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प्रादेशिक

धर्मनगरी चित्रकूट की गलियों में फल फूल रहा खोटे सिक्कों का बाज़ार, 10 रू में बिकते हैं 8 सिक्के

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रिपोर्ट : ज़ियाउल हक़

चित्रकूट। कहते हैं न कि खोटे सिक्के कभी चलते नहीं लेकिन धर्मनगरी चित्रकूट की गलियों में इन खोटे सिक्को का एक बाज़ार है, जहां बाज़ार से बेआबरू होकर 1 व 2 रुपये के सिक्के बाहर हो गए है लेकिन चित्रकूट के मठ-मंदिरो के बाहर इन सिक्को की दुकाने सजाकर सिक्को का व्यापार किया जाता है, हालांकि रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया (आरबीआई) द्वारा इन सिक्को को भले बंद न किया गया हो लेकिन 1 व 2 रूपये के सिक्के दुकान से लेकर मॉल तक और मॉल से लेकर बैंको तक हर कोई इनको लेने से इंकार करने लगा है। इतना ही नहीं भिखारी भी अब इन सिक्को को लेने से मना करने लगे हैं और ये सिक्के चलन से बाहर हो गए हैं लेकिन चित्रकूट के रामघाट से लेकर भगवान् कामतानाथ मदिर व परिक्रमा मार्ग तक इन सिक्को का ढेर लगाकर इनको बेचा जा रहा है।

सिक्को के व्यापार से दो वक्त की रोटी कमाने वाले व्यापारी बुद्धराज ने बताया कि मंदिरो में आने वाले श्रद्धालुओ के पास मंदिरो में व मान्यता के लिए नदी में चढाने के लिए अधीकान्शतः सिक्के नहीं होते हैं। ऐसे में हम उनको 10 रूपये में 8 सिक्के बेचते हैं 2 रूपये का फायदा होता है साथ ही मंदिर प्रबंधन से तयशुदा प्रतिशत देकर व्यापार किया जाता है। आपको बता दें कि पूरे देश और प्रदेश में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी किए गए नए पुराने 1रुपये के सिक्के धड़ल्ले से चल रहे हैं। वहीं खासतौर पर चित्रकूट समेत समूचे बुंदेलखंड में सब्ज़ी के ठेले से लेकर शॉपिंग मॉल्स तक 1रुपये के सिक्के को खोटा सिक्का मानकर दुकानदार लेने से इनकार करने लगे है, जबकि बकाया रकम वापस करते वक़्त दुकानदार ग्राहक को राजी खुशी 1-1 रुपये के सिक्के देकर खुद हल्का हो रहा है। सरकार से लेकर भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज तक 1 रुपये के सिक्के को बंद करने की कोई घोषणा तक नहीं की है फिर भी दुकानदारों ने 1 रुपये के सिक्के को खुद धड़ल्ले से नकारना शुरू कर दिया है।

चित्रकूट शहर समेत पूरे बुंदेलखंड में भी अब लोग सिक्के को लेकर परेशान हैं। बाजार में ऐसी अफवाह है कि सिक्के प्रचलन से बाहर हो चुके हैं। इसलिए दुकानदार सिक्के लेने से इनकार कर रहे हैं। जिले में खुदरा विक्रेता, व्यवसायी वर्ग के अलावा अब बैंक भी सिक्का लेना से मना कर रहे हैं। इससे आम लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। भारत सरकार और रिजर्व बैंक द्वारा निर्गत एक रुपया से 10 रुपये तक के सिक्के के बंद होने की अफवाह बुरी तरह फैली हुई है। आरबीआई द्वारा सभी बैंक अधिकारियों के साथ बैठक कर यह स्पष्ट कर दिया गया था कि कोई भी ग्राहक एक दिन में एक हजार रुपये तक के सिक्के अपने बैंक खाता में जमा कर सकते हैं। वहीँ हाल ही में आई खबर में आरबीआई ने कहा था कि सभी संस्थान चाहे वह छोटे दुकानदार हों या बड़े, जहां वित्तीय लेन-देन होता है, सबकी जिम्मेवारी है कि सिक्कों के लेन-देन में कोताही न बरतें। अगर वे सिक्के नहीं लेते हैं और शिकायत आती है तो यह भारतीय दंड संहिता के तहत एक अपराध है और धारा 124ए के तहत इसे देशद्रोह की संज्ञा में भी लाया जा सकता है। इसमें तीन साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान है। बावजूद इन सभी के आज भी चित्रकूट में १ रूपये के सिक्के को लेकर स्तिथियां जस की तस बनी हुई हैं। आलम तो यूं हो चला है कि फकीर के ज़ुबान से भी अब 1 रुपये दे दो की पुकार तक सुनाई नहीं देती। ऐसे में चित्रकूट के आस्थावानों के लिए मंदिरो में चढ़ावे के लिए ये सिक्के गरीबों के लिए कमाई का एक ज़रिया बना हुआ है, इतना ही नहीं इन सिक्को को न बैंक लेता है न कोई दुकानदार बल्कि ये सिक्के मंदिरो से सिक्के व्यापारी और फिर वापस उसी सिक्के व्यापारी बोरियों में भरकर बाजार में बेचने के लिए बैठ जाते है। साथ ही समय समय पर यहाँ के मठ मंदिरो से सिक्को की बोरियां तमिलनाडु तक बेचीं जाती है।

बताया जाता है कि तमिलनाडु में यह सिक्के प्रचलन में है ऐसे में इन सिक्को को बड़ी तादाद में तमिलनाडु में बेचा जाता है और मोटी रकम कमाई जाती है। कामतनाथ प्रमुख द्वार के पुजारी महंत मदनदास जी महाराज ने कहा कि 1 व 2 रुपये का सिक्का मंदिर में एकत्र होता जा रहा है जबकि 5 और 10 के सिक्के फिट भी उपयोग में आ रहे है। ऐसे में बहुत अधिक परेशानी आ रही है ऐसे में एक विकल्प के रूप में कानपुर के कुछ व्यापारी है उनसे बात की है वो कुछ कुछ सिक्के प्रतिशत में ले रहे हैं और उनका संबंध आरबीआई से है उनका लाइसेंस बना हुआ है जो हमसे प्रतिशत में लेते है जिसका हमे बहुत ज़्यादा नुकसान भी झेलना पड़ता है। ऐसे में यहां सिक्के बहुत ज़्यादा इकट्ठे होते जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि बैंक इन सिक्कों को लेने लगे व्यापारी लेने लगे तो बहुत बेहतर होगा।

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उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश में हुई 559 वर्ग किमी. वन व वृक्ष आच्छादन की वृद्धि

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लखनऊ |  मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में पिछले साढ़े सात वर्ष से चल रहा ‘पेड़ लगाओ-पेड़ बचाओ जनअभियान’ रंग ले आया। 2024 में 36.80 करोड़ से अधिक पौधरोपण करने वाले उत्तर प्रदेश में आईएसएफआर 2023 के अनुसार 559 वर्ग किमी. वन व वृक्ष आच्छादन से अधिक की वृद्धि हुई है। उत्तर प्रदेश से आगे केवल छत्तीसगढ़ है, जबकि अन्य सभी राज्य उत्तर प्रदेश से पीछे हैं। इस उपलब्धि पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वन विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों के नेतृत्व में आए इस सकारात्मक पहल की बधाई दी। वहीं केंद्रीय वन-पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने भी इस उपलब्धि पर उत्तर प्रदेश को शुभकामना दी।

देहरादून में भारत वन स्थिति रिपोर्ट (आईएसएफआर) 2023 की रिपोर्ट प्रस्तुत की गई

🌳भारत का वन एवं वृक्ष आवरण 8,27,357 वर्ग किमी है, जो देश के भौगोलिक क्षेत्र का 25.17% है। इसमें 7,15,343 वर्ग किमी (21.76%) वन आवरण और 1,12,014 वर्ग किमी (3.41%) वृक्ष आवरण है।

🌳2021 के आकार-फ़ाइल आधारित मूल्यांकन की तुलना में वन एवं वृक्ष आवरण में 1,445 वर्ग किमी की वृद्धि हुई है, जिसमें वन आवरण में 156 वर्ग किमी और वृक्ष आवरण में 1289 वर्ग किमी की वृद्धि शामिल है।

🌳वन एवं वृक्ष आवरण में अधिकतम वृद्धि दिखाने वाले शीर्ष चार राज्यों में उत्तर प्रदेश दूसरे स्थान पर है। छत्तीसगढ़ (684 वर्ग किमी) के साथ शीर्ष पर है। ओडिशा का क्षेत्रफल (558.57 वर्ग किमी), राजस्थान (394 वर्ग किमी) व झारखंड (286.96 वर्ग किमी.) है।

इनसेट
इन राज्यों में हुई वृद्धि
राज्य एरिया
छत्तीसगढ़ 683.62 वर्ग किमी.
उत्तर प्रदेश 559.19 वर्ग किमी.
ओडिशा 558.57 वर्ग किमी.
राजस्थान 394.46 वर्ग किमी.
झारखंड 286.96 वर्ग किमी.

‘हरित उत्तर प्रदेश’ बनने की दिशा में तीव्रता से गतिमान है नया उत्तर प्रदेश:सीएम योगी

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने सोशल मीडिया एकाउंट ‘एक्स’ पर पोस्ट किया। उन्होंने लिखा कि नया उत्तर प्रदेश ‘हरित उत्तर प्रदेश’ बनने की दिशा में तीव्रता से गतिमान है। आईएसएफआर 2023 के अनुसार उत्तर प्रदेश में हुई 559 वर्ग कि.मी. की वन और वृक्ष आच्छादन की ऐतिहासिक वृद्धि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के आह्वान ‘एक पेड़ मां के नाम’ और भारतीय दर्शन ‘माता भूमिः पुत्रोऽहं पृथिव्याः’ भाव से उत्तर प्रदेश वासियों के जुड़ाव का प्रतिफल है।

मानवता के कल्याण को समर्पित इस ऐतिहासिक उपलब्धि के लिए पौधरोपण अभियान से जुड़े सभी लोगों, प्रकृति प्रेमियों एवं प्रदेश वासियों को हार्दिक बधाई!

यूपी में लगाए गए 36.80 करोड़ से अधिक पौधे

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में एक दिन (20 जुलाई) को 36.51 करोड़ पौधरोपण कर इतिहास रचने वाले उत्तर प्रदेश ने 30 सितंबर तक 36.80 करोड़ से अधिक पौधरोपण किए। साढ़े सात वर्ष में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में 210 करोड़ पौधरोपण किये गए।

भारतीय वन सर्वेक्षण, देहरादून द्वारा वर्ष 2023 में प्रकाशित रिपोर्ट के परीक्षण करने पर उत्तर प्रदेश में वनावरण की स्थिति…

वनावरण

1. अति सघन वन 2,688.73 वर्ग कि०मी०
2. मध्यम सघन वन 4,001.41 वर्ग कि०मी०
3. खुला वन 8.355.66 वर्ग कि०मी०
4. कुल योग 15045.80 वर्ग कि०मी० (6.24%)
वृक्षावरण 8950.92 वर्ग कि0मी (3.72%)
कुल वनावरण व वृक्षावरण 23996.72 वर्ग कि0मी0 (9.96%)

भारतीय वन सर्वेक्षण, देहरादून द्वारा वर्ष 2021 (यथा संशोधित) में प्रकाशित रिपोर्ट में उत्तर प्रदेश से सम्बन्धित आंकड़े…
वनावरण

1. अति सघन वन 2655.29 वर्ग कि०मी०
2. मध्यम सघन वन 3995.53 वर्ग कि०मी०
3. खुला वन 8276.55 वर्ग कि०मी०
4. कुल योग 14927.37 वर्ग कि०मी० (6.20%)
5-वृक्षावरण 8510.16 वर्ग कि0मी0 (3.53%)
6-कुल वनावरण व वृक्षावरण 23437.53 वर्ग कि0मी0.( 9.73%)

सर्वाधिक वृद्धि वाले उत्तर प्रदेश के पांच जनपद

1- झांसी – 8597 एकड़
2- अमरोहा – 7769 एकड़
3- इटावा – 7127 एकड़
4- कानपुर नगर – 6249 एकड़
5- बिजनौर – 3343 एकड

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