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प्रादेशिक

कल्याण सिंह के अंतिम संस्कार में शामिल न होने पर बीजेपी ने साधा सपा-कांग्रेस पर निशाना

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लखनऊ। यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के अंतिम संस्कार में सपा और कांग्रेस नेताओं के शामिल नहीं होने पर बीजेपी ने उनपर जमकर निशाना साधा है। बीजेपी ने सपा और कांग्रेस की निंदा करते हुए और कल्याण सिंह को पिछड़ों का सबसे बड़ा नेता बताते हुए अंतिम संस्कार में शामिल नहीं होने पर सवाल भी खड़े किए।

इसके साथ ही यह भी दावा किया है कि अखिलेश और कांग्रेस के इस कृत्य से प्रदेश भर के पिछड़ों में गुस्सा है। इसके अलावा कल्याण के अंतिम संस्कार से किनारा करना पिछड़ी जातियों का अपमान है।

बता दें कि पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह का लंबी बीमारी के चलते शनिवार की रात को निधन हो गया था। वहीं करीब दो महीने से लखनऊ के एसजीपीजीआई में उनका इलाज चल रहा था। कल्याण सिंह के निधन के बाद प्रदेश में तीन दिनों तक शोक सभा रखी गई थी।

एक तरफ अंतिम संस्कार कार्यक्रमों में जहां पूरा प्रदेश और देश शामिल हुआ वहीं मुलायम सिंह यादव, अखिलेश यादव, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी जैसे नेताओं के शामिल न होने से भाजपा और भाजपा के पिछड़ी जाति के मंत्रियों ने सपा और कांग्रेस को आड़े हाथों लिया है। उन्होंने कहा कि विपक्षी दलों के इस रवैए से पिछड़े समाज को आघात पहुंचा है और समय आने पर सपा और कांग्रेस को दलित समाज इसका जवाब जरूर देगा।

उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के दो बार मुख्यमंत्री रहे कल्याण सिंह के निधन पर पूरा प्रदेश और देश शामिल हुआ था। लखनऊ से लेकर अलीगंढ, अतरौली, नरौरा घाट पर अंतिम संस्कार में भारी संख्या में लोग भी शामिल हुए।

इतना ही नहीं प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, रक्षा मंत्री, उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री रहीं मायावती समेत कई राज्यों के मुख्यमंत्री भी पहुंचे। लेकिन उत्तर प्रदेश की सरज़मीं से जुड़े हुए मुलायम सिंह जिन्हें कल्याण सिंह अपना अभिन्न मित्र मानते थे, वो अंतिम दर्शन तक को नहीं आये।

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उत्तर प्रदेश

श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद को लेकर दाखिल याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में टली सुनवाई

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नई दिल्ली। मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद को लेकर दाखिल याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टल गई है। अगली सुनवाई एक अप्रैल से शुरू होगी। अगली सुनवाई तक कृष्णजन्मभूमि सर्वे मामले पर रोक जारी रहेगी। बता दें कि मुस्लिम पक्ष की कई याचिकाएं SC में दाखिल हुई हैं। इसमें विवादित जगह पर सर्वे की इजाज़त देने, निचली अदालत में लंबित सभी मुकदमों को हाई कोर्ट के अपने पास सुनवाई के लिए ट्रांसफर करने को चुनौती देने वाली याचिकाएं भी शामिल हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने और क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस आदेश पर अपनी रोक बढ़ा दी, जिसमें मथुरा में शाही ईदगाह मस्जिद परिसर के अदालत की निगरानी में सर्वेक्षण की अनुमति दी गई थी। यह परिसर कृष्ण जन्मभूमि मंदिर के निकट स्थित है, जो हिंदुओं के लिए महत्वपूर्ण धार्मिक महत्व का स्थल है। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि वह मस्जिद परिसर के अदालत की निगरानी में सर्वेक्षण के खिलाफ ‘ट्रस्ट शाही मस्जिद ईदगाह प्रबंधन समिति’ की याचिका पर सुनवाई अप्रैल से शुरू होने वाले सप्ताह के लिए टालते हैं।

पीठ ने कहा कि इस बीच, शाही ईदगाह मस्जिद परिसर के अदालत की निगरानी में सर्वेक्षण पर रोक लगाने वाला इलाहाबाद हाई कोर्ट का अंतरिम आदेश जारी रहेगा। शीर्ष अदालत ने पिछले साल 16 जनवरी को सबसे पहले हाई कोर्ट के 14 दिसंबर, 2023 के आदेश के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी थी। हाई कोर्ट ने शाही ईदगाह मस्जिद परिसर के अदालत की निगरानी में सर्वेक्षण की अनुमति दी थी और इसकी देखरेख के लिए एक अदालत आयुक्त की नियुक्ति पर सहमति व्यक्त की थी।

हिंदू पक्ष का दावा है कि परिसर में ऐसे संकेत हैं जो बताते हैं कि इस स्थान पर कभी मंदिर हुआ करता था। हिंदू पक्षों की ओर से पेश वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा था कि मस्जिद समिति की अपील हाई कोर्ट के 14 दिसंबर, 2023 के आदेश के खिलाफ दायर की गई थी और मामले से जुड़े आदेश निष्फल हो गए हैं।

 

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