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‘सनातन को मिटाने’ वाले बयान पर एक्शन न होने पर HC हैरान, जवाबी कार्यक्रम की नहीं दी इजाजत

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Madras HC surprised at no action on statement 'erasing Sanatan'

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चेन्नै। किसी को भी विभाजनकारी विचारों का प्रचार करने और किसी भी विचारधारा के उन्मूलन की वकालत करने के लिए बैठकें करने का अधिकार नहीं है। आश्चर्य है कि सितंबर की बैठक में भाग लेने वाले डीएमके के मंत्रियों और पदाधिकारियों के खिलाफ कोई पुलिस कार्रवाई क्यों नहीं की गई? यह बात मद्रास हाई कोर्ट ने कही है।

न्यायमूर्ति जी जयचंद्रन ने 31 अक्टूबर के एक आदेश में चेन्नै पुलिस को द्रविड़ विचारधारा को खत्म करने के लिए एक बैठक की अनुमति देने का आदेश देने से इनकार करते हुए यह कहा। हाई कोर्ट ने जिस बैठक का जिक्र किया उसका आयोजन 2 सितंबर को किया गया है।

उदयनिधि स्टालिन ने दिया था यह बयान

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे और डीएमके मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने सनातन धर्म को लेकर विवादित टिप्पणी की थी। एमके स्टालिन ने कहा था कि सनातक धर्म डेंगू-मलेरिया जैसी बीमारी है और इसलिए सनातक धर्म को खत्म करना जरूरी है।

उदयनिधि के खिलाफ कार्रवाई की हुई थी मांग

उदयनिधि के सनातन धर्म को डेंगू-मलेरिया बताए जाने के इस बयान को लेकर पूरे देश में सियासी तूफान मचा था। स्टालिन के खिलाफ कई हिंदू संगठनों ने कार्रवाई की मांग की। विभिन्न राज्यों के थाने में उदयनिधि स्टालिन के खिलाफ FIR भी दर्ज कराई गई थी।

हाई कोर्ट ने क्या कहा?

हाई कोर्ट ने इसी बैठक पर कहा, ‘कई और विभिन्न विचारधाराओं का सह-अस्तित्व इस देश की पहचान है। जनता के बीच दुर्भावना पैदा करने के लिए विचारों का प्रचार करने में अदालतों की सहायता की कोई उम्मीद नहीं कर सकता है।

सनातन धर्म के उन्मूलन के लिए आयोजित बैठक में सत्तारूढ़ दल के कुछ सदस्यों और मंत्रियों ने भाग लिया और पुलिस ने उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की, जो पुलिस की ओर से कर्तव्य में लापरवाही है।’ न्यायाधीश ने कहा कि द्रविड़ विचारधारा को निशाना बनाकर सनातन विरोधी आह्वान का मुकाबला करने के लिए अब एक बैठक की अनुमति मांगी गई है।

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सोशल मीडिया पर हवाबाजी करने के लिए युवकों ने रेलवे ट्रैक पर उतारी थार, सामने से आ गई मालगाड़ी

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राजस्थान। सोशल मीडिया पर अपना वीडियो या रील बनाने वालों ने इन दोनों कानून और नियम कायदों को धता बताना अपना शग़ल बना लिया है। रील के लिए कोई पहाड़ से कूद जाता है तो कोई पानी के तेज बहाव की परवाह तक नहीं करता। जयपुर में भी ऐसा ही एक मामला सामने आया है जहां कुछ नौजवानों ने स्टंट की खातिर थार जीप को रेलवे ट्रेक पर उतार दिया। फिर जब थार पटरियों पर फँस गई तो उनके हाथ पांव फूल गए। पटरी पर इसी दौरान मालगाड़ी भी आ गई लेकिन लोको पायलट की सूझबूझ से दुर्घटना टल गई।

नशे में धुत्त तीन चार नौजवानों ने सोमवार को जयपुर के सिवांर इलाके में अपनी करतूत से लोगों को परेशानी में डाल दिया। इन युवकों ने पहले एक थार जीप किराए पर ली और उसे लेकर रेलवे ट्रेक पर पहुंच गए। इरादा था ट्रेक पर जीप दौड़ाने का। लेकिन अचानक थार फँस गई पटरियों के बीच। इसी दौरान कनकपुरा रेलवे स्टेशन की तरफ़ से एक मालगाड़ी को आता देख थार में सवार कुछ युवक तो उतरकर भाग गए लेकिन ड्राइवर बैठा रहा। इस बीच मालगाड़ी के लोको पायलट ने थार को ट्रैक पर देखकर ब्रेक लगा दिए जिससे जान माल का नुकसान होने से बच गया। इस दौरान वहाँ आरपीएफ के जवान और स्थानीय लोग भी पहुँच गए और सबने मिलकर ट्रैक से थार जीप को हटाया। लेकिन ये क्या जैसे ही थार ट्रैक से बाहर आई ड्राइवर उसे मौके से भगाकर ले गया । रास्ते में कई वाहनों और दुपहिया को टक्कर मारी लेकिन रुका नहीं। एक जगह बजरी के ढेर पर थार चढ़ गई लेकिन ड्राइवर ने रफ़्तार कम नहीं की और फ़रार हो गया।

 

इसके बाद पुलिस ने पड़ताल शुरू की तो घटनास्थल से चार किलोमीटर दूर थार जीप लावारिस खड़ी मिली। पुलिस में जीप को जब्त कर उसके मालिक की तलाश शुरू की तो पता चला कि थार को पारीक पथ सिंवार मोड़ निवासी कुशाल चौधरी चला रहा था।वो इस जीप को बेगस से किराए पर लेकर आया था। कुशल चौधरी अभी भी फ़रार है इस संबंध में आरपीएफ की तरफ से मुकदमा दर्ज किया गया है। रेलवे प्रोटेक्शन एक्ट की धारा 153 के अलावा धारा 147 और 174 में मामला दर्ज करके आरोपियों की तलाश जारी है। ये सभी ग़ैर जमानती धारा है इनके तीन साल तक की क़ैद का प्रावधान है।

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