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आध्यात्म

हिंदू नव वर्ष प्रारंभ, बन रहा कई राजयोग; इन तीन राशियों के लिए बेहद शुभ

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Hindu Nav Varsh 2023

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नई दिल्ली।  हिंदू नव वर्ष यानी विक्रम सम्वत 2080 की शुरुआत आज चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तदनुसार 22 मार्च से हो रही है। 22 मार्च से शुरू हो रहे इस नववर्ष पर कई राजयोगों का निर्माण हो रहा है। आज 22 मार्च सुबह 5 बजे की कुंडली के अनुसार शनि और गुरु अपनी अपनी राशि में विराजमान है।

शनि का मंगल और केतु दोनों के साथ नवपंचम राजयोग बना हुआ है। मंगल केतु भी एक दूसरे से पंचम और नवम भाव में विराजमान होकर शुभ है।

मीन राशि में सूर्य बुध की युति से बुध आदित्य योग वही चन्द्रमा गुरु की युति से गजकेसरी योग बना हुआ है। राहु भी पराक्रम भाव में विराजमान होकर योगों की शुभता में वृद्धि कर रहे है वही आध्यात्म के कारक केतु नवम भाव में विराजमान है।

नव वर्ष की शुरुआत बुधवार से हो रही है और बुध बलवान है। ऐसे में यह वर्ष 3 राशि के जातकों के लिए बेहद शुभ रहने वाला है। आइये जानते है कि वो 3 राशियां कौन सी है।

वृष राशि

इस राशि के जातकों के लिए इस समय ग्रहों का योग बेहद शुभ है। आपके एकादश भाव में बलवान गजकेसरी योग बनने से इस साल आपको आर्थिक रूप से समृद्धि मिलने वाली है।

अगर आप कहीं निवेश करने की सोच रहे है तो आपके लिए समय बेहद अच्छा है। इस समय आपको अपने कार्यों में पूर्ण सफलता मिलेगी।

आपके परिवार के सदस्य पूरी तरह से आपका साथ देंगे और आप नए भवन का भी निर्माण करवा सकते है। शनि की कृपा से कार्य स्थल पर आपका परचम लहराता रहेगा।

तुला राशि

इस राशि के जातकों के लिए नववर्ष की शुरुआत शानदार होने जा रही है। इस समय शनि पंचम में और मंगल नवम में विराजमान होकर आपके भाग्य की वृद्धि कर रहे है।

छठे भाव में बलवान राजयोग बन रहे है जिसके कारण आपके शत्रु नष्ट होंगे। इस समय आपको अपने भाग्य का पूरा साथ मिलने वाला है।

इस वर्ष अपने पिता के सहयोग से सफलता मिलेगी। अगर उच्च शिक्षा में बाधा आ रही थी तो अब वो दूर होने जा रही है। भाई बहन के रिश्ते में जो तनाव आ गया था वो अब दूर होने की पूरी उम्मीद है।

मीन राशि

इस राशि के जातकों के लिए बुध आदित्य योग, गजकेसरी योग लग्न में ही बने हुए है। इसके प्रभाव से आपके आत्मसम्मान में वृद्धि होगी। इस समय आप अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में सफल होंगे।

इस दौरान अगर आप नए काम की शुरुआत करने की सोच रहे है तो समय शुभ है। आपके वैवाहिक जीवन के लिए भी ये राजयोग बेहद शुभ रहने वाले है।

शिक्षक, लेखक और अध्ययन से जुड़े लोगों को प्रसिद्धि प्राप्त होगी। यह वर्ष आपके आध्यात्मिक जीवन के लिए भी बेहद शुभ रहने वाला है। जो गुप्त विद्याओं में रूचि ले रहे है उन्हें इस साल शुभ परिणाम प्राप्त होंगे।

डिसक्लेमर: उपरोक्त जानकारी के पूर्णतया सत्य व सटीक होने का हमारा दावा नहीं है। अपनाने से पूर्व संबंधित विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें।

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आध्यात्म

महाकुम्भ 2025: बड़े हनुमान मंदिर में षोडशोपचार पूजा का है विशेष महत्व, पूरी होती है हर कामना

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महाकुम्भनगर| प्रयागराज में संगम तट पर स्थित बड़े हनुमान मंदिर का कॉरिडोर बनकर तैयार हो गया है। यहां आने वाले करोड़ों श्रद्धालु यहां विभिन्न पूजा विधियों के माध्यम से हनुमान जी की अराधना करते हैं। इसी क्रम में यहां षोडशोपचार पूजा का भी विशेष महत्व है। षोडशोपचार पूजा करने वालों की हर कामना पूरी होती है, जबकि उनके सभी संकट भी टल जाते हैं। मंदिर के महंत और श्रीमठ बाघंबरी पीठाधीश्वर बलवीर गिरी जी महाराज ने इस पूजा विधि के विषय में संक्षेप में जानकारी दी और यह भी खुलासा किया कि हाल ही में प्रयागराज दौरे पर आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी मंदिर में षोडशोपचार विधि से पूजा कराई गई। उन्हें हनुमान जी के गले में पड़ा विशिष्ट गौरीशंकर रुद्राक्ष भी भेंट किया गया। उन्होंने भव्य और दिव्य महाकुम्भ के आयोजन के लिए पीएम मोदी और सीएम योगी का आभार भी जताया।

16 पदार्थों से ईष्ट की कराई गई पूजा

लेटे हनुमान मंदिर के महंत एवं श्रीमठ बाघंबरी पीठाधीश्वर बलवीर गिरी जी महाराज ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक यजमान की तरह महाकुम्भ से पहले विशेष पूजन किया। प्रधानमंत्री का समय बहुत महत्वपूर्ण था, लेकिन कम समय में भी उनको षोडशोपचार की पूजा कराई गई। पीएम ने हनुमान जी को कुमकुम, रोली, चावल, अक्षत और सिंदूर अर्पित किया। यह बेहद विशिष्ट पूजा होती है, जिसमें 16 पदार्थों से ईष्ट की आराधना की। इस पूजा का विशेष महत्व है। इससे संकल्प सिद्धि होती है, पुण्य वृद्धि होती है, मंगलकामनाओं की पूर्ति होती और सुख, संपदा, वैभव मिलता है। हनुमान जी संकट मोचक कहे जाते हैं तो इस विधि से हनुमान जी का पूजन करना समस्त संकटों का हरण होता है। उन्होंने बताया कि पीएम को पूजा संपन्न होने के बाद बड़े हनुमान के गले का विशिष्ट रुद्राक्ष गौरीशंकर भी पहनाया गया। यह विशिष्ट रुद्राक्ष शिव और पार्वती का स्वरूप है, जो हनुमान जी के गले में सुशोभित होता है।

सभी को प्रेरित करने वाला है पीएम का आचरण

उन्होंने बताया कि पूजा के दौरान प्रधानमंत्री के चेहरे पर संतों का ओज नजर आ रहा था। सबसे महत्वपूर्ण बात ये कि उनमें संतों के लिए विनय का भाव था। आमतौर पर लोग पूजा करने के बाद साधु संतों को धन्यवाद नहीं बोलते, लेकिन पीएम ने पूजा संपन्न होने के बाद पूरे विनय के साथ धन्यवाद कहा जो सभी को प्रेरित करने वाला है। उन्होंने बताया कि पीएम ने नवनिर्मित कॉरिडोर में श्रद्धालुओं की सुविधा को लेकर भी अपनी रुचि दिखाई और मंदिर प्रशासन से श्रद्धालुओं के आने और जाने के विषय में जानकारी ली। वह एक अभिभावक के रूप में नजर आए, जिन्हें संपूर्ण राष्ट्र की चिंता है।

जो सीएम योगी ने प्रयागराज के लिए किया, वो किसी ने नहीं किया

बलवीर गिरी महाराज ने सीएम योगी की भी तारीफ की। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने प्रयागराज और संगम के विषय में जितना सोचा, आज से पहले किसी ने नहीं सोचा। संत जीवन में बहुत से लोगों को बड़े-बड़े पदों पर पहुंचते देखा, लेकिन मुख्यमंत्री जी जैसा व्यक्तित्व कभी नहीं देखने को मिला। वो जब भी प्रयागराज आते हैं, मंदिर अवश्य आते हैं और यहां भी वह हमेशा यजमान की भूमिका में रहते हैं। हमारे लिए वह बड़े भ्राता की तरह है। हालांकि, उनकी भाव भंगिमाएं सिर्फ मंदिर या मठ के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश के लिए हैं। वो हमेशा यही पूछते हैं कि प्रयागराज कैसा चल रहा है। किसी मुख्यमंत्री में इस तरह के विचार होना किसी भी प्रांत के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

स्वच्छता का भी दिया संदेश

उन्होंने महाकुम्भ में आने वाले करोड़ों श्रद्धालुओं को संदेश भी दिया। उन्होंने कहा कि महाकुम्भ को स्वच्छ महाकुम्भ बनाने का जिम्मा सिर्फ सरकार और प्रशासन का नहीं है, बल्कि श्रद्धालुओं का भी है। मेरी सभी तीर्थयात्रियों से एक ही अपील है कि महाकुम्भ के दौरान स्नान के बाद अपने कपड़े, पुष्प और पन्नियां नदियों में और न ही तीर्थस्थल में अर्पण न करें। प्रयाग और गंगा का नाम लेने से ही पाप कट जाते हैं। माघ मास में यहां एक कदम चलने से अश्वमेध यज्ञ का फल मिलता है। यहां करोड़ों तीर्थ समाहित हैं। इसकी पवित्रता के लिए अधिक से अधिक प्रयास करें। तीर्थ का सम्मान करेंगे तो तीर्थ भी आपको सम्मान प्रदान करेंगे। स्नान के समय प्रयाग की धरा करोड़ों लोगों को मुक्ति प्रदान करती है। यहां ज्ञानी को भी और अज्ञानी को भी एक बराबर फल मिलता है।

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