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उत्तर प्रदेश

साधारण मिट्टी के खनन में रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट 2 माह और परमिट 6 माह तक होगा वैलिड

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लखनऊ, । जन सामान्य और अन्नदाता किसानों के द्वारा साधारण मिट्टी का खनन एवं परिवहन किए जाने के संबंध में योगी सरकार की ओर से जारी निर्देशों के क्रम में अब रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट और परमिट की प्रक्रिया के विषय में पूरी जानकारी दी गई है। इसमें भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग द्वारा जारी पूर्व के शासनादेश का संदर्भ दिया गया है। इसके अनुसार, 100 घन मीटर मिट्टी के खनन एवं परिवहन के लिए रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट 2 माह तक, जबकि 100 घन मीटर से अधिक मिट्टी के खनन और परिवहन के लिए परमिट 6 माह तक वैलिड होगा। मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह की ओर से सभी जिलाधिकारियों को जारी निर्देशों में कहा गया है कि इस शासनादेश की प्रतिलिपि समस्त विधानसभा सदस्यों एवं विधान परिषद सदस्यों को भी उपलब्ध कराई जाए। उल्लेखनीय है कि मुख्य सचिव की ओर से हाल ही में निर्देश जारी किए गए थे कि ऑनलाइन व्यवस्था का उपयोग करते हुए 100 घन मीटर तक की मिट्टी की मात्रा स्वयं के खेतों से खनन व परिवहन के लिए उपयोग में लाई जा सकती है। इसमें ये भी कहा गया था कि किसी भी दशा में दूसरे प्रदेश में इस प्रदेश से मिट्टी की खुदाई कर परिवहन की अनुमति नहीं दी जाएगी। आदेश में तहसील व थाने के कर्मियों से इसका कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित कराने के लिए निर्देशित किया गया था।

ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य

मुख्य सचिव द्वारा जारी निर्देशों में 2020 का जीओ भी संलग्न किया गया है, जिसके अनुसार 100 घन मीटर तक साधारण मिट्टी के खनन व परिवहन के लिए विभाग के पोर्टल पर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होगा। इसके लिए परमिट की आवश्यकता नहीं होगी। रजिस्ट्रेशन के दौरान नाम, पता, मोबाइल नंबर, ईमेल आईडी के साथ ही साधारण मिट्टी की मात्रा, खतौनी व मानचित्र सहित भूस्वामी की सहमति, खनन का प्रयोजन, आवेदित खनन क्षेत्र का पूरा विवरण और परिवहन किए जाने वाले वाहन का प्रकार एवं अन्य आवश्यक विवरण/अभिलेख अपलोड करना होगा। इसके बाद आवेदक को पोर्टल से स्वजनित पंजीकरण प्रमाण पत्र प्राप्त होगा जो परिवहन प्रपत्र के रूप में माना जाएगा। इसके लिए अलग से ईएमएम की आवश्यकता नहीं होगी। पंजीकरण प्रमाण पत्र अधिकतम दो महीने या मात्रा की निकासी पूर्ण होने तक (जो भी पहले हो) के लिए मान्य होगा। गलत जानकारी देने पर पोर्टल के माध्यम से संबंधित जिलाधिकारी द्वारा पंजीकरण समाप्त किया जा सकता है।

देनी होंगी सभी जरूरी जानकारियां

100 घन मीटर से अधिक साधारण मिट्टी के खनन व परिवहन के लिए भी पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन के माध्यम से परमिट लेने की प्रक्रिया को अंजाम दिया जाएगा। इसमें भी नाम, पता, मोबाइल नंबर के साथ-साथ मिट्टी की मात्रा, खतौनी व मानचित्र सहित भूस्वामी की सहमति, खनन का प्रयोजन, क्षेत्र का विवरण ऑनलाइन आवेदन पत्र में प्रस्तुत किया जाएगा। ऑनलाइन आवेदन पत्र की जांच के बाद स्वीकृति या अस्वीकृत संबंधी सूचना पोर्टल पर प्रदर्शित की जाएगी। परमिट भी ऑनलाइन ही निर्गत किया जाएगा। आवेदन पत्र प्रस्तुत करने की तिथि से 7 दिन के अंदर यह कार्यवाही की जाएगी। परमिट लेटर जारी होने के बाद साधारण मिट्टी के परिवहन के लिए ईएमएम 11 जेनरेशन की कार्यवाही निदेशक, भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से की जाएगी। परमिट की अवधि अधिकतम 6 माह होगी, जो स्वीकृत मात्रा एवं परिवहन के संसाधनों के आधार पर जिलाधिकारी द्वारा निर्धारित किया जाएगा। मिट्टी के संवेदनशील खनन क्षेत्र से खनन संक्रिया प्रतिबंधित किए जाने या किसी सार्वजनिक संपत्ति के सुरक्षा के चलते सुरक्षात्मका दूरी निर्धारित करने का अधिकारी जिलाधिकारी में निहित होगा। बिना परमिट के साधारण मिट्टी के खनन को अवैध खनन की श्रेणी में माना जाएगा और इस संबंध में खान एवं खनिज अधिनियम की सुसंगत धाराओं में कार्यवाही की जाएगी।

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उत्तर प्रदेश

व्यापार मेले में 120 से ज्यादा स्टॉल बता रहे यूपी के विकास की कहानी

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नई दिल्ली | भारत मंडपम में बुधवार से शुरू हुए अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले में उत्तर प्रदेश मंडप योगी राज में सर्वांगीण विकास की कहानी बयां कर रहा है। ‘पार्टनर स्टेट’ के रूप में भाग ले रहे यूपी मंडप की थीम विकसित प्रदेश 2047 है, जो “विकसित भारत-2047” की अवधारणा को साकार करेगा।

उत्तर प्रदेश के मंडप में 120 से ज्यादा स्टॉल लगाए गए हैं, जिनमें उत्तर प्रदेश के उत्कृष्ट स्थानीय एवं पारंपरिक उत्पादों को प्रदर्शित किया जा रहा हैं। इनमें से बहुत से उत्पादों को भौगोलिक संकेत (GI tag) प्राप्त है। इसके अतिरिक्त प्रदेश के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों को भी मेले में स्थान दिया गया है, वहीं निर्यातकों को भी प्राथमिकता दी गई है। यूपी मंडप प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत (Vocal for local) की अवधारणा और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विकसित यूपी 2047 के विजन को साकार कर रहा है।
उत्तर प्रदेश मंडप में सूचना एवं पर्यटन विभाग के अतिरिक्त राज्य के स्वामित्व वाली इकाइयां (UPSIDA, नोएडा अथॉरिटी, ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी एवं यमुना एक्सप्रेस-वे अथॉरिटी) भी प्रतिभाग कर रही हैं। उत्तर प्रदेश मंडप के माध्यम से फूड प्रोसिंग, टेक्सटाइल, आईटी, लेदर, हस्तशिल्प मेटल, ओडीओपी निर्यातक इकाइयों के अलावा कई अन्य उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिल रही है।

ग्राहकों को लुभा रहे ये उत्पाद

उत्तर प्रदेश पवेलियन में लगे विभिन्न जिलों के उत्पाद ग्राहकों को खूब लुभा रहे हैं, इनमें कन्नौज के इत्र से लेकर वाराणसी की सिल्क साड़ियां, लखनऊ की चिकनकारी, भदोही का कालीन, झांसी/बांदा की शजर स्टोर ज्वैलरी, बागपत के होम डेकोर, गौतमबुद्धनगर के वस्त्र उत्पाद, अलीगढ़ / मुरादाबाद के मेटल आर्ट वेयर, आगरा का पेठा, सिद्धार्थनगर का काला नमक चावल, हाथरस की हींग, संभल के हैण्डीक्राफ्ट्स उत्पाद शामिल हैं।

कारोबारी ले रहे ओडीओपी गैलरी में दिलचस्पी

उत्तर प्रदेश मंडप में एक वृहद ओडीओपी गैलरी का भी प्रदर्शन किया गया है, जिसमें जनपदों के ओडीओपी उत्पादों का आकर्षक एवं विहंगम प्रर्दशन किया गया है, जिनको देखने के लिए पहले ही दिन बड़ी संख्या में कारोबारी उमड़े।

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