प्रादेशिक
1000 करोड़ रुपयों से भी ज्यादा की संपत्ति है अखाड़े के पास
लखनऊ। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की सोमवार को संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी। जिसके बाद से उनकी आत्महत्या को लेकर तमाम सवाल उठाये जा रहे हैं। लेकिन महंत की मौत का जो सबसे बड़ा कारण माना जा रहा है, वो है बाघंबरी गद्दी मठ और निरंजनी अखाड़े की अपरिमित धन-सम्पत्ति, जो कि देश के कई हिस्सों में फैली हैं और जिसकी कीमत 1000 करोड़ रुपयों से भी ज्यादा है।
बाघंबरी गद्दी मठ और निरंजनी अखाड़े की अपरिमित धन-संपत्ति को लेकर विवादों का रिश्ता पुराना रहा है। मठ और अखाड़े की सैकड़ों बीघे जमीनें बेचने, सेवादारों और उनके परिवारीजनों के नाम मकान, जमीन खरीदने को लेकर महंत नरेंद्र गिरि और उनके करीबी शिष्य आनंद गिरि के बीच विवाद लंबे समय से रहा है। संपत्ति की बात करें तो प्रयागराज के अल्लापुर इलाके में बाघंबरी गद्दी और मठ है, जो करीब 5 से 6 बीघे जमीन में है। यहां निरंजनी अखाड़े के नाम एक स्कूल और गौशाला भी है। इसके अलावा दारागंज में भी अखाड़े की जमीन है। वहीं प्रयागराज में हनुमान मंदिर जिसे संगम तट पर लेटे हुए हनुमान जी के नाम से जाना जाता है, वो भी इसी बाघंबरी मठ का ही मंदिर है। जहां प्रयागराज और संगम आने वाले सभी श्रद्धालु मत्था जरूर टेकते हैं।
प्रयागराज के मांडा में 100 बीघा और मिर्जापुर के महुआरी में 400 बीघे से ज्यादा की जमीन बाघंबरी मठ के नाम है। मिर्जापुर के नैडी में 70 और सिगड़ा में 70 बीघा जमीन अखाड़े की है। प्रयागराज और आसपास के इलाकों में निरंजनी अखाड़े के मठ, मंदिर और जमीन की कीमत 300 करोड़ से ज्यादा की है। जबकि हरिद्वार और दूसरे राज्यों में संपत्ति की कीमत जोड़े तो वो हजार करोड़ के पार है। निरंजनी अखाड़े की कुंभ नगरी उज्जैन और ओंकारेश्वर में 250 बीघा जमीन, आधा दर्जन मठ और दर्जनभर आश्रम हैं। कुंभ नगरी नासिक में 100 बीघा से अधिक जमीन, दर्जनभर आश्रम और मंदिर हैं। बड़ोदरा, जयपुर, माउंटआबू में भी करीब 125 बीघा जमीन, दर्जन भर मंदिर और आश्रम हैं। हरिद्वार स्थित मुख्यालय के अधीन दर्जनभर मठ-मंदिर हैं। नोएडा में मंदिर और जमीन है तो वहीं वाराणसी में मंदिर और आश्रम के साथ करोड़ों की जमीन है।
उत्तर प्रदेश
50 साल पुरानी मस्जिद को हटाने का आदेश, मस्जिद के मुतवल्ली पर 4.12 लाख रुपये का जुर्माना
बागपत। बागपत के राजपुर खामपुर गांव में 50-60 साल पहले तालाब की जमीन पर बनी अवैध मस्जिद को हटाने का आदेश जारी हुआ है। तहसीलदार की अदालत में सुनवाई के बाद यह निर्णय लिया गया, जिसमें मस्जिद के मुतवल्ली पर 4.12 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।
विवाद कैसे शुरू हुआ?
गांव के निवासी गुलशार ने जुलाई में हाईकोर्ट में विशेष याचिका दाखिल की थी, जिसमें उन्होंने मुतवल्ली पर आरोप लगाया कि उन्होंने गांव के तालाब की जमीन पर अवैध रूप से मस्जिद का निर्माण किया है। गुलशार का कहना था कि तालाब की जमीन पर मस्जिद का निर्माण करके मुतवल्ली ने सरकारी संपत्ति का अतिक्रमण किया है, इसलिए इसे हटाया जाना चाहिए।
कोर्ट की सुनवाई और फैसला
हाईकोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए राजस्व संहिता के आधार पर कार्रवाई करने का आदेश दिया। आदेश में 90 दिन के अंदर मामले का निपटारा करने का निर्देश दिया गया था। इसके बाद, डीएम के आदेश पर तहसीलदार ने मस्जिद की जमीन की माप कराई, जिसमें पाया गया कि मस्जिद वास्तव में तालाब की जमीन पर स्थित है।
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