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प्रादेशिक

भारत की सोच ही वैज्ञानिक- अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव में बोले CM शिवराज

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shivraj singh chouhan in Bhopal

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भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज शनिवार को भोपाल के मौलाना आज़ाद नेशनल इंस्‍टीट्यूट ऑफ टेक्‍नॉलोजी (MANIT) में आठवें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव का शुभारंभ किया। यह महोत्‍सव 24 जनवरी तक चलेगा।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि भारत की सोच ही वैज्ञानिक हैं। वैज्ञानिक सोच भारत की जड़ों में है। आज से हजारों साल से पहले से भी भारत प्रौद्योगिकी में बहुत आगे है। आज जिम्मेदारी के साथ यह कहता हूं कि धर्म और विज्ञान एक दूसरे को काटते नहीं हैं, बल्कि समर्थन करते हैं।

सीएम ने कहा कि जब कोविड का कठिन काल आया, तो हमने कल्पना भी नहीं की थी कि हमारी स्वदेशी वैक्सीन बन जाएगी। वैज्ञानिक पहले भी थे लेकिन सशक्त लीडरशिप नहीं थी। हमारे वैज्ञानिकों ने दो वैक्सीन बना दी और विदेशों में भी भेजी गईं। 200 करोड़ से ज्यादा डोज लगाए जा चुके हैं।

हम दूसरे देशों के उपग्रह लांच कर रहे

एक जमाना था जब भारत के उपग्रह कोई और लॉन्च करता था, आज हम न सिर्फ अपने बल्कि अन्य देशों के उपग्रह भी लॉन्च कर रहे हैं। विज्ञान को टेक्नोलॉजी की जननी माना जाता है, लेकिन उससे भी आगे कुछ है तो वो है जिज्ञासा। जिज्ञासा से ही इनोवेशन होते हैं और अनुसंधान होते हैं। जब न्यूटन के सामने पेड़ से सेब जमीन पर गिरा, तब उनकी जिज्ञासा के कारण ही गुरुत्वाकर्षण का पता लग पाया।

जिज्ञासा और जिद होना जरूरी

सीएम ने कहा कि अलग-अलग रसायनों को मिलाकर कोई नया रसायन बनाना जिज्ञासा ही है। जिज्ञासा ही मानव को चांद पर लेकर गई। जिज्ञासा के कारण हम मंगल ग्रह तक पहुंचे। भारत स्टार्टअप्स के ईकोसिस्टम में दुनिया में तीसरे नंबर पर या गया है। ये जिज्ञासा और जानने की इच्छा मन में बनी रहना चाहिए। आपके अंदर जिद भी होना चाहिए क्योंकि जो आप सोचते हो, उसे जमीन पर उतारने के लिए जिद की जरूरत होती है।

विमान की कल्पना भारत में थी

पीएम नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में एक गौरवशाली, वैभवशाली, शक्तिशाली, समृद्ध और सशक्त भारत का निर्माण हो रहा है। उनकी सोच भी साइंटिफिक है। एक तरफ हमने योग, ध्यान, प्राणायाम और समाधि के जरिए ब्रह्मांड के सत्य को खोजने की कोशिश की।

विमान की कल्पना हजारों साल पहले से ही भारत में थी। भारत के खगोल विज्ञानी भास्कराचार्य ने न्यूटन से सदियों पहले साबित किया था कि पृथ्वी आकाशीय पदार्थों को एक विशेष शक्ति के साथ अपनी ओर आकर्षित करती है। अथर्ववेद में पहली बार लक्षणों के आधार पर ज्वर, खांसी, कुष्ठ जैसे रोगों की चिकित्सा का वर्णन मिलता है। ईसा से 600 साल पहले तक्षशिला और बनारस औषध विज्ञान के बड़े केंद्र बनकर उभरे थे।

हमने विज्ञान पश्चिम से नहीं लिया

चरक संहिता और सुश्रुत संहिता में हर प्रकार की चिकित्सा का वर्णन है। ये हम नहीं कहते, जमाना कहता है। कोई ये न समझे कि हमने विज्ञान पश्चिम से लिया है। नवग्रह हमारे लिए कोई नए नहीं हैं, हमारे ऋषि इनके बारे में सालों पहले से जानते हैं। आज जिम्मेदारी के साथ यह कहता हूं कि धर्म और विज्ञान एक दूसरे को काटते नहीं हैं, बल्कि समर्थन करते हैं। विज्ञान और आध्यात्म के इंटरकनेक्शन को हमने समझा है।

हमने नवाचार की नीति बनाई हैं

भारत ने विश्व को शून्य दिया है, दशमलव की खोज भारत ने की। आज इस प्राचीन ज्ञान को आगे बढ़ाने की आवश्यकता है। महान वैज्ञानिक आइंस्टीन ने कहा कि हम प्राचीन भारतीयों के बहुत एहसानमंद हैं जिन्होंने हमें गिनना सिखाया है। हमें अपने वैज्ञानिक दृष्टिकोण को विकसित करने का प्रयास करना चाहिए। हमने अपनी विज्ञान प्रोद्योगिकी और नवाचार की नीति बनाई है। गुड गवर्नेंस में हम तकनीक का अधिक से अधिक उपयोग कर रहे हैं।

वेंचर कैपिटल फंड बनाएंगे

नई स्टार्टअप नीति हमने बनाई है। अगर आपके पास इनोवेटिव आइडिया हैं, तो आपको निराश नहीं होने दूंगा। एक साल में मध्यप्रदेश में 2,600 स्टार्टअप बने हैं। छोटे कस्बों से भी प्रतिभाशाली बच्चे निकल रहे हैं। इस सोच और विचार को रुकने मत दो। इंदौर में हम स्टार्टअप पार्क बना रहे हैं, जरूरत पड़ी, तो भोपाल और ग्वालियर में भी बनाएंगे। हम वेंचर कैपिटल फंड बनाएंगे।

पीएम का धन्यवाद करता हूं

व्यक्ति जैसा सोचता और करता है, वैसा ही बन जाता है। अगर आप कुछ सोचोगे ही नहीं, तो मुंह पर बैठी मक्खी भी उड़ाने किसी और को आना पड़ेगा। इस उत्साह के साथ इस साइंस फेस्टिवल में आप लोग भाग लें। सीएम ने कहा कि मैं प्रधानमंत्री जी और केन्द्रीय मंत्री जीतेंद्र सिंह जी को मध्यप्रदेश में साइंस फेस्टिवल आयोजित करने के लिए धन्यवाद देता हूं।

देश में प्रतिभा की कमी नहीं रही 

केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि हमारे देश में प्रतिभा की कमी नहीं रही हैं। लोगों में क्षमता और जज्बा भी कम नहीं था। आंखों में सितारे भी कम नहीं थे, लेकिन शायद तब उस प्रकार अनुकूलता का वातावरण नहीं था परंतु अब वातारण बदला है। अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार नए नए प्रयोगों को बढ़ावा दे रही हैं।

जितेंद्र सिंह ने कहा कि मध्य प्रदेश के कृषि क्षेत्र में स्टार्टअप की अपार संभावनाएं हैं। मध्य प्रदेश में बांस बहुतायात में पाया जाता और वेस्ट टू वेल्थ सेक्टर में मध्य प्रदेश बहुत योगदान कर सकता हैं।

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उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश में हुई 559 वर्ग किमी. वन व वृक्ष आच्छादन की वृद्धि

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लखनऊ |  मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में पिछले साढ़े सात वर्ष से चल रहा ‘पेड़ लगाओ-पेड़ बचाओ जनअभियान’ रंग ले आया। 2024 में 36.80 करोड़ से अधिक पौधरोपण करने वाले उत्तर प्रदेश में आईएसएफआर 2023 के अनुसार 559 वर्ग किमी. वन व वृक्ष आच्छादन से अधिक की वृद्धि हुई है। उत्तर प्रदेश से आगे केवल छत्तीसगढ़ है, जबकि अन्य सभी राज्य उत्तर प्रदेश से पीछे हैं। इस उपलब्धि पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वन विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों के नेतृत्व में आए इस सकारात्मक पहल की बधाई दी। वहीं केंद्रीय वन-पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने भी इस उपलब्धि पर उत्तर प्रदेश को शुभकामना दी।

देहरादून में भारत वन स्थिति रिपोर्ट (आईएसएफआर) 2023 की रिपोर्ट प्रस्तुत की गई

🌳भारत का वन एवं वृक्ष आवरण 8,27,357 वर्ग किमी है, जो देश के भौगोलिक क्षेत्र का 25.17% है। इसमें 7,15,343 वर्ग किमी (21.76%) वन आवरण और 1,12,014 वर्ग किमी (3.41%) वृक्ष आवरण है।

🌳2021 के आकार-फ़ाइल आधारित मूल्यांकन की तुलना में वन एवं वृक्ष आवरण में 1,445 वर्ग किमी की वृद्धि हुई है, जिसमें वन आवरण में 156 वर्ग किमी और वृक्ष आवरण में 1289 वर्ग किमी की वृद्धि शामिल है।

🌳वन एवं वृक्ष आवरण में अधिकतम वृद्धि दिखाने वाले शीर्ष चार राज्यों में उत्तर प्रदेश दूसरे स्थान पर है। छत्तीसगढ़ (684 वर्ग किमी) के साथ शीर्ष पर है। ओडिशा का क्षेत्रफल (558.57 वर्ग किमी), राजस्थान (394 वर्ग किमी) व झारखंड (286.96 वर्ग किमी.) है।

इनसेट
इन राज्यों में हुई वृद्धि
राज्य एरिया
छत्तीसगढ़ 683.62 वर्ग किमी.
उत्तर प्रदेश 559.19 वर्ग किमी.
ओडिशा 558.57 वर्ग किमी.
राजस्थान 394.46 वर्ग किमी.
झारखंड 286.96 वर्ग किमी.

‘हरित उत्तर प्रदेश’ बनने की दिशा में तीव्रता से गतिमान है नया उत्तर प्रदेश:सीएम योगी

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने सोशल मीडिया एकाउंट ‘एक्स’ पर पोस्ट किया। उन्होंने लिखा कि नया उत्तर प्रदेश ‘हरित उत्तर प्रदेश’ बनने की दिशा में तीव्रता से गतिमान है। आईएसएफआर 2023 के अनुसार उत्तर प्रदेश में हुई 559 वर्ग कि.मी. की वन और वृक्ष आच्छादन की ऐतिहासिक वृद्धि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के आह्वान ‘एक पेड़ मां के नाम’ और भारतीय दर्शन ‘माता भूमिः पुत्रोऽहं पृथिव्याः’ भाव से उत्तर प्रदेश वासियों के जुड़ाव का प्रतिफल है।

मानवता के कल्याण को समर्पित इस ऐतिहासिक उपलब्धि के लिए पौधरोपण अभियान से जुड़े सभी लोगों, प्रकृति प्रेमियों एवं प्रदेश वासियों को हार्दिक बधाई!

यूपी में लगाए गए 36.80 करोड़ से अधिक पौधे

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में एक दिन (20 जुलाई) को 36.51 करोड़ पौधरोपण कर इतिहास रचने वाले उत्तर प्रदेश ने 30 सितंबर तक 36.80 करोड़ से अधिक पौधरोपण किए। साढ़े सात वर्ष में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में 210 करोड़ पौधरोपण किये गए।

भारतीय वन सर्वेक्षण, देहरादून द्वारा वर्ष 2023 में प्रकाशित रिपोर्ट के परीक्षण करने पर उत्तर प्रदेश में वनावरण की स्थिति…

वनावरण

1. अति सघन वन 2,688.73 वर्ग कि०मी०
2. मध्यम सघन वन 4,001.41 वर्ग कि०मी०
3. खुला वन 8.355.66 वर्ग कि०मी०
4. कुल योग 15045.80 वर्ग कि०मी० (6.24%)
वृक्षावरण 8950.92 वर्ग कि0मी (3.72%)
कुल वनावरण व वृक्षावरण 23996.72 वर्ग कि0मी0 (9.96%)

भारतीय वन सर्वेक्षण, देहरादून द्वारा वर्ष 2021 (यथा संशोधित) में प्रकाशित रिपोर्ट में उत्तर प्रदेश से सम्बन्धित आंकड़े…
वनावरण

1. अति सघन वन 2655.29 वर्ग कि०मी०
2. मध्यम सघन वन 3995.53 वर्ग कि०मी०
3. खुला वन 8276.55 वर्ग कि०मी०
4. कुल योग 14927.37 वर्ग कि०मी० (6.20%)
5-वृक्षावरण 8510.16 वर्ग कि0मी0 (3.53%)
6-कुल वनावरण व वृक्षावरण 23437.53 वर्ग कि0मी0.( 9.73%)

सर्वाधिक वृद्धि वाले उत्तर प्रदेश के पांच जनपद

1- झांसी – 8597 एकड़
2- अमरोहा – 7769 एकड़
3- इटावा – 7127 एकड़
4- कानपुर नगर – 6249 एकड़
5- बिजनौर – 3343 एकड

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