 में 10 साल की बॉन्ड यील्ड को 7-7.1% की ओर मॉडरेट होते हुए देखते हैं। बजट में आयकर स्लैब में समायोजन की भी घोषणा की गई है जिससे अर्थव्यवस्था में खपत और बचत को बढ़ावा मिलने की संभावना है, विशेष रूप से आय पिरामिड के निचले कोष्ठकों में करदाताओं को लाभ होने की संभावना है।

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बिजनेस

जेट एयरवेज की संपत्तियों की होगी बिक्री

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के आदेश को रद्द करते हुए दिवाला और दिवालियापन संहिता (आईबीसी) के अनुसार निष्क्रिय जेट एयरवेज के परिसमापन का आदेश दिया। एनसीएलएटी ने पहले कॉरपोरेट दिवालियापन समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) के हिस्से के रूप में जालान कालरॉक कंसोर्टियम (जेकेसी) को एयरलाइन के स्वामित्व के हस्तांतरण को बरकरार रखा था। सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश जारी करते हुए कहा कि जेकेसी संकल्प का पालन करने में विफल रहा क्योंकि वह 150 करोड़ रुपये देने में विफल रहा, जो श्रमिकों के बकाया और अन्य आवश्यक लागतों के बीच हवाई अड्डे के बकाया को चुकाने के लिए 350 करोड़ रुपये की पहली राशि थी। नवीनतम निर्णय एयरलाइन के खुद को पुनर्जीवित करने के संघर्ष के अंत का प्रतीक है।

NCLT को लगाई फटकार

पीठ की ओर से फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति पारदीवाला ने एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ एसबीआई तथा अन्य ऋणदाताओं की याचिका को स्वीकार कर लिया। याचिका में जेकेसी के पक्ष में जेट एयरवेज की समाधान योजना को बरकरार रखने के फैसले का विरोध किया गया है। न्यायालय ने कहा कि विमानन कंपनी का परिसमापन लेनदारों, श्रमिकों और अन्य हितधारकों के हित में है। परिसमापन की प्रक्रिया में कंपनी की संपत्तियों को बेचकर प्राप्त धन से ऋणों का भुगतान किया जाता है। पीठ ने एनसीएलएटी को, उसके फैसले के लिए फटकार भी लगाई।

शीर्ष अदालत ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी विशेष शक्तियों का इस्तेमाल किया, जो उसे अपने समक्ष लंबित किसी भी मामले या मामले में पूर्ण न्याय सुनिश्चित करने के लिए आदेश तथा डिक्री जारी करने का अधिकार देता है। एनसीएलएटी ने बंद हो चुकी विमानन कंपनी की समाधान योजना को 12 मार्च को बरकरार रखा था और इसके स्वामित्व को जेकेसी को हस्तांतरित करने की मंजूरी दी थी। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) और जेसी फ्लावर्स एसेट रिकंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड ने एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ अदालत का रुख किया था।

 

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