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महाकुम्भ-2025 : फाइबर रेजिन द्वारा निर्मित 30 भव्य कलाकृतियों से दमक उठेगा महाकुम्भ मेला क्षेत्र

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महाकुम्भनगर। संगमनगरी के तौर पर प्रख्यात तीर्थराज प्रयागराज में महाकुम्भ-2025 के आयोजन को दिव्य व भव्य बनाने में योगी सरकार द्वारा कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है। सीएम योगी के विजन अनुसार, पूरे शहर में सौंदर्यीकरण की विभिन्न परियोजनाओं को पूरा कर लिया गया है तथा बहुत सी परियोजनाओं के अंतिम चरण का कार्य जारी है। इसी क्रम में, सीएम योगी की मंशा के अनुरूप 30 भव्य फाइबर रेजिन कलाकृतियों की स्थापना महाकुम्भ मेला क्षेत्र में की जाने की योजना है जिस पर संस्कृति विभाग के अंतर्गत उत्तर प्रदेश संग्रहालय निदेशालय द्वारा कार्य शुरू कर दिया गया है। योजना के अनुसार, कुल 60 फाइबर रेजिन कलाकृतियों का निर्माण किया जाएगा जिनमें से 30 मेला क्षेत्र में प्रदर्शित होंगे, जबकि 30 अन्य को उत्तर प्रदेश संग्रहालय निदेशालय में प्रदर्शित किया जाएगा। इन शिल्पों में विशेषतौर पर देवी-देवताओं तथा उनकी विभिन्न मुद्राएं व प्रसंग समेत अन्य पौराणिक व ऐतिहासिक पात्रों की आकर्षक छवियों को साकार किया जाएगा।

विभिन्न आकर के शिल्पों का होगा निर्माण

उत्तर प्रदेश संग्रहालय निदेशालय द्वारा इन शिल्पों के निर्माण, स्थापना व प्रदर्शन को लेकर निर्मित विस्तृत कार्ययोजना के अनुसार 10 गुणा 6 से लेकर 49 गुणा 17 इंच तक की कलाकृतियों का निर्माण प्रक्रिया के अंतर्गत किया जाएगा। इसमें सबसे छोटे शिल्प के तौर पर माता गंगा का शिल्प तथा सबसे बड़े शिल्प के तौर पर 90 गुणा 50 इंच के सिंहनाद अवलोकितेश्वर शिल्प का निर्माण किया जाएगा। इसके अतिरिक्त, यमुना, सरस्वती, सप्त मातृका व वीणाधर शिव, नृत्य करते गणपति, श्रीहरि विष्णु, उमा-महेश्वर, कार्तिकेय, तारा, पद्मपाणि, इंद्र व शचि, नेमिनाथ, गजलक्ष्मी, गरुणासीन विष्णु, रावणानुग्रह, शिव, भिक्षाटन शिव, विष्णु, शिव-पार्वती व गंगा, हरिहर, बलराम व कृष्ण, अग्नि, सूर्य, मनकुंवर बुद्ध तथा महाकुम्भ पर जारी होने वाले विशिष्ट सिक्कों की प्रतिकृति संबंधी शिल्पों के निर्माण व स्थापना के कार्य को पूरा किया जाएगा।

10 जनवरी तक होगी स्थापना

शिल्पों के निर्माण व स्थापना के कार्यों को दो चरणो में पूरा किया जाएगा। पहले चरण में 60 शिल्पों के निर्माण कार्य को 5 जनवरी तक पूरा कर लेने का लक्ष्य है जबकि अन्य 10 जनवरी तक मेला की शुरुआत से पूर्व ही इनमें से 30 शिल्पों को महाकुम्भ मेला क्षेत्र में स्थापना के साथ अन्य 30 कलाकृतियों को उत्तर प्रदेश संग्रहालय निदेशालय को हस्तांतरित कर दिया जाएगा। इन सभी शिल्पों को फाइबर व सिलिकॉन मॉडलिंग के जरिए निर्मित किया जाएगा जो कि वास्तविक लगने के साथ ही उच्च गुणवत्तापूर्ण टिकाऊ पदार्थ से निर्मित होंगे। इस कार्य को पूरा करने के लिए उत्तर प्रदेश संग्रहालय निदेशालय द्वारा कार्यदायी संस्था के निर्धारण की प्रक्रिया जारी है जिसे जल्द ही पूरा कर लिया जाएगा।

उत्तर प्रदेश

महाकुम्भ में पुण्य कमाने आएंगी सैकड़ों संस्थाएं, हर श्रद्धालु को मिलेगा भरपेट भोजन

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महाकुम्भ नगर। सनातन आस्था का सबसे बड़ा समागम महाकुम्भ 2025 प्रयागराज में होने जा रहा है। अनुमान है कि 40 से 45 करोड़ श्रद्धालु पूरे देश और दुनिया के कोने-कोने से यहां त्रिवेणी के पवित्र संगम में डुबकी लगाने के लिए आने वाले हैं। माना जाता है कि महाकुम्भ में स्नान के साथ ही दान का भी विशेष महत्व है। खासकर अन्न दान का, जिसके लिए 13 जनवरी से शुरू होने वाले इस महा आयोजन में सैकड़ों संस्थाएं पुण्य कमाने को आ रही हैं। ये सभी संस्थाएं पूरे मेला क्षेत्र में भंडारों का आयोजन करेंगी, जिसमें समस्त श्रद्धालुओं को निशुल्क भोजन की व्यवस्था रहेगी। इनमें से कई संस्थाओं ने यहां भंडारे और लंगर की शुरुआत भी कर दी है और कई अन्य विभिन्न संस्थाएं अन्न भंडार का जल्द शुभारंभ करने जा रही हैं। इन निशुल्क भंडारों के आयोजन से महाकुम्भ में आने वाला कोई भी श्रद्धालु भूखा नहीं रहेगा।

सैकड़ों संस्थाएं चलाती हैं भंडारा

प्रयागराज के मंडलायुक्त विजय विश्वास पंत के अनुसार, महाकुम्भ में इस वर्ष 8 हजार से 10 हजार संस्थाओं के आने की संभावना है। महाकुम्भ जैसे आयोजन में देश के लगभग सभी पंथों के लोग प्रतिभाग करते हैं। मेला प्रशासन की ओर से इन सभी पंथ से जुड़े लोगों का स्वागत किया जा रहा है और उनके लिए समस्त व्यवस्थाएं भी की जा रही हैं। इनमें सैकड़ों ऐसी संस्थाएं भी हैं जो महाकुम्भ के दौरान निशुल्क भोजन के लिए लंगर और भंडारे का आयोजन करती हैं। इनमें अक्षय पात्र, इस्कॉन और ओम नमः शिवाय जैसी संस्थाएं बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं को भोजन कराती हैं। इसके अतिरिक्त प्रशासन ने फेयर प्राइस शॉप्स की भी व्यवस्था की है, जिसके माध्यम से श्रद्धालुओं को कम दाम में भोजन सामग्री उपलब्ध कराई जाएगी।

लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं को मिलता है भोजन

एडीएम मेला, विवेक चतुर्वेदी के अनुसार कुम्भ, महाकुम्भ और माघ मेला जैसे आयोजनों के दौरान प्रयागराज में स्नान और दान का विशेष महत्व है। इन सभी मेला के दौरान सैकड़ों संस्थाएं आगे आकर यहां निशुल्क लंगर और भंडारों का आयोजन करती हैं, जिसमें लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं को भोजन मिलता है। मेला के साथ-साथ शहर के प्रमुख चौराहों, नुक्कड़ों और गलियों में भी भंडारे आयोजित किए जाते हैं। इनकी संख्या का सही-सही अनुमान लगाना आसान नहीं है, क्योंकि संस्थाओं के साथ-साथ स्थानीय लोग भी बड़ी संख्या में इस तरह के आयोजनों का हिस्सा बनते हैं।

कई भंडारों का शुरू हुआ आयोजन

अखिल भारतीय पंचतेरह त्यागी, खाकचौक (राम संतोष दास जी महाराज)की ओर से दिगंबर अखाड़ा के पास एक दिसंबर से भंडारे का आयोजन शुरू कर दिया गया है। महंत गोपाल दास जी के अनुसार, महाकुम्भ से पहले और पूरे महाकुम्भ के दौरान हमारे यहां जितने लोग भी आएंगे उन सभी को निशुल्क भोजन कराया जाएगा। सुबह 9 बजे से रात 9 बजे तक भंडारे का आयोजन किया जा रहा है, जबकि सुबह 4 बजे से श्रद्धालुओं को चाय वितरित की जा रही है। इसी तरह, सेक्टर 20 में जूना अखाड़े का अन्न भंडारा भी 25 दिसंबर से शुरू होने जा रहा है। श्री हिंगलाज मठ अलग दरबार के मृत्युंजय पुरी जी बताते हैं कि यह भंडारा सुबह 8 बजे से दोपहर 2 बजे तक और शाम 4 बजे से 8 बजे तक चलेगा। हमारे यहां से कोई भी श्रद्धालु भूखा नहीं जाएगा।

हरि इच्छा के अनुसार चलेगा भंडारा

आवाहन अखाड़ा के राष्ट्रीय सचिव महंत सत्यगिरि ने बताया कि भंडारे का आयोजन शुरू हो चुका है और पूरा महाकुम्भ यह निरंतर चलेगा। सभी श्रद्धालुओं को यहां निशुल्क भरपेट भोजन प्राप्त होगा। वहीं, रघुवंश सेवा संकल्प ट्रस्ट, अयोध्या द्वारा भी भंडारे का आयोजन किया जा रहा है। राम वैदेही मंदिर के महंत स्वामी दिलीप दास त्यागी जी महाराज ने बताया कि यह भंडारा हरि इच्छा के अनुसार 24 घंटे चलेगा। हमारा प्रयास संगम स्नान के लिए आए समस्त श्रद्धालुओं को अन्न प्रसाद ग्रहण कराना है। इसी तर्ज पर खरगौन मध्य प्रदेश का मां रेवा फाउंडेशन भी महाकुम्भ में भंडारे का आयोजन करेगा, जो 24 घंटे का होगा। इसे अनन्य अन्न क्षेत्र का नाम दिया गया है। यहां पूरे 45 दिन सभी श्रद्धालुओं को प्रसाद प्राप्त हो सकेगा।

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