आध्यात्म
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को नागपुर पुलिस ने दी क्लीनचीट, कहा- कोई अंधश्रद्धा नहीं
नागपुर। बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को नागपुर पुलिस ने क्लीनचीट दे दी है। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को यह क्लीनचीट नागपुर की अंधश्रद्धा उन्मूलन समिति द्वारा शिकायत के मामले में दी गई है। पुलिस ने जांच के बाद समिति को लिखित जवाब भेजा है।
अंधश्रद्धा नहीं फैला रहे धीरेंद्र शास्त्री
नागपुर पुलिस ने अपनी रिपोर्ट में जानकारी दी कि वीडियो देखने पर स्पष्ट हुआ है कि इसमें धर्म के प्रचार से जुड़ी सामग्री नहीं है। इसमें अंधश्रद्धा जैसी भी कोई चीज नजर नहीं आ रही है। दरअसल, धीरेंद्र शास्त्री लोगों की समस्याओं को उससे बिना पूछे कागज पर लिख देते हैं और बिना बताए ही लोगों के मन की बात भी जान लेते हैं। यह दावा धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री के लाखों भक्त करते हैं।
धोखेधाड़ी का लगाया था आरोप
कुछ दिनों पहले नागपुर में उन्होंने श्रीराम कथा के साथ अपना दिव्य चमत्कारी दरबार लगाया था। रामकथा 13 जनवरी तक आयोजित होने वाली थी, लेकिन महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति की शिकायत की वजह से कथा 11 जनवरी तक ही चल सकी।
समिति ने आरोप लगाया था कि धीरेंद्र शास्त्री जादू-टोना और अंधश्रद्धा फैलाते हैं। अध्यक्ष श्याम मानव ने कहा कि ‘दिव्य दरबार’ और ‘प्रेत दरबार’ की आड़ में बाबा जादू टोना को बढ़ावा दे रहे हैं। इसके अलावा, धर्म के नाम पर आम लोगों को लूटने,धोखाधड़ी और शोषण भी किया जा रहा है।
समिति ने बाबा को दिया था चैलेंज
श्याम मानव अपने द्वारा दूसरे कमरे में रखी गई 10 वस्तुओं की जानकारी देने का चैलेंज और उसके पूरा होने पर 30 लाख रूपए दिए जाने का चैलेंज भी दिया था। बाबा ने चैलेंज को स्वीकार कर लिया है। धीरेंद्र शास्त्री का कहना है कि वो कोई चमत्कार नहीं करते हैं, उनपर हनुमान जी का आशीर्वाद है।
व्रत एवं त्यौहार
CHHATH POOJA 2024 : जानें कब से शुरू होगी छठी मैया की पूजा, जानिए इसे क्यों मनाते हैं
मुंबई। त्रेतायुग में माता सीता और द्वापर युग में द्रौपदी ने भी रखा था छठ का व्रत रामायण की कहानी के अनुसार जब रावण का वध करके राम जी देवी सीता और लक्ष्मण जी के साथ अयोध्या वापस लौटे थे, तो माता सीता ने कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को व्रत रखकर कुल की सुख-शांति के लिए षष्ठी देवी और सूर्यदेव की आराधना की थी।
छठ पूजा क्यों मनाते है ?
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सूर्यदेव और छठी मैया की पूजा अर्चना और अर्घ्य देने से सुख-शांति, समृद्धि, संतान सुख और आरोग्य की प्राप्ति होती है। छठ पूजा को डाला छठ के नाम से भी जाना जाता है। यह चार दिनों तक चलने वाला त्योहार है, जो मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है। छठ पर्व के दौरान प्रकृति के विभिन्न तत्वों जैसे जल, सूर्य, चंद्रमा आदि की पूजा की जाती है. यह प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने का एक तरीका है और हमें प्रकृति के संरक्षण का महत्व सिखाता है. छठ का व्रत बहुत कठिन होता है. व्रतधारी 36 घंटे तक बिना पानी पिए रहते हैं. साथ ही छठ पर्व सभी वर्गों और समुदायों के लोगों को एक साथ लाता है. इस पर्व के दौरान लोग मिलकर पूजा करते हैं, भोजन करते हैं और एक-दूसरे के साथ समय बिताते हैं. इससे सामाजिक एकता और भाईचारा बढ़ता है.
छठ पर्व के 4 दिन
छठ पूजा का पहला दिन, 5 नवंबर 2024- नहाय खाय.
छठ पूजा का दूसरा दिन, 6 नवंबर 2024- खरना.
छठ पूजा का तीसरा दिन, 7 नवंबर 2024-डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य.
छठ पूजा का चौथा दिन, 8 नवंबर 2024- उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का पारण
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