आध्यात्म
इस माघ पूर्णिमा पर बन रहे हैं कई शुभ योग, जानें शुभ मुहूर्त व महत्व
नई दिल्ली। सनातन धर्म में माघ पूर्णिमा का बहुत महत्व है। पंचांग के अनुसार, हर वर्ष माघ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को माघ पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है। इस बार यह पर्व कल 5 फरवरी दिन रविवार को है, इस दिन पवित्र नदियों में स्नान का विशेष महत्व है।
इस माघ पूर्णिमा पर सर्वार्थ सिद्धि योग समेत कई महायोग बन रहे हैं, जिससे इस दिन का महत्व भी बढ़ गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन देवी-देवता पृथ्वी लोक पर आते हैं और पवित्र नदियों में स्नान करते हैं। माघ पूर्णिमा पर प्रयागराज के तट पर शुरू हुआ कल्पवास का व्रत भी खत्म हो जाता है। इस दिन रविदास जयंती भी मनाई जाती है।
माघ पूर्णिमा का महत्व
माघ मास की पूर्णिमा में किए गए दान-पुण्य का विशेष महत्व है। इस दिन वस्त्र, तिल, खाना, गुड़, धन, कंबल गौ आदि का दान करने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान कर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने से सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं और ईश्वर की कृपा बनी रहती है।
साथ ही इस तिथि पर पितरों को तर्पण कर श्राद्ध भी किया जाता है। इस दिन किया गया स्नान सभी पाप और संताप का नाश करते हैं और सभी रोग दूर होते हैं। अगर पवित्र नदियों में जाना संभव नहीं है तो घर में ही मां गंगा का ध्यान करते हुए जल में गंगाजल डालकर स्नान कर सकते हैं।
माघ पूर्णिमा पर शुभ मुहूर्त
माघ पूर्णिमा की तिथि 5 फरवरी, दिन शनिवार
पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ – 4 फरवरी, शनिवार रात 9 बजे से 29 मिनट पर
पूर्णिमा तिथि का समापन – 5 फरवरी, रविवार रात 11 बजकर 58 मिनट होगा
उदिया तिथि के हिसाब से माघ पूर्णिमा 5 फरवरी दिन शनिवार को है।
पूर्णिमा स्नान मुहूर्त – 5 फरवरी, 5 बजकर 22 मिनट से 6 बजकर 17 मिनट तक।
माघ पूर्णिमा पर शुभ योग
माघ पूर्णिमा पर सर्वाद्ध सिद्ध जैसे महायोग के साथ रवि पुष्य योग और विजय मुहूर्त जैसे कई शुभ योग बन रहे हैं। इसके साथ ही आश्लेषा नक्षत्र में चंद्रमा, गुरु और शनि समेत तीनों ग्रह अपनी ही राशि में मौजूद होंगे।
रविवार को जब पुष्य योग बनता है तो इसे रवि पुष्य योग कहते हैं। इन शुभ योग में स्नान करने व दान करने माता लक्ष्मी का आशीर्वाद मिलता है और हर कार्य शुभ होता है।
इसके साथ ही इस बार माघ पूर्णिमा पर आयुष्मान योग, वाशी योग व सुनफा योग भी बन रहे हैं, जो हर कार्य में सफलता दिलाते हैं और जीवन में समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करते हैं। माघ पूर्णिमा पर बन रहे ये शुभ योग आपको हर समस्या से मुक्ति दिलाते हैं।
माघ पूर्णिमा पर पूजा विधि
माघ पूर्णिमा की तिथि पर सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर पवित्र नदियों में स्नान करें। अगर नदियों के पास नहीं है तो जल में गंगाजल मिलाकर स्नान कर लें। पवित्र नदि में स्नान करते हुए सूर्य को जल दें और सूर्य मंत्रों का उच्चारण करें।
इसके बाद पूर्णिमा तिथि के व्रत का संकल्प लें और श्रीहरि की माता लक्ष्मी के साथ पूजा करें। दोनों की पूजा विधि-विधान के साथ षोडशोपचार पूजा करें और विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें। पूजा में माता लक्ष्मी को खीर का भोग अवश्य लगाएं। इसके बाद दोपहर के समय दान अवश्य करें।
आध्यात्म
महाकुम्भ 2025: बड़े हनुमान मंदिर में षोडशोपचार पूजा का है विशेष महत्व, पूरी होती है हर कामना
महाकुम्भनगर| प्रयागराज में संगम तट पर स्थित बड़े हनुमान मंदिर का कॉरिडोर बनकर तैयार हो गया है। यहां आने वाले करोड़ों श्रद्धालु यहां विभिन्न पूजा विधियों के माध्यम से हनुमान जी की अराधना करते हैं। इसी क्रम में यहां षोडशोपचार पूजा का भी विशेष महत्व है। षोडशोपचार पूजा करने वालों की हर कामना पूरी होती है, जबकि उनके सभी संकट भी टल जाते हैं। मंदिर के महंत और श्रीमठ बाघंबरी पीठाधीश्वर बलवीर गिरी जी महाराज ने इस पूजा विधि के विषय में संक्षेप में जानकारी दी और यह भी खुलासा किया कि हाल ही में प्रयागराज दौरे पर आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी मंदिर में षोडशोपचार विधि से पूजा कराई गई। उन्हें हनुमान जी के गले में पड़ा विशिष्ट गौरीशंकर रुद्राक्ष भी भेंट किया गया। उन्होंने भव्य और दिव्य महाकुम्भ के आयोजन के लिए पीएम मोदी और सीएम योगी का आभार भी जताया।
16 पदार्थों से ईष्ट की कराई गई पूजा
लेटे हनुमान मंदिर के महंत एवं श्रीमठ बाघंबरी पीठाधीश्वर बलवीर गिरी जी महाराज ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक यजमान की तरह महाकुम्भ से पहले विशेष पूजन किया। प्रधानमंत्री का समय बहुत महत्वपूर्ण था, लेकिन कम समय में भी उनको षोडशोपचार की पूजा कराई गई। पीएम ने हनुमान जी को कुमकुम, रोली, चावल, अक्षत और सिंदूर अर्पित किया। यह बेहद विशिष्ट पूजा होती है, जिसमें 16 पदार्थों से ईष्ट की आराधना की। इस पूजा का विशेष महत्व है। इससे संकल्प सिद्धि होती है, पुण्य वृद्धि होती है, मंगलकामनाओं की पूर्ति होती और सुख, संपदा, वैभव मिलता है। हनुमान जी संकट मोचक कहे जाते हैं तो इस विधि से हनुमान जी का पूजन करना समस्त संकटों का हरण होता है। उन्होंने बताया कि पीएम को पूजा संपन्न होने के बाद बड़े हनुमान के गले का विशिष्ट रुद्राक्ष गौरीशंकर भी पहनाया गया। यह विशिष्ट रुद्राक्ष शिव और पार्वती का स्वरूप है, जो हनुमान जी के गले में सुशोभित होता है।
सभी को प्रेरित करने वाला है पीएम का आचरण
उन्होंने बताया कि पूजा के दौरान प्रधानमंत्री के चेहरे पर संतों का ओज नजर आ रहा था। सबसे महत्वपूर्ण बात ये कि उनमें संतों के लिए विनय का भाव था। आमतौर पर लोग पूजा करने के बाद साधु संतों को धन्यवाद नहीं बोलते, लेकिन पीएम ने पूजा संपन्न होने के बाद पूरे विनय के साथ धन्यवाद कहा जो सभी को प्रेरित करने वाला है। उन्होंने बताया कि पीएम ने नवनिर्मित कॉरिडोर में श्रद्धालुओं की सुविधा को लेकर भी अपनी रुचि दिखाई और मंदिर प्रशासन से श्रद्धालुओं के आने और जाने के विषय में जानकारी ली। वह एक अभिभावक के रूप में नजर आए, जिन्हें संपूर्ण राष्ट्र की चिंता है।
जो सीएम योगी ने प्रयागराज के लिए किया, वो किसी ने नहीं किया
बलवीर गिरी महाराज ने सीएम योगी की भी तारीफ की। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने प्रयागराज और संगम के विषय में जितना सोचा, आज से पहले किसी ने नहीं सोचा। संत जीवन में बहुत से लोगों को बड़े-बड़े पदों पर पहुंचते देखा, लेकिन मुख्यमंत्री जी जैसा व्यक्तित्व कभी नहीं देखने को मिला। वो जब भी प्रयागराज आते हैं, मंदिर अवश्य आते हैं और यहां भी वह हमेशा यजमान की भूमिका में रहते हैं। हमारे लिए वह बड़े भ्राता की तरह है। हालांकि, उनकी भाव भंगिमाएं सिर्फ मंदिर या मठ के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश के लिए हैं। वो हमेशा यही पूछते हैं कि प्रयागराज कैसा चल रहा है। किसी मुख्यमंत्री में इस तरह के विचार होना किसी भी प्रांत के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
स्वच्छता का भी दिया संदेश
उन्होंने महाकुम्भ में आने वाले करोड़ों श्रद्धालुओं को संदेश भी दिया। उन्होंने कहा कि महाकुम्भ को स्वच्छ महाकुम्भ बनाने का जिम्मा सिर्फ सरकार और प्रशासन का नहीं है, बल्कि श्रद्धालुओं का भी है। मेरी सभी तीर्थयात्रियों से एक ही अपील है कि महाकुम्भ के दौरान स्नान के बाद अपने कपड़े, पुष्प और पन्नियां नदियों में और न ही तीर्थस्थल में अर्पण न करें। प्रयाग और गंगा का नाम लेने से ही पाप कट जाते हैं। माघ मास में यहां एक कदम चलने से अश्वमेध यज्ञ का फल मिलता है। यहां करोड़ों तीर्थ समाहित हैं। इसकी पवित्रता के लिए अधिक से अधिक प्रयास करें। तीर्थ का सम्मान करेंगे तो तीर्थ भी आपको सम्मान प्रदान करेंगे। स्नान के समय प्रयाग की धरा करोड़ों लोगों को मुक्ति प्रदान करती है। यहां ज्ञानी को भी और अज्ञानी को भी एक बराबर फल मिलता है।
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