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उत्तर प्रदेश

मायावती ने रामचरित मानस व गेस्ट हाउस कांड का जिक्र कर साधा सपा पर निशाना

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नई दिल्ली। सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य द्वारा धार्मिक ग्रन्थ रामचरित मानस पर दिए गए विवादित बयान के बाद उत्तर प्रदेश की राजनीति में यह मुद्दा लगातार गरमाया हुआ है। इस मुद्दे पर जहां बीजेपी और सपा आमने सामने हैं तो वहीं बसपा प्रमुख मायावती भी इसको लेकर दोनों ही राजनीतिक दलों पर प्रहार करने का मौका नहीं छोड़ रही हैं।

इसी कड़ी में उन्होंने आज लखनऊ गेस्ट हाउस कांड का जिक्र कर दिया। उन्होंने ट्विटर के माध्यम से इस मामले का जिक्र कर सभी राजनीतिक दलों पर हमला किया।

उन्होंने कहा कि देश में कमजोर व उपेक्षित वर्गों का ग्रंथ रामचरितमानस व मनुस्मृति नहीं बल्कि भारतीय संविधान है, जिसमें बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर ने इनको शूद्रों की नहीं बल्कि एससी, एसटी व ओबीसी की संज्ञा दी है। अतः इन्हें शूद्र कहकर सपा इनका अपमान न करे तथा न ही संविधान की अवहेलना करे।

बीएसपी प्रमुख ने आगे कहा कि देश के अन्य राज्यों की तरह यूपी में भी दलितों, आदिवासियों व ओबीसी समाज के शोषण, अन्याय, नाइन्साफी तथा इन वर्गों में जन्मे महान संतों, गुरुओं व महापुरुषों आदि की उपेक्षा एवं तिरस्कार के मामले में कांग्रेस, भाजपा व सपा भी कोई किसी से कम नहीं।

लखनऊ गेस्ट हाउस कांड को याद करते मायावती ने कहा हुए कहा कि सपा प्रमुख द्वारा इनकी वकालत करने से पहले उन्हें लखनऊ स्टेट गेस्ट हाउस के दिनांक 2 जून 1995 की घटना को भी याद कर अपने गिरेबान में जरूर झांककर देखना चाहिए, जब सीएम बनने जा रही एक दलित की बेटी पर सपा सरकार में जानलेवा हमला कराया गया था।

उन्होंने कहा कि वैसे भी यह जगज़ाहिर है कि देश में एससी, एसटी, ओबीसी, मुस्लिम व अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों आदि के आत्म-सम्मान एवं स्वाभिमान की क़द्र बीएसपी में ही हमेशा से निहित व सुरक्षित है, जबकि बाकी पार्टियां इनके वोटों के स्वार्थ की खातिर किस्म-किस्म की नाटकबाजी ही ज्यादा करती रहती हैं।

क्या था लखनऊ गेस्ट हाउस कांड

बाबरी विध्वंस के बाद 1993 में हुए विधानसभा चुनावों में सपा और बसपा ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा था। इस चुनाव में किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला था। जोड़ तोड़ करके गठबंधन ने चार दिसंबर 1993 को सत्ता की कमान संभाल ली। मायावती मुख्यमंत्री बनीं।

दो जून, 1995 को बसपा ने सरकार से किनारा कर लिया और समर्थन वापसी की घोषणा कर दी। दोनों का गठबंधन टूट गया। बसपा के समर्थन वापसी से मुलायम सिंह की सरकार अल्पमत में आ गई। मायावती के समर्थन वापसी के बाद जब मुलायम सरकार पर संकट के बादल आए तो सरकार को बचाने के लिए जोड़-तोड़ शुरू हो गया।

ऐसे में अंत में जब बात नहीं बनी तो सपा के नाराज कार्यकर्ता व विधायक लखनऊ के मीराबाई मार्ग स्थित स्टेट गेस्टहाउस पहुंच गए, जहां मायावती ठहरी हुईं थीं। उस दिन गेस्ट हाउस के कमरे में बंद बसपा सुप्रीमो के साथ कुछ गुंडों ने बदसलूकी की। इसी घटना को गेस्टहाउस कांड कहा जाता है।

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उत्तर प्रदेश

शामली मुठभेड़ में घायल हुए STF इंस्पेक्टर सुनील कुमार शहीद, गुरुग्राम के मेदांता में चल रहा था इलाज

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गुरुग्राम। उत्तर प्रदेश के शामली में हुई एक मुठभेड़ के दौरान स्पेशल टास्क फोर्स ने चार कुख्यात अपराधियों को ढेर कर दिया। इस अभियान में एसटीएफ इंस्पेक्टर सुनील कुमार गंभीर रूप से घायल हो गए और बाद में गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में उन्होंने दम तोड़ दिया।

इस घटना में मारा गया मुख्य अपराधी अरशद जिसके सिर पर 1 लाख रुपए का इनाम था। अपने तीन साथियों के साथ मुठभेड़ में मारा गया। यह घटना कानून-व्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई। लेकिन एसटीएफ ने इस दौरान एक वीर अधिकारी को खो दिया।

शुरू में उन्‍हें करनाल के अस्‍पताल में भर्ती कराया गया था लेकिन बाद में हालत खराब होने पर गुरुग्राम के मेदांता में रेफर किया गया। बीते 24 घंटे खतरे से बाहर नहीं हुए थे इंस्पेक्टर सुनील कुमार। वह वहां आईसीसीयू में भर्ती थे।

बताया जा रहा है कि एक गोली इंस्‍पेक्‍टर के लिवर को पार करके पीठ में अटक गई थी। इसे निकाला संभव नहीं था, इसलिए इसे छोड़ दिया गया।इंस्‍पेक्‍टर सुनील कुमार ठोकिया एनकाउंटर में आउट ऑफ टर्न प्रमोशन पाकर हेड कांस्टेबल से सब इंस्पेक्टर बने थे। शामली में सोमवार देर रात कग्‍गा गैंग के चार बदमाशों के एनकाउंटर में इंस्पेक्टर सुनील कुमार भी शामिल थे। बदमाश एक कार में सवार थे। घेरे जाने पर उन्‍होंने पुलिस पर फायरिंग कर दी थी। इसी में सुनील कुमार घायल हुए थे। जवाबी कार्रवाई में STF ने चार बदमाशों को मार गिराया था।

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