आध्यात्म
प्रभु श्रीराम के स्वागत के लिए अवधपुरी की सड़कों पर उतरा ‘हिन्दुस्तान’, झांकियों और शोभायात्राओं ने माहौल को बनाया राममय
अयोध्या। प्रभु श्रीराम की नगरी में योगी सरकार के सातवां दीपोत्सव की धूम है। शनिवार सुबह यहां धूमधाम से भगवान राम के चरित्र पर बनी 18 भव्य और दिव्य झांकियों की शोभायात्रा निकाली गई। योगी सरकार में पर्यटन व संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने इन्हें भगवा ध्वज दिखाकर रवाना किया। श्रीराम के जीवन पर आधारित झांकियों की ये शोभायात्रा अयोध्या के उदया चौराहे से राम कथा पार्क तक निकाली गयी।
भारत के सभी प्रमुख लोकनृत्यों की शोभायात्रा को देखने के लिए उमड़े अयोध्या वासी
इस दौरान देश के विभिन्न राज्यों से आये कलाकारों ने शोभायात्रा के जरिए अपनी आस्था का भव्य प्रगटीकरण किया। भारत के सभी प्रमुख लोकनृत्यों की शोभायात्रा को देखने के लिए सड़कों पर जनता का हुजूम उमड़ पड़ा। वहीं जगह जगह झांकियों की आरती भी उतारी गई। अयोध्या के पुरोहित समाज की ओर से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का विशेष आभार भी व्यक्त किया गया।
अयोध्या ही नहीं पूरे हिन्दुस्तान का सौभाग्य
इस मौके पर्यटन व संस्कृति मंत्री ने कहा कि राम नगरी में दीपोत्सव का कार्यक्रम होने जा रहा है। विश्व में सबसे ज्यादा दीप प्रज्वलित करने का एक बार फिर नया कीर्तिमान बनेगा। इस दीपोत्सव में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भगवान राम का राज्याभिषेक करेंगे। सबसे अहम बात ये होगी कि प्रभु श्रीराम के राज्याभिषेक के दौरान दुनिया के 50 महत्वपूर्ण देशों के राजनयिक भी मौजूद रहेंगे।
उन्होंने बताया कि ये दीपोत्सव सभी को त्रेतायुग की याद दिलाता है, जब भगवान श्रीराम लंका पर विजय प्राप्त करके अयोध्या वापस लौटे थे। अयोध्या वासियों ने उनका जिस प्रकार से तब स्वागत सत्कार किया था। उसी प्रकार से आज यहां की सड़कों पर दिखाई दे रहा है। यह अयोध्या ही पूरे हिन्दुस्तान का सौभाग्य है। भारतीय सनातन संस्कृति की ओर से यह संदेश पूरे विश्व पटल पर जाएगा।
निकाली गईं ये झांकियां
बता दें कि अयोध्या में निकाली गईं झांकिया पर्यटन विभाग एवं सूचना विभाग द्वारा बनाई गई हैं। इनमे सूचना विभाग की झांकियों में पुत्रेष्ठि यज्ञ एवं सबको सुरक्षा, भयमुक्त समाज, गुरूकुल शिक्षा एवं बच्चों का अधिकार, बेसिक शिक्षा, राम सीता विवाह एवं बेटियों के विवाह हेतु सरकार द्वारा की जा रही व्यवस्था, अहिल्या उद्धार एवं मिशन शक्ति,
नारी सुरक्षा, नारी सम्मान, नारी स्वालम्बन, 1090 एवं 1076 की सुविधा, पंचवटी/वन एवं पर्यावरण, रामेश्वरम सेतु एवं उप्र में पुलों का निर्माण, पुष्पक विमान एवं विज्ञान एवं प्रौद्यागिकी, बेहतर वायु कनेक्टिविटी, केवट प्रसंग एवं समाज कल्याण, राम दरबार एवं बेहतर कानून व्यवस्था, शबरी-राम मिलाप एवं महिला कल्याण, लंका दहन एवं अपराधियों एवं भूमाफियाओं के विरुद्ध अभियान की झांकियां हैं।
इसी प्रकार पर्यटन विभाग की झांकियों में सातों अध्याय बाल काण्ड, अयोध्या काण्ड, अरण्य काण्ड, किष्किंधा काण्ड, सुन्दर काण्ड, लंका काण्ड व उत्तर काण्ड पर आधारित सात झांकियां तथा एक झांकी राम रथ थीम पर निकाली गई।
आध्यात्म
महाकुम्भ 2025: बड़े हनुमान मंदिर में षोडशोपचार पूजा का है विशेष महत्व, पूरी होती है हर कामना
महाकुम्भनगर| प्रयागराज में संगम तट पर स्थित बड़े हनुमान मंदिर का कॉरिडोर बनकर तैयार हो गया है। यहां आने वाले करोड़ों श्रद्धालु यहां विभिन्न पूजा विधियों के माध्यम से हनुमान जी की अराधना करते हैं। इसी क्रम में यहां षोडशोपचार पूजा का भी विशेष महत्व है। षोडशोपचार पूजा करने वालों की हर कामना पूरी होती है, जबकि उनके सभी संकट भी टल जाते हैं। मंदिर के महंत और श्रीमठ बाघंबरी पीठाधीश्वर बलवीर गिरी जी महाराज ने इस पूजा विधि के विषय में संक्षेप में जानकारी दी और यह भी खुलासा किया कि हाल ही में प्रयागराज दौरे पर आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी मंदिर में षोडशोपचार विधि से पूजा कराई गई। उन्हें हनुमान जी के गले में पड़ा विशिष्ट गौरीशंकर रुद्राक्ष भी भेंट किया गया। उन्होंने भव्य और दिव्य महाकुम्भ के आयोजन के लिए पीएम मोदी और सीएम योगी का आभार भी जताया।
16 पदार्थों से ईष्ट की कराई गई पूजा
लेटे हनुमान मंदिर के महंत एवं श्रीमठ बाघंबरी पीठाधीश्वर बलवीर गिरी जी महाराज ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक यजमान की तरह महाकुम्भ से पहले विशेष पूजन किया। प्रधानमंत्री का समय बहुत महत्वपूर्ण था, लेकिन कम समय में भी उनको षोडशोपचार की पूजा कराई गई। पीएम ने हनुमान जी को कुमकुम, रोली, चावल, अक्षत और सिंदूर अर्पित किया। यह बेहद विशिष्ट पूजा होती है, जिसमें 16 पदार्थों से ईष्ट की आराधना की। इस पूजा का विशेष महत्व है। इससे संकल्प सिद्धि होती है, पुण्य वृद्धि होती है, मंगलकामनाओं की पूर्ति होती और सुख, संपदा, वैभव मिलता है। हनुमान जी संकट मोचक कहे जाते हैं तो इस विधि से हनुमान जी का पूजन करना समस्त संकटों का हरण होता है। उन्होंने बताया कि पीएम को पूजा संपन्न होने के बाद बड़े हनुमान के गले का विशिष्ट रुद्राक्ष गौरीशंकर भी पहनाया गया। यह विशिष्ट रुद्राक्ष शिव और पार्वती का स्वरूप है, जो हनुमान जी के गले में सुशोभित होता है।
सभी को प्रेरित करने वाला है पीएम का आचरण
उन्होंने बताया कि पूजा के दौरान प्रधानमंत्री के चेहरे पर संतों का ओज नजर आ रहा था। सबसे महत्वपूर्ण बात ये कि उनमें संतों के लिए विनय का भाव था। आमतौर पर लोग पूजा करने के बाद साधु संतों को धन्यवाद नहीं बोलते, लेकिन पीएम ने पूजा संपन्न होने के बाद पूरे विनय के साथ धन्यवाद कहा जो सभी को प्रेरित करने वाला है। उन्होंने बताया कि पीएम ने नवनिर्मित कॉरिडोर में श्रद्धालुओं की सुविधा को लेकर भी अपनी रुचि दिखाई और मंदिर प्रशासन से श्रद्धालुओं के आने और जाने के विषय में जानकारी ली। वह एक अभिभावक के रूप में नजर आए, जिन्हें संपूर्ण राष्ट्र की चिंता है।
जो सीएम योगी ने प्रयागराज के लिए किया, वो किसी ने नहीं किया
बलवीर गिरी महाराज ने सीएम योगी की भी तारीफ की। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने प्रयागराज और संगम के विषय में जितना सोचा, आज से पहले किसी ने नहीं सोचा। संत जीवन में बहुत से लोगों को बड़े-बड़े पदों पर पहुंचते देखा, लेकिन मुख्यमंत्री जी जैसा व्यक्तित्व कभी नहीं देखने को मिला। वो जब भी प्रयागराज आते हैं, मंदिर अवश्य आते हैं और यहां भी वह हमेशा यजमान की भूमिका में रहते हैं। हमारे लिए वह बड़े भ्राता की तरह है। हालांकि, उनकी भाव भंगिमाएं सिर्फ मंदिर या मठ के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश के लिए हैं। वो हमेशा यही पूछते हैं कि प्रयागराज कैसा चल रहा है। किसी मुख्यमंत्री में इस तरह के विचार होना किसी भी प्रांत के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
स्वच्छता का भी दिया संदेश
उन्होंने महाकुम्भ में आने वाले करोड़ों श्रद्धालुओं को संदेश भी दिया। उन्होंने कहा कि महाकुम्भ को स्वच्छ महाकुम्भ बनाने का जिम्मा सिर्फ सरकार और प्रशासन का नहीं है, बल्कि श्रद्धालुओं का भी है। मेरी सभी तीर्थयात्रियों से एक ही अपील है कि महाकुम्भ के दौरान स्नान के बाद अपने कपड़े, पुष्प और पन्नियां नदियों में और न ही तीर्थस्थल में अर्पण न करें। प्रयाग और गंगा का नाम लेने से ही पाप कट जाते हैं। माघ मास में यहां एक कदम चलने से अश्वमेध यज्ञ का फल मिलता है। यहां करोड़ों तीर्थ समाहित हैं। इसकी पवित्रता के लिए अधिक से अधिक प्रयास करें। तीर्थ का सम्मान करेंगे तो तीर्थ भी आपको सम्मान प्रदान करेंगे। स्नान के समय प्रयाग की धरा करोड़ों लोगों को मुक्ति प्रदान करती है। यहां ज्ञानी को भी और अज्ञानी को भी एक बराबर फल मिलता है।
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