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मुख्य समाचार

जम्मू के वासुकी नाग मंदिर में तोड़फोड़, लोगों में भारी रोष; कार्रवाई की मांग

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श्रीनगर। जम्मू संभाग के डोडा जिले में प्राचीन वासुकी नाग मंदिर में तोड़फोड़ का मामला सामने आया है। इससे लोगों में भारी रोष देखने को मिल रहा है। विभिन्न हिंदू संगठन सड़क पर उतर आए हैं। उन्होंने जमकर नारेबाजी की और मंदिर को निशाना बनाने वालों पर कार्रवाई की मांग की। तोड़फोड़ रविवार देर रात या सोमवार तड़के की गई है।

बताया जा रहा है कि सुबह पुजारी जब मंदिर पहुंचे तो वहां की स्थिति देखकर दंग रह गए। मंदिर में बाहर से लेकर अंदर तक तोड़फोड़ की गई है। वासुकी नाग मंदिर भद्रवाह को भद्रकाशी के नाम से भी जाना जाता है।

प्रदर्शनकारियों का कहना है कि कुछ शरारती तत्वों द्वारा आए दिन प्रदेश के मंदिरों को निशाना बनाया जा रहा है और सांप्रदायिक माहौल खराब किए जाने की कोशिश की जा रही है। सरकार और प्रशासन को चाहिए कि ऐसे लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए, ताकि वे फिर ऐसी हरकत न करें। उन्होंने कहा कि अगर सरकार ने कोई ठोस एक्शन नहीं लिया तो वे प्रदेशभर की सड़कों पर उतर कर चक्का जाम कर देंगे।

भगवान वासुकी को माना जाता है नागों का राजा
डोडा जिले का भद्रवाह अपने प्राकृतिक सौंदर्य और आध्यात्मिक विरासत को लेकर मिनी कश्मीर के नाम से मशहूर है। देवदार वृक्षों से घिरे भद्रवाह में प्राकृतिक स्थलों के अलावा कई धार्मिक स्थल भी हैं, जिनमें लोगों की गहरी आस्था है।

इन्हीं धार्मिक स्थलों में एक वासुकी नाग मंदिर भी एक महत्वपुर्ण स्थल है। यह धार्मिक स्थल कश्यप और कद्रू के पुत्र वासुकी को समर्पित है। भगवान वासुकी को नागों का राजा माना जाता है। हिंदू धर्म की पौराणिक कथाओं के अनुसार, वासुकी नागों के राजा हुआ करते थे, जिनके माथे पर नागमणि लगी थी।

वासुकी नाग मंदिर वास्तुकला और मूर्तिकला का अद्भुत नमूना माना जाता है। मंदिर में भगवान वासुकी नाग और राजा जमुट वाहन की मूर्ति स्थापित है। दोनों प्रतिमाओं को एक ही पत्थर पर तराशा गया है। वासुकी नाग मंदिर से कुछ दूर नागराज वासुकी का निवास स्थान कैलाश कुंड है, जिसे वासुकी कुंड के नाम से भी जाना जाता है। हर साल दूर-दूर से हजारों भक्त भगवान वासुकी के दर्शन करने के लिए यहां आते हैं।

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उत्तर प्रदेश

दूसरे दिन के सर्वे के लिए ASI की टीम संभल के कल्कि विष्णु मंदिर पहुंची, कृष्ण कूप का किया निरीक्षण

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संभल। उत्तर प्रदेश के संभल में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की टीम लगातार दूसरे दिन भी सर्वे करने पहुंची। ASI की टीम संभल के कल्कि विष्णु मंदिर पहुंच गई है। अब यहां पर ASI की टीम सर्वे का काम कर रही है। ASI की टीम के साथ प्रशासन के अधिकारी भी मौजूद हैं। आज सर्वे का काम कृष्ण कूप में किया जाना है, जो कल्कि मंदिर के मेन गेट के पास है। बताया जा रहा है कि ये कृष्ण कूप संभल के जामा मस्जिद के पास से महज 500 मीटर की दूरी पर है। कृष्ण कूप चारों तरफ दीवारों से घिरा हुआ है। इसके चारों तरफ 5 फीट ऊंची दीवार बनी हुई है। इसके साथ ही कूप के अंदर झाड़ियां और गंदगी फैली हुई है।

संभल की एसडीएम वंदना मिश्रा ने बताया कि आर्कियोलॉजी की टीम आई थी। यहां पर एक प्राचीन कृष्ण कूप है। जिसका काल निर्धारण होना है। वह कितना पुराना है। उसी का निरीक्षण किया है। टीम ने कल्की मंदिर के भी दर्शन किए हैं। यह टीम लगभग 15 मिनट यहां पर रुकी है।
कल्कि मंदिर के पुजारी महेंद्र शर्मा ने बताया कि यहां पर एक टीम आई थी। उन्होंने एक कुआं देखा। वह कोने पर है। टीम परिसर में घूमी और मंदिर के अंदर की फोटो ली। मैंने उनसे कहा कि इस कार्य को मैं पुनर्जीवित करवाना चाहता हूं। उन्होंने कहा कि यह बहुत पुराना मंदिर है। एक हजार वर्ष का नक्शा, उसमें यह मंदिर दिखाया गया है। जो हरि मंदिर है उसके अन्दर यह मंदिर बना है।

ज्ञात हो कि जिलाधिकारी डॉ. राजेंद्र पैंसिया ने संभल के ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व को देखते हुए एएसआई निदेशक को पत्र भेजकर सर्वे कराने की मांग की थी। इसके बाद एएसआई की टीम ने संभल में प्राचीन धार्मिक स्थलों और कुओं का सर्वे शुरू किया। डीएम ने कहा था कि संभल का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व है। 19 कूप और पांच तीर्थों का एएसआई की टीम ने सर्वे किया है। यह सर्वे करीब 9 घंटे तक चला है।

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