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उत्तर प्रदेश

दो साल पहले की लव मैरिज, फ्लाइट लेफ्टिनेंट पति की आत्महत्या के बाद कैप्टन पत्नी ने भी दी जान

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आगरा। आगरा में फ्लाइट लेफ्टिनेंट पति के मौत की खबर सुनकर कैप्टन पत्नी ने आत्महत्या कर की। वह अपने भाई के साथ मां के ब्रेन ट्यूमर का इलाज कराने दिल्ली गई थी, उन्होंने वहीं पर जान दे दी। कैप्टन पत्नी ने आत्महत्या से पहले एक सुसाइड नोट भी लिखा है। जिसमें उसने अपनी आखिरी ख्वाहिश लिखी थी, लेकिन वह ख्वाहिश पूरी नहीं हो पाई। क्योंकि पति का आगरा में सैन्य सम्मान के साथ आज अंतिम संस्कार कर दिया गया। वहीं पत्नी का अंतिम संस्कार कहां होगा? यह स्पष्ट नहीं है। हालांकि पत्नी का शव भी आगरा बुधवार को ही पहुंच गया था।

यह पूरा मामला आगरा के एयरफोर्स स्टेशन का है, जहां फ्लाइट लेफ्टिनेंट दीनदयाल दीप ने आत्महत्या कर ली। जानकारी के अनुसार, सोमवार को दीनदयाल दीप खाना खाने के बाद अपने आवास पर सोने के लिए गए। इसके अगले दिन सुबह जब फ्लाइट लेफ्टिनेंट दीनदयाल दीप का कमरा नहीं खुला तो उनके सहयोगियों को फिक्र हुई।

इसके बाद उनके सहयोगियों ने दरवाजा खोलने की कोशिश की पर दरवाजा नहीं खुला. इसके बाद अधिकारी दरवाजा तोड़कर अंदर दाखिल हुए तो हैरान रह गए। फ्लाइट लेफ्टिनेंट दीनदयाल दीप का शव पंखे से लटका हुआ मिला। मृतक फ्लाइट लेफ्टिनेंट दीनदयाल दीप की पत्नी रेनू तंवर आगरा में कैप्टन हैं। रेनू तंवर दो दिन से दिल्ली के आर्मी हॉस्पिटल में थीं। रेनू तंवर दिल्ली के कैंट क्षेत्र के आर्मी के गोरोदा गेस्ट हाउस में ठहरी थी। मंगलवार को पत्नी रेनू तंवर को पति के मौत जानकारी मिली, जिससे वह सदमे में चली गईं।

मंगलवार को रेनू तंवर ने भी फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली। आत्महत्या जैसा खौफनाक कदम उठाने से पहले रेनू तंवर ने सुसाइट नोट लिखा था। इस सुसाइड नोट में उन्होंने लिखा कि “पति-पत्नी का अंतिम संस्कार एक साथ किया जाए, इस दौरान उनका हाथ पति के हाथ में रखा जाए। फ्लाइट लेफ्टिनेंट दीनदयाल दीप बिहार के रहने वाले हैं और रेनू तंवर का ताल्लुक राजस्थान से है। दोनों का साल 2022 में प्रेम विवाह हुआ था।

 

उत्तर प्रदेश

श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद को लेकर दाखिल याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में टली सुनवाई

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नई दिल्ली। मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद को लेकर दाखिल याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टल गई है। अगली सुनवाई एक अप्रैल से शुरू होगी। अगली सुनवाई तक कृष्णजन्मभूमि सर्वे मामले पर रोक जारी रहेगी। बता दें कि मुस्लिम पक्ष की कई याचिकाएं SC में दाखिल हुई हैं। इसमें विवादित जगह पर सर्वे की इजाज़त देने, निचली अदालत में लंबित सभी मुकदमों को हाई कोर्ट के अपने पास सुनवाई के लिए ट्रांसफर करने को चुनौती देने वाली याचिकाएं भी शामिल हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने और क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस आदेश पर अपनी रोक बढ़ा दी, जिसमें मथुरा में शाही ईदगाह मस्जिद परिसर के अदालत की निगरानी में सर्वेक्षण की अनुमति दी गई थी। यह परिसर कृष्ण जन्मभूमि मंदिर के निकट स्थित है, जो हिंदुओं के लिए महत्वपूर्ण धार्मिक महत्व का स्थल है। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि वह मस्जिद परिसर के अदालत की निगरानी में सर्वेक्षण के खिलाफ ‘ट्रस्ट शाही मस्जिद ईदगाह प्रबंधन समिति’ की याचिका पर सुनवाई अप्रैल से शुरू होने वाले सप्ताह के लिए टालते हैं।

पीठ ने कहा कि इस बीच, शाही ईदगाह मस्जिद परिसर के अदालत की निगरानी में सर्वेक्षण पर रोक लगाने वाला इलाहाबाद हाई कोर्ट का अंतरिम आदेश जारी रहेगा। शीर्ष अदालत ने पिछले साल 16 जनवरी को सबसे पहले हाई कोर्ट के 14 दिसंबर, 2023 के आदेश के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी थी। हाई कोर्ट ने शाही ईदगाह मस्जिद परिसर के अदालत की निगरानी में सर्वेक्षण की अनुमति दी थी और इसकी देखरेख के लिए एक अदालत आयुक्त की नियुक्ति पर सहमति व्यक्त की थी।

हिंदू पक्ष का दावा है कि परिसर में ऐसे संकेत हैं जो बताते हैं कि इस स्थान पर कभी मंदिर हुआ करता था। हिंदू पक्षों की ओर से पेश वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा था कि मस्जिद समिति की अपील हाई कोर्ट के 14 दिसंबर, 2023 के आदेश के खिलाफ दायर की गई थी और मामले से जुड़े आदेश निष्फल हो गए हैं।

 

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